अभी हाल भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में एनडीए सरकार को देश के महत्वपूर्ण हिंदी प्रदेशों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। इस खतरनाक स्थिति को भांप कर केंद्र सरकार ने समाज की अगड़ी जातियों को दस फीसद आरक्षण की घोषणा की। इससे कृषि से जुड़े समुदायों, नौकरी पेशा लोगों को रिझाने की कोशिश की गई।
कांग्रेस 2017 में जब पंजाब में शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार को परास्त कर सत्ता में आई तो इसने कजऱ् माफी की घोषणा की। पंजाब सरकार की इस पहल को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी अपनाया गया।
इससे जाहिर हो गया कि मोदी सरकार भी आम चुनाव पर ऐसा बजट लाएगी जो सबको रिझा सके। इसलिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना घोषित की गई। जिसके तहत रुपए छह हजार मात्र छोटे और मझोले किसानों को मिलेंगे। सरकार ने निचले मझोले वर्ग के लिए भी घोषणाएं की हैं।
इसके तहत आयकर छूट की सीमा बढ़ा कर रुपए पांच लाख मात्र सालाना कर दी गई। साथ ही अंसगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना घोषित की गई। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार यह घोषणा इसलिए आवश्यक थी क्योंकि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने यह घोषणा कर दी थी कि कांग्रेस यदि सरकार में आई तो सरकार ही बेरोजगारों और किसानों को न्यूनतम आमदनी मुहैया कराएगी।
अंतरिम बजट जो 2019 का पेश किया गया उस पर इसी साल होने वाले आम चुनाव की गहरी छाप है। इससे यह भी पता चलता है कि समाज के कौन -कौन से वर्ग केंद्र से नाखुश हैं जिसका असल तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में दिखा, इसलिए किसानों के लिए आमदनी का समर्थन और असंगठित क्षेत्र के ऐसे श्रमिक जो रुपए 15000 मात्र मासिक तौर पर कमाते हैं उनके लिए पेंशन योजना भी घोषित की गई। मझोली आमदनी वाले वर्ग के लिए आयकर में छूट को इतनी बखूबी पेश किया गया है कि कम आय वर्ग के कर्मचारियों को लाभ हो। सालाना रुपए छह हजार मात्र की जिस आमदनी की घोषणा किसानों के लिए की गई है उससे बारह करोड़ परिवारों को लाभ होगा जो सभी घरों का 50 फीसद है। निजी आयकर में छूट उन लोगों को मिलेगी जिनकी सालाना आय रुपए पांच लाख मात्र से ऊपर है। इससे देश के तीन करोड़ मझोली आय वाले लोगों को टैक्स में लाभ होगा। घर संबंधी आमदनी पर लगे टैक्स के प्रस्तावों से रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभ होगा। जो अमूमन सभी राज्यों में गृह निर्माण कार्य में जुटा है।
अंतरिम बजट 2019-20 को संसद में वित्त, कारपोरेट मामलों, रेलवे और कोयला के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पहली फरवरी को पेश किया। इसमें किसानों के लिए बड़ी योजना, विभिन्न कर सुविधाएं और आगामी वर्षों के लिए संभावित विकास के लिहाज से भी योजनाएं हैं। छोटे और हाशिए पर पहुंचे किसानों को रुपए छह हजार मात्र की सालाना आय है। असंगठित क्षेत्र के दस करोड़ मजदूरों और सालाना रुपए पांच लाख मात्र की आमदनी को कर मुक्त करने और स्टांप डयूटी में सुधार उत्तर-पूर्वी इलाकों के लिए रुपए 58,166 करोड़ मात्र की राशि, रक्षा पर रुपए तीन लाख करोड़ मात्र की व्यवस्था की गई। इसके अलावा हरियाणा के लिए नया एआईआईएमएस, विदेशियों की ही तरह भारतीय फिल्म निर्माताओं को एक ही जगह एकल खिड़की की सुविधाएं और शिक्षा, स्वास्थ्य, मूलभूत संसाधन और अनुसूचित जातियों, मत्स्य पालन और 1.5 करोड़ मछुआरों के कल्याण के लिए अलग मंत्रालय आदि अंतरिम बजट की खास विशेषताएं हैं।
