भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। उसके सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल ने भाजपा और एनडीए से नाता तोड़ लिया है। मोदी सरकार के कृषि बिलों के देशव्यापी विरोध के बीच भाजपा को यह झटका मिला है।
पंजाब, जहां अकाली दल का एकमात्र बड़ा आधार है, में आंदोलन की धार देखते हुए अकाली दल को यह फैसला करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कुछ दिन पहले ही कृषि बिलों के खिलाफ अकाली मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
चंडीगढ़ में अकाली दल की आज हुई कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला किया गया है। अपने 40 साल पुराने साथी को झटका देते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने साफ़ कहा कि भाजपा अर्थात मोदी सरकार ने इस बिल को लेकर अपने सहयोगियों से सलाह नहीं की।
इस तरह बिहार चुनाव से पहले भाजपा को यह बड़ा झटका लगा है। सुखबीर ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी पंजाब में इस बिल के खिलाफ आंदोलन करेगी। हालांकि, किसान पहले से ही पंजाब में मोदी सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन कर रहे हैं। हाल में सुखबीर के गृह गाँव बादल में एक किसान ने इसी मुद्दे पर आत्महत्या का रास्ता अपना लिया था।
पंजाब में अकाली दल बहुत दबाव में है। वहां कांग्रेस पहले से मोदी सरकार के तीनों कृषि बिलों के खिलाफ बोल रही है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार जो बिल संसद में लाई उसमें अकाली दल का पूरा समर्थन रहा। उस वक्त अकाली दल ने कोई विरोध नहीं किया। अब वो आंदोलन करने का नाटक कर रही है क्योंकि उसके नीचे से ज़मीन खिसक चुकी है।
सुखबीर ने कहा कि वो किसानों की पार्टी है लिहाजा इसके विरोध में भाजपा और एनडीए दोनों से बाहर जाने का फैसला उसने किया है। इस तरह निश्चित ही भाजपा को झटका लगा है। सुखबीर ने कहा कि खेती-किसानी पंजाब की जान है।