किसानों के आंदोलन को लेकर सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मौत पर भी गहरी चिंता जताई और सरकार से पूछा कि वह बताये कि किसानों से क्या बात कर रही है। अदालत ने सरकार से कहा कि आंदोलन संभालने के आपके तरीके से हम बहुत निराश हैं। सर्वोच्च अदालत ने एक मौके पर पूछा कि आप (कृषि) क़ानून ‘होल्ड’ कर रहे हैं या नहीं ? आप नहीं करते तो हम कर देंगे। अदालत ने कहा कि वह किसी भी संगठन के आंदोलन के खिलाफ नहीं है। अदालत ने कहा कि कानूनों की जांच के लिए कमिटी बनाएंगे।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि ‘आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। लोग मर रहे हैं। आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है। हम कमिटी बनाने जा रहे हैं। चाहे आपको हम पर भरोसा हो या नहीं। हम देश का सुप्रीम कोर्ट हैं। अपना काम करेंगे।’
किसानों के मसले पर आज सर्वोच्च अदालत में सुनवाई चल रही है। अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि बाह बताये कि किस तरह का समझौता कर रहे हैं। हर दिन हालत ख़राब हो रहे हैं। अदालत ने सरकार से कहा कि ‘हम आपसे बहुत निराश हैं’।
अदालत ने कहा कि हम कृषि मामलों के विशेषज्ञ नहीं हैं। हमारा मकसद समस्या का हल निकलना है। हर दिन हालत खराब हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने सरकार से पूछा कि वह बताये कि किसानों से क्या बात कर रही है।
किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे। अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं। आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं। नहीं तो हम लगा देंगे।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी। कई लोगों से चर्चा की। पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था। उन्होंने कहा कि आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है। लोग कह रहे हैं कि हमें क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं। लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं, हल निकले। अगर आपमें समझ है तो कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए। फिर बात शुरू कीजिए। हमने भी रिसर्च किया है। एक कमिटी बनाना चाहते हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा हम ये नहीं कह रहे है कि आप कानून को रद्द करें। हम बहुत बकवास सुन रहे है कि कोर्ट को दखल देना चाहिए या नही। हमारा उद्देश्य सीधा है कि समस्या का समाधान निकले। हमने आपसे पूछा था कि आप कानून को होल्ड पर क्यों नही रख देते ? उन्होंने कहा कि ये सरकार को मदद नही करने वाला कि किसी दूसरे सरकार ने शुरू किया था। किस तरह का समझौता आप कर रहे हैं ?
अटॉर्नी जनरल को रोकते हुए प्रधान न्यायाधीश कहा कि जब हम आपसे क़ानून की संवैधानिकता के बारे में पूछ रहे हैं तो आप हमको उसके बारे बताइए, कानून के फायदे के बारे में मत बताइए। केंद्र सरकार को फटकार लागते हुए राधान न्यायाधीश ने कहा कि हम आपसे बहुत निराश हैं। आपने कहा कि हम बात कर रहे हैं। क्या बात कर रहे हैं ? किस रह का निगोशिएशन कर रहे हैं ?