किसानों के लिए योजनाएं
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएन-किसाल) के जरिए ऐसे किसान परिवारों जिनके पास दो हैक्टेयर भूमि है जिस पर फसल होती है उन्हें सालाना रुपए छह हजार मात्र की दर से सीधी आमदनी का समर्थन मिलेगा। इसके लिए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट में रुपए 75 हजार करोड़ मात्र रखा गया है। भारत सरकार की ओर से दी गई इस सुविधा का लाभ उन बारह करोड़ छोटे और हाशिए पर पहुंचे किसानों को उनके बैंकों में रुपए दो हजार मात्र की दर से तीन तिमाही किश्तों में दिया जाएगा। यह राशि पहली दिसंबर 2018 से जुडऩी शुरू होगी और 31 मार्च 2019 तक की अवधि की पहली किश्त इसी साल अदा कर दी जाएगी।
मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने मछली मंत्रालय (डिपार्टमेंट ऑफ फिशरीज) बनाने का फैसला लिया है। सरकार का इरादा है कि लगभग 1.45 करोड़ लोगों के जीवन यापन में सात फीसद से ज़्यादा की बढ़ोतरी हो सकेगी।
सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए रुपए 750 करोड़ मात्र चालू साल के लिए तय किए हंै। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन किया जाएगा जिससे उत्पादन बढ़े और गायों की वंशवृ़िद्ध हो। आयोग गायों के कल्याण और कानूनों को प्रभावशाली तौर पर अमल में लाएगा।
असंगठित क्षेत्र के दस करोड़ श्रमिकों और मजदूरों के लिए बतौर पेंशन प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन के तहत एक नई लाभदायक पेंशन योजना घोषित की गई है। वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अगले पांच साल में यह दुनिया की सबसे बड़ी पेंशन योजना के तौर पर गिनी जाएगी। इस योजना के तहत रुपए पांच सौ करोड़ मात्र की व्यवस्था की गई है। इस योजना को अमल में लाते हुए अतिरिक्त धन की यदि ज़रूरत हुई तो उसे भी उपलब्ध कराया जाएगा। यह योजना इसी साल से शुरू हो जाएगी।
टैक्स संबंधी लाभ
आयकर देने वाले ऐसे लोग जिनकी सालाना आय रुपए पांच लाख मात्र तक होगी उन्हें कोई आयकर नहीं देना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जिनकी कुल आमदनी रुपए 6.50 लाख मात्र होगी उन्हें भी कोई आयकर नहीं देना होगा। बशर्ते वे भविष्य निधि (प्राविडेंट फंड) बचत और बीमा आदि में उनका निवेश है।
आवास पर लिए गए कजऱ् पर ब्याज बशर्ते यह रुपए दो लाख मात्र हो , शिक्षा कजऱ्, नेशनल पेंशन स्कीम निवेश, चिकित्सा बीमा और वरिष्ठ नागरिकों पर हुए चिकित्सा खर्च पर भी 2019-20 के अंतरिम बजठ में आयकर सहूलियतें दी गई हैं। करों में रुपए 18,500 करोड़ मात्र का लाभ प्रस्तावित हैं । इससे मझोले वर्ग और कर अदा करने वाले स्वंयसेवी, छोटे व्यापार धंधे, छोटे व्यापारी, वेतन कामगार, पेंशनर्स और वरिष्ठ नागरिकों को कर में राहत मिलेगी।
व्यक्तिगत तौर पर जिनकी सालाना आय रुपए पांच लाख मात्र हैं उन्हें कर से पूरी तौर पर छूट मिलेगी। उन्हें कोई आयकर देने की ज़रूरत नहीं है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, पिछले साढ़े चार साल में हमने जो कर संग्रह किए और कर का जो आधार जांचा-परखा उसमें खासी बढ़ोतरी दिखी है। इससे ‘माडरेट टैक्सशन हाई कांप्लाएंस’ उपलब्धि हुई है। ऐसे में ज़रूरी है कि कर सुधारों से हासिल लाभ से मझोली आमदनी वालों को राहत दी जाए।
