किसानों के आंदोलन को लगभग एक महीना होने को जा रहा है। किसान और सरकार के बीच अभी कृषि कानून को लेकर जो दांव- पेंच का खेल चल रहा है। उससे देश की अर्थव्यवस्था को जरूर बट्टा लग रहा है।
किसान धरमबीर सहोता का कहना है कि एक ओर तो सरकार किसान को देश की शान और अन्नदाता कहती है और तामाम तरह के दायित्व थोपती है। लेकिन अधिकारों की बात आती है तो, किसानों के अधिकारों से वंचित किया जाता है। जैसा कि अब किया जा रहै है। उनका कहना कि सरकार ने किसानों को आश्वासन देकर उनकी सदैव उपेक्षा की है। किसानों के बीच सरकार तोड़-फोड़ की राजनीति कर रही है।
किसान चन्द्रपाल का कहना है कि जब तक, कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता है। तब तक वो, आंदोलन करते रहेगे। किसानों के साथ सरकार भेदभाव वाली राजनीति कर रही है।उनका कहना है कि देश भर के किसानों का गुस्सा ये सरकार सहन नहीं कर पायेगी। अभी आंदोलन हो रहा है। आमरण अनशन हो रहे है। सरकार हल्कें में ले रही है पर जिस दिन देश का किसान अपने अधिकारों के खातिर चक्का जाम, रेल रोको और उग्र धरना-प्रदर्शन करेगा, तब सरकार को किसानों की एकता का मालूम पता लगेगा।