किसानों के आगे झुकी सरकार, पीएम मोदी का कृषि क़ानून वापस लेने का ऐलान

किसानों के लम्बे लेकिन दृढ़ संघर्ष के आगे झुकते हुए आखिर गुरु पूर्व जैसे महत्वपूर्व दिन मोदी सरकार ने वे तीनों कृषि क़ानून वापस लेने का ऐलान किया है, जिनका किसान संघर्ष समिति जबरदस्त विरोध कर रही थी। दिलचस्प यह है कि आंदोलन के दौरान भाजपा के ही कुछ लोग आंदोलनकारी किसानों को ‘खालिस्तानी और आंदोलन को ‘देश विरोधी’ बताते रहे थे। यहाँ तक की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने आज यह क़ानून वापस लेने की बात कही है, लगातार कहते रहे थे कि कृषि क़ानून वापस नहीं लिए जाएंगे। बता दें साल भर के कृषि आंदोलन के दौरान 750 से ज्यादा किसानों की शहादत हुई है।

उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले निश्चित ही भाजपा ने यह बड़ा दांव चला है। उधर किसान संघर्ष समिति के नेता राकेश टिकैत ने कहा – ‘जब तक सरकार संसद में क़ानून वापस नहीं लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।’

भाजपा किसानों की एकता को देखते परेशान थी। उत्तर प्रदेश में उसे साफ़ तौर पर अपना राजनीतिक नुक्सान होता दिख रहा था। भाजपा की बैठकों में यह फीड बाइक लगातार आ रहा था कि किसानों से व्यवहार हो रहा है उससे न सिर्फ किसानों बल्कि सिख समुदाय मन बहुत गलत सन्देश जा रहा था।

पीएम ने आज क़ानून वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा – ‘मैं आज देशवासियों से माफी मांगते हुए कृषि क़ानून  ऐलान करता हूँ। शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण हम किसानों को समझा नहीं पाए। आज गुरु पूर्व है। दिए के प्रकाश जैसा सत्य है। हमने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय किया है। इसी संसद सत्र के दौरान कृषि क़ानून वापस लेने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया पूरा करने का काम करेंगे। किसान अब आंदोलन वापस लें। वे खेत में लौटें, परिवार के बीच लौटें।’

इस बीच कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में किसानों की शहादत लेकर अब यह क़ानून वापस लिए हैं। हम किसानों को उनके अपनी मांगों के प्रति दृढ़ बने रहने के लिए बधाई देते हैं।