ऐसे वेतनभोगी लोगों की वेतन से कटौती चालू रुपए 40 हजार मात्र से बढ़ाकर रुपए 50 हजार मात्र की जा रही है। इससे तीन करोड़ वेतनभोगियों और पेंशनर्स को रुपए 47 सौ करोड़ का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
इसी तरह स्त्रोत पर आयकर में कटौती बैंक व पोस्ट आफिस में रुपए दस हजार मात्र से बढ़ा कर रुपए 40 हजार कर दी गई है। इससे छोटे जमाकर्ताओं और रोजग़ार न करने वालों को लाभ होगा। मकान के किराए में टैक्स की कटौती भी एक लाख अस्सी हजार से दो लाख चालीस हजार कर दी गई है जिससे छोटे करदाताओं को राहत मिले।
वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार ने मकान खरीदने वालों को भी टैक्स में राहत दी है। उन पर जीएसटी का जो दबाव है उसे कम करने पर सोचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी देने वालों को हर तिमाही रिटर्न दाखिल करने की सुविधा दी जाएगी। इस संबंध में जल्दी ही मंत्री समूह और जीएसटी कौंसिल की बैठकों में फैसला लिया जाएगा।
मकान मालिकों को राहत
दूसरा मकान जहां मकान मालिक रहता हो वहां हो रही आय से टैक्स में राहत मिलेगी । अभी व्यवस्था है कि यदि किसी के पास खुद रहने के मकान के अलावा भी मकान है तो उससे आने वाले किराए पर टैक्स लगता था । वित्त मंत्री ने कहा कि मझोले वर्ग के लोगों को नौकरी के चलते दो स्थानों पर मां-बाप की देखरेख में कठिनाई होती थी। इसलिए आयकर
कानून का धारा 54 के तहत लाभ एक की बजाए दो आवास में दो करोड़ रुपए मात्र है। निवेश पर आयकर दाता को छूट मिलेगी।
मंहगाई
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार को कामयाबी हासिल हुई है कि वह पिछले पांच साल में महगाई का औसत 4.6 फीसद कम कर सकी है। यह किसी भी और सरकार के दौर की तुलना में कम है। दिसंबर 2018 में तो महंगाई की दर महज 2.19 फीसद थी। यदि हमने महगाई पर काबू नहीं पाया होता तो हमारे परिवार आज 35-40 फीसद से ज्य़ादा का खर्च, भोजन, यात्रा, आवास आदि पर नहीं कर पाते। पिछले पांच साल यानी 2009-2014 मेें तो मंहगाई की औसत दर 10.1 फीसद थी।
विकास और विदेशी निवेश
हम लोग 2013-14 में विश्व अर्थव्यवस्था में 11वें स्थान पर थे। लेकिन आज हम दुनिया में छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।
आज भारत में पिछले पांच साल में 239 बिलियन डालर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) हुआ है। ज्य़ादातर एफ डीआई के लिए ज्य़ादा भागदौड़ नहीं करनी पड़ी। यह अपने आप आई।
मनरेगा(एमजीएजआईजीए)
मनरेगा के लिए 2019-20 में रुपए 60 हज़ार करोड़ का बजट प्रावधान है। मंत्री ने बताया कि यदि और ज्य़ादा ज़रूरत हुई तो अतिरिक्त व्यवस्था की जाएगी।
आयुष्मान भारत
दुनियाभर में सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत के तहत देश के पचास करोड़ लोगों की चिकित्सा के लिए समुचित व्यवस्था इस बजट में की गई है। अब तक दस लाख मरीजों को मुफ्त इलाज से काफी लाभ हुआ है।
लाखों गरीब और मझोले आय वर्ग के लोगों को प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर समुचित कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। देश में 21 एआईआईएमएस की स्थापना की 2014 से घोषिणाएं हुई हैं। इनमें 14 पूरी तरह से काम कर रहे हैं। 22वां एआईआईएमएस हरियाणा में खुलने को है।
