किसानों के आंदोलन में स्कूली छात्र शामिल होगें और तब तक आंदोलन में भाग लेगें जब तक कृषि कानून वापस नहीं हो जाता है। किसान आंदोलन में महिलाओं ने भाग लिया है। अब तक किसानों के परिजन ही किसान आंदोलन में आर –पार की लड़ाई में शामिल है। पर अब वे स्कूली छात्र जो, खास कर किसान परिवार तक से नहीं है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ-साथ हाई स्कूल और इंटरमीडियट के छात्र भी शामिल होगे।
हाई स्कूल में पढ़ने वाले छात्र विमल कुमार का कहना है कि उनके पास कोई खेती बाड़ी नहीं है। लेकिन आंदोलन को देखते हुये और सरकार की हठ नीति के कारण देश में जो नुकसान हो रहा है। उसके लिये सरकार की दमन कारी नीतियां ही जिम्मेदार है। सरकार की जिद के कारण देश का किसान परेशान है। उनकी मांगों को सरकार कुचल रही है। जिससे देश के किसानों में एक भय है। कि देश का अन्नदाता आज अपने ही अधिकारों के लिये जूझ रहा है। सरकार सुनने को राजी तक नहीं है।
तहलका संवाददाता को स्कूली छात्र राकेश सिंह, सुमेश कुमार सहित अन्य छात्रों ने बताया कि देश के किसान अपने बच्चों के साथ आंदोलन में आ रहे है। राकेश टिकैत और नरेश टिकैत के छोटे –छोटे बच्चे आंदोलन में आ रहे है। तो देश के अन्य बच्चें क्यों शामिल नहीं हो सकते है।स्कूली छात्रों ने आशंका व्यक्त करते हुये कहा है कि कोरोना की आड़ में देश की शिक्षा चौपट तो कर दी गयी है । उसी तरह अब किसान आंदोलन को चौपट करने की साजिश रची जा रही है। जिसको अब स्कूली छात्र कभी सफल नहीं होने देगें।