अतंराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर किसान आंदोलन को लेकर महिलाओं ने कहा कि अब किसान आंदोलन में महिलायें भी भाग लेगी। और आज महिला किसान दिवस के रूप में मनाएंगी।
तहलका संवाददाता को महिलाओं ने बताया कि देश में एक अजीब सा माहौल बनता जा रहा है। कहीं कोई सुनवाई नहीं है। देश का अन्नदाता अपने अधिकारों के खातिर सौ दिन से अधिक समय से खुले मैदान में संघर्ष कर रहा है। और देश की सरकार किसानों की बात करने को तैयार नहीं है।
महिला किसान श्री मती प्रियंका कहना है। कि अजीब बिडम्बना है कि एक ओर तो देश को कृषि प्रधान देश कहा जाता है वहीं किसानों को तीन कृषि कानूनों को थोपकर सरकार किसानों पर दमन कारी नीति अपना रही है। प्रियंका का कहना है कि हर प्रकार का दमन युद्ध का जनम देता है।
महिला कांग्रेस की नेता सुनीता गौतम ने सरकार को कड़े शब्दों में कहा कि जब भी महिलायें किसी भी संघर्ष में आयी है। वहां जरूर परिवर्तन लायी है। अब महिलायों अपने किसान परिवारों के खातिर और देश हित में किसान आंदोलन में भाग लेगी ।
समाजवादी पार्टी की महिला नेता गीता यादव ने सरकार को चेतावनी देते हुये कहा है कि सरकार सत्ता के नशे में इस कदर चूर है, कि उसे अपने ही देश के किसानों को परेशान करने में मजा रहा है। पूंजी पतियों को लाभ देने के लिये तीन कृषि कानूनों जबरदस्ती थोपा जा रहा है। गीता यादव का दावा है कि अगर सरकार ने कृषि कानून को वापस नहीं लिया तो, महिलाये आंदोलन को उग्र रूप देने में नहीं हिचकेंगी। क्योंकि सरकार किसानों की मौतों पर गौर तक नहीं कर रही है। बल्कि किसानों के आंदोलन को नकली किसानों का आंदोलन कह कर देश वासियों को गुमराह कर रही है।