रक्षा बजट
पहली बार देश का रक्षा बजट तीन लाख करोड़ से भी ऊपर का है। रुपए 3,05,296 करोड़ मात्र की व्यवस्था 2019-20 के बजट अनुमान में है। इसके पहले रुपए 2,82,733 करोड़ मात्र की व्यवस्था की गई है। लेकिन 2018-19 में संशोधित आंकलन किया गया था उसमें यह राशि पहली बार देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से रक्षा बजट 2019-20 में तीन लाख करोड़ से भी ज्य़ादा का है।
अन्य
वित्तमंत्री ने कहा कि देश में मोबाइल टेलिफोन की दरें शायद दुनिया भर में कम हैं। पिछले पांच साल में मोबाइल डाटा का उपयोग पचास गुणा हुआ है। डाटा और वॉयस कॉल की दरें काफी कम हैं। आज मेक इन इंडिया के तहत मोबाइल और उसके कलपुर्जों को बनाने वाली कंपनियों दो की बजाए 268 हो गई हैं। इनमें नौकरी की अपार संभावनाएं हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि जन धन अधिकार मोबाइल (जेएएम) और डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांस्फर से से समाज में खासा बदलाव दिखायें।
बैंकों का राष्ट्रीयकरण करीब पचास साल पहले हुआ। लेकिन ज्य़ादातर बैंक अधिकांश जनता से बैंकिंग कारोबार से जुड़े नहीं थे। पिछले पांच साल के जनधन बैंक खाते खोले गए। वित्तमंत्री ने कहा, आधार पर लगभग सारे देश में अमल हो चला है। इस से गरीब और मझोले तबके के लोगों को सीधे सरकारी योजनाओं का लाभ उनके बैंक अकाउंट में पहुंचता है।
देश के मनोरंजन उद्योग को नौकरी प्रदान करने वाला बड़ा क्षेत्र बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय फिल्म निर्माताओं की समस्याओं का हल एक ही खिड़की पर अब होगा। यह सुविधा पहले विदेशी फिल्म निर्माताओं को हासिल थी। अब यह भारतीय फिल्म निर्माताओं को भी हासिल होगी।
उन्होंने घोषणा की, फिल्म निर्माण और पाइरेसी को रोकने के लिए ऐसी नियायक व्यवस्थाएं की गई हैं जिसके तहत खुद ही की गई घोषणाओं पर जांच-पड़ताल होगी।
प्रतिक्रिया
पूर्व केद्रीय वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कहा कि यह बजट वोटों की खातिर ही है। अंतरिम वित्तमंत्री ने हमारी याद्बाश्त में सबसे बड़ा अंतरिम बजट भाषण पेश किया है। यह बजट तो चुनावी प्रचार का बजट था। ऐसा करके सरकार ने परंपरा तोड़ी है।
सरकार ने गौओं को याद किया और उनके कल्याण के लिए रुपए 750 करोड़ मात्र नियत किए है। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए रुपए 3000 मात्र की पेंशन का वादा किया है। जब वे 60 साल की उम्र में होंगे। इसके लिए रुपए 500 करोड़ मात्र नियत किए गए हैं। यदि ये चीजें वाकई महत्वपूर्ण थीं तो सरकार पांच साल तक इन योजनाओं के लिए घोषणाएं क्यों नहीं कर सकीं।
इस तरह सरकार ने छोटे-मझोले किसानों की आमदनी के लिहाज से रुपए 6000 मात्र सालाना की व्यवस्था की है। सवाल फिर यह भी उठता है कि शहरी गरीबी के लिए क्या कोई ऐसी योजना नहीं चाहिए। किसानों के लिए योजना का मैं स्वागत करता हूं लेकिन इसके लिए जो धनराशि तय की गई है वह कम है। इससे किसानों को तो मदद कम मिलेगी। असली लाभ तो जमींदारों और किसानों को कजऱ् देने वाले साहूकारों को होगा। मैं यह जानना चाहूंगा कि कैसे यह धन भूमि-लाभ किसानों और कृषि मजदूरों तक पहुंचाएगा जो वाकई ज़मीन जोततें हैं फसल उगाते हैं और बाज़ार तक उसे पहुंचाते हैं।
उन्होंने कहा प्रत्यक्ष कर रियायतों सरकार की अधिकार सीमा के बाहर है क्योंकि 100 दिन बाद नई सरकार सत्ता में आएगी।