किसानों और मोदी सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर उपजे विरोध को लेकर गुरुवार शाम ख़त्म हुई चौथे दौर की बैठक भी बेनतीजा रही है। किसानों ने तीन कृषि कानूनों को संसद का विशेष सत्र बुलाकर वापस लेने की मांग पुरजोर तरीके से रखी, हालांकि सरकार ने साफ़ कह दिया है कि न तो क़ानून वापस होंगे न एमएसपी को लेकर कुछ फेरबदल होगा। अब एक और बैठक 5 दिसंबर को रखी गयी है, हालांकि, किसान इस बैठक में जाऐंगे या नहीं अभी साफ़ नहीं है। इस बीच पंजाब के जलंधर कैंट से कांग्रेस विधायक और पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी परगट सिंह ने अपना पदम् श्री अवार्ड लौटा दिया है। उधर आंदोलन के दौरान अब तक ठण्ड और अन्य कारणों से कम से कम 4 किसानों की मौत हो चुकी है।
साढ़े सात घंटे तक चली बैठक के बावजूद कोई हल आज नहीं निकल सका है। सरकार ने अगले दौर की एक और वार्ता के लिए किसानों को 5 दिसंबर को बुलाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद कहा कि किसानों के साथ फिर से एक बार परसों बैठक हो ताकि और ज्यादा स्पष्टता आए। किसान अपना आंदोलन खत्म करें, सरकार का दरवाज़ा खुला है और मुद्दा व्यापक है हम फिर बैठक करेंगे।
पता चला है कि बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने एमएसपी पर सरकार के रुख को ‘धर्म’ की तरह बताया और कहा कि कानूनों में भी कोई फेरबदल संभव नहीं है। सुबह विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच 12 बजे से बैठक शूरू हुई। किसानों ने सरकार के सामने कृषि कानून वापस लेने की मांग रखी। लेकिन साढ़े सात घंटे बाद भी बैठक बेनतीजा रही। बैठक में किसानों ने मांग रखी कि एमएसपी पर पूरे देश में एक ठोस क़ानून हो अगर एमएसपी से नीचे कोई ख़रीदे तो उसपर क़ानूनी कार्रवाई का कड़ा प्रावधान हो। साथ ही किसानों ने दोहराया कि तीनों कृषि कानून वापस हों।
आज की बैठक में सरकार के रुख से साफ़ दिख रहा है कि 5 दिसंबर की बैठक में भी शायद ही कोई नतीजा निकल पाए। किसानों ने साफ कर दिया है कि तीन कानूनों को आपस लेने और एमएसपी में कानूनी प्रावधान के बिना वह नहीं मानेंगे। सरकार यह दोनों चीजें करने के बिलकुल पक्ष में नहीं दिखती।
बैठक के दौरान किसान नेताओं ने शिकायत की कि जब हम बैठक के लिए आते हैं तो दिल्ली पुलिस जगह-जगह हमें रोक कर पूछताछ करती है, कहां जा रहे हैं ? क्यों जा रहे हैं ? आधा-आधा घंटा रोका जाता है। इस पर मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आप चिंता न करें, अगली बार से दिल्ली पुलिस की गाड़ी आपके वाहन के आगे-आगे चलेगी।
किसान आंदोलन धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में भी फैलने की संभावना लग रही है। गुरुवार को यूपी और मध्य प्रदेश में किसानों ने जिस तरह विरोध प्रदर्शन किये हैं उसे देसखकर यही लगता है कि देश के दूसरे हिस्सों में भी यह आंदोलन उभर सकता है।
बुंदेलखंड किसान यूनियन ने आज कहा कि अगर सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो मौजूदा आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार के पारित तीनों नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं।
इस बीच पंजाब के जलंधर कैंट से कांग्रेस विधायक और पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी परगट सिंह ने अपना पदम् श्री अवार्ड लौटा दिया है। उधर आंदोलन के दौरान अब तक ठण्ड और अन्य कारणों से कम से कम 4 किसानों की मौत हो चुकी है।