पीएम मोदी के २० लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा के बाद शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि इस समय प्रवासी मजदूरों और किसानों को कर्ज की नहीं, नकद पैसे की जरूरत है। उन्होंने पैकेज के तरीके को लेकर कहा कि ”मां बच्चे को कर्ज नहीं देती, उसके साथ खड़ी होकर उसकी मदद करती है”। राहुल ने मोदी सरकार से कहा कि विदेश को देखकर नहीं देश को देखकर फैसले कीजिये।
राहुल गांधी ने शनिवार को ५० क्षेत्रीय पत्रकारों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिएबातचीत में कोरोना महामारी के दौरान सड़कों पर दुर्दशा झेल रहे किसान और मजदूरों को लेकर मोदी सरकार को जमकर लताड़ा।
राहुल ने कहा – ”कोरोना वायरस से जुड़े हालात आप सभी को पता है और कुछ दिन पहले सरकार ने कुछ कदम उठाए। मैं सरकार से विनती करता हूं कि आप कर्ज जरूर दीजिए लेकिन भारत के बच्चों के लिए साहूकार मत बनिए। सड़क पर चलने वाले प्रवासियों की जेब में पैसे दीजिए। सड़क पर चलने वाले लोग भारत का भविष्य हैं। ये बाते मैं एक राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं बोल रहा। सरकार को आर्थिक पैकेज पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि ”जब बच्चे को चोट लगी हो तो मां उसे कर्ज नहीं देती बल्कि उसके साथ खड़ी रहती है। जो प्रवासी रोड पर हैं उसे कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है। किसानों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत है।”
गांधी ने जोर देकर कि किसानों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर कीजिए। ये सभी हमारा भविष्य हैं। हमारी रेटिंग को किसान, छोटे उद्यमी, मजदूर बनाते हैं। आप विदेश के बारे में मत सोचिए आप इन लोगों के बारे में सोचिए। हमें हिंदुस्तान के दिल को देखकर फैसला लेना है। मैं बहुत प्यार से प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि वे भारत के लोगों के बारे में सोचें, विदेश के बारे में नहीं।”
उन्होंने कहा कि हमें लॉकडाउन को बहुत समझदारी, ध्यान से और होशियारी से हटाना है। उन्होंने कहा कि देश के एक आर्थिक तूफ़ान के सामने है। आने मुश्किल हो सकते हैं।