अन्ना हजारे के अनशन की तारीख लगभग तय हो चुकी है। किसानों के मुद्दों पर 30 जनवरी से हजारे अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे। हालांकि हजारे को दिल्ली में अनशन के लिए किसी जगह की अनुमति नहीं मिल पाई है जिसके चलते उन्होंने इस समय रालेगण सिद्धि में आंदोलन करने का फैसला किया है।
अन्ना ने किसानों के मुद्दों पर जनवरी के अंतिम सप्ताह में आंदोलन की चेतावनी दी थी। हालांकि, सटीक तारीख की घोषणा नहीं की गई है। अब तक के आंदोलन के इतिहास को देखते हुए, हजारे ने विशेष दिनों के अवसर पर अपना आंदोलन शुरू किया है । इसलिए, इस बार भी, 30 जनवरी शहीद दिवस से हजारों लोगों के साथ आंदोलन शुरू कर रहे हैं ।
हजारे ने कृषि मूल्य आयोग की स्वायत्तता, स्वामीनाथ आयोग की सिफारिशों को लागू करने और तदनुसार कृषि वस्तुओं की कीमतों को तय करने की मांगों को लेकर आंदोलन का आह्वान किया है। हजारे ने दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का अंतिम आंदोलन होगा।
अन्ना हजारे ने इसके पहले कई दफा पत्र लिखकर दिल्ली में रामलीला मैदान या अन्य स्थानों पर आंदोलन के लिए जगह की अनुमति मांगी थी जिनका उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। जिसे लेकर नाराज हजारे ने केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों की भी आलोचना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे एक पत्र भी लिखा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार उनसे बदले की भावना से व्यवहार कर रही है । उसके बाद से भाजपा नेताओं ने हजारे को मनाने के लिए भागदौड़ शुरू कर दी । भाजपा नेताओं ने हजारे से मुलाकात कर उन्हें आश्वस्त करने की कोशिश की है कि सरकार किसानों के हित को अनदेखा नहीं कर रही है और वे आंदोलन न करें। लेकिन उन्हें सफलता मिलती नहीं दिख रही है। इस सिलसिले में वरिष्ठ नेता हरिभाऊ बागडे, पूर्व मंत्री गिरीश महाजन, पूर्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, सांसद डॉ सुजय विखे पाटिल ने हजारे से मुलाकात की है। विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस भी हजारे के संपर्क में हैं। हालांकि, हजारे को अभी तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। इसलिए, उनके आंदोलन का निर्णय दृढ़ है और अगर उन्हें दिल्ली में जगह नहीं मिलती है, तो वह रालेगण सिद्धि में यादव बाबा मंदिर में अनशन शुरू करेंगे।
यह बात अलग है कि अन्ना के आंदोलन को लेकर जहां एक ओर भाजपा परेशान है वहीं राज्य की महा विकास आघाडी सरकार फिलहाल मौन पाले हुए है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वह इसे अनदेखी कर रही है । यह बात अलग है यदि अन्ना हजारे को अनशन के लिए दिल्ली में जगह नहीं मिलती तो अनशन महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि से ही शुरू होगा और उसके बंदोबस्त की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार पर ही होगी।