संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में आज देश भर के किसानों ने केन्द्र सरकार द्वारा थोपे गये, तीन कृषि कानूनों के विरोध में काले झण्डे फहराये। किसानों का कहना है कि 26 नवम्बर 2020 से किसान दिल्ली के बार्डरों पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन सरकार ने किसानों की मांगों को नहीं माना है। किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान आंदोलन को 26 मई को पूरे 6 महीनें हो गये है। लेकिन सरकार ने किसानों की एक बात को नहीं माना है। उन्होंने कहा कि किसान कोरोना काल में कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुये, देश भर का किसान काले झण्डे लगाकर विरोध कर रहे है। राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों का आंदोलन ना तो रूका है और तब तक नहीं रूकेगा जब तक कृषि कानून वापस नहीं हो जाते है। उन्होंने कहा कि अब किसानों का आंदोलन और तेज इसलिये होगा क्योंकि किसानों ने अपनी गेंहू की फसल काट ली और किसान फिलहाल खेती –किसानी के फ्री है।
किसान नेता जगत नारायण का कहना है कि कोरोना काल में किसानों ने किसानों को कोरोना बीमारी से बचाने के लिये किसान आंदोलन थोड़ी कम हुआ था। लेकिन बंद नहीं हुआ था। अब किसानों का आंदोलन तेज होगा। और देश के कोने-कोने में किसान सरकार की किसान विरोधी नीतियों से किसानों और जनता को अवगत कराएगें। ताकि केन्द्र सरकार की जन विरोधी और किसान विरोधी नीतियों को देश के सामने लाया जा सकें। किसान शिव पाल का कहना है कि सरकार की दमन कारी नीतियों के चलते देश में कोरोना फैला है। कोरोना का इलाज देने में सरकार असफल रही है। किसान को कमजोर करने के लिये और आंदोलन को कुचलने के लिये सरकार ने तामाम प्रयास किये है। लेकिन किसानों की एकता के सामने सब, सरकार की साजिशें नाकाम रही है।उन्होंने कहा कि ये आंदोलन तो तब तक चलेगा जब तक मांगों को नहीं मान लिया जाता है।हजारों की संख्या में किसानों ने सरकार की दमन कारी नीतियों को लेकर नारे बाजी कर विरोध जताया है।