किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर बुधवार को दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान काला दिवस मना रहे हैं। केंद्र में मोदी सरकार के सात और किसानों के आंदोलन के छह माह पूरे होने के बीच 26 मई को अन्नदाताओं ने सभी किसानों से अपने घरों व वाहनों पर काला झंडा लगाने का आह्वान है।
देशभर के सभी धरनास्थलों पर काली पगड़ी व चुनरी पहनकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। पंजाब और हरियाणा के कई गांवों में पीएम का पुतला फूंका गया। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि किसानों की मांग मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है। इस बीच, तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि वह कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश करेगी।
इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन यानी भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि हम काले झंडे के साथ ही तिरंगा भी लेकर चल रहे हैं। छह महीने हो गए हैं, लेकिन सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। इसलिए किसान काले झंडे रखने को मजबूर हुए हैं। हम सबकुछ शांतिपूर्वक तरीके से कर रहे हैं। इसके साथ ही हम कोविड के नियमों का पालन भी कर रहे हैं।
दिल्ली से सटे यूपी गेट पर काला दिवस मनाने के दौरान भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मंच से किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यदि छह महीने में भी सरकार किसानों से बात नहीं करती तो इसका मतलब यह है कि आंदोलन लंबा चलेगा। उन्होंने कहा कि किसान कभी भी सरकार के पुतले फूंकने में विश्वास नहीं रखता था मगर अब सरकार ने मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि काला दिवस महज यूपी बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मनाकर विरोध किया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण पर सरकार को घेरते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि बीमारी बड़ी है या कानून बड़े हैं। यदि बीमारी बड़ी है तो सरकार कानूनों को रद्द कर किसानों को उनके घर लौट जाने दे। मगर कोरोना तो एक बहाना है जिससे यह कानून बने रहें। देश में लूट जारी रहे। उन्होंने कहा कि आंदोलन लंबा चलाने के लिए भाकियू रणनीति बना रही है।
इधर, दिल्ली में कृषि कानूनों के विरोध में किसान द्वारा मनाए जा रहे काले दिवस को देखते हुए दिल्ली के कई जगहों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। पुलिस ने बताया कि हम सभी गाड़ियों की जांच कर रहे हैं, चाहे वो परमिट गाड़ी भी हो क्योंकि कहीं उस गाड़ी में कोई किसान न जा रहा हो।
टीकरी बॉर्डर पर भी प्रदर्शनरत किसानों ने काले झंडे लगाए हैं। किसानों ने आंदोलन स्थल पर तिरंगा किसान मोर्चा का झंडा और काला झंडा तीनों लगा रखा है। वहीं, अमृतसर के छब्बा गांव में लोगों ने अपने घरों पर कृषि कानून के विरोध में काले झंडे लगाए। यह झंडे आंदोलनरत किसानों के आह्वान पर काला दिवस मनाने के लिए लगाए गए हैं।