कहते है कि,आपदा-विपदा में भी व्यापारी अपना धंधा निकाल ही लेते है। किसान आंदोलन टिकरी बार्डर, सिंधू बार्डर और गाजीपुर बार्डर पर चल रहा है। जो कि दिल्ली के बार्डर से सटे है। यहां से किसान दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पा रहे। दिल्ली में इन दिनों कड़कड़ी सर्दी से लोगों का हाल बेहाल है। वहीं किसानों को रात काटने में काफी परेशानी हो रही है। किसानों का कहना है कि अपनी मांगों के खातिर वे रात को भी खुले आसमान में इस सर्दी में पड़े रहते है। हजारों की संख्या में किसानों को देखते हुये रेहड़ी –पटरी वालों ने गर्म कपड़ो , साल, स्वेटर, जर्सी और कम्बलों की बिक्री शुरू कर दी।
किसान जमकर गर्म कपड़ो की बिक्री भी कर रहे है। इन तीनों बार्डरों में जहां पर किसानों का आंदोलन चल रहा है। वहां पर छोटे बाजार की शक्ल भी देखने को मिल रही है। रेहड़ी पर गर्म कपड़ों को बेचने वाले धीरज ने बताया कि वे दिल्ली में साप्ताहिक बाजारों में रेहड़ी- पटरी लगाकर अपने परिवार का पालन –पोषण करते है। अब यहां पर उन्होंने देखा कि किसानों को गर्म कपड़ों की जरूरत है। सो उन्होंने रेहड़ी लगा ली। किसान जग्गी और इन्दरजीत ने बताया कि सर्दी के मौसम से बचाव के लिये अगर यहां पर सामान व गर्म कपड़े मिल रहे है। तो ये खुशी की बात है।किसान हरप्रीत सिंह ने बताया कि सरकार की तानाशाही का नतीजा है कि किसानों को खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ रही है। उन्होंने किसानों की ओर से सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि अगर सरकार ने कृषि कानून को वापस नहीं लिया तो ये आंदोलन उग्र होता जायेगा।