संयुक्त किसान मोर्चा का मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद शुरू हो गया है। कल से ही इसे दिल्ली से लेकर केरल तक समर्थन मिलता दिख रहा है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित लगभग पूरे विपक्ष के अलावा कई गैर राजनीतिक, कर्मचारी और अन्य संगठनों ने इसे समर्थन का ऐलान किया है। कई जगह सड़क और रेल मार्ग बंद हैं और दुकानें भी किसानों के समर्थन में बंद रखी गयी हैं। फिलहाल किसी अप्रिय घटना की अभी कोई जानकारी नहीं है।
अभी तक की जानकारी के मुताबिक देश के कई हिस्सों में बंद है। वहां यातायात पर बंद का असर दिख रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भाकियू के राकेश टिकैत ने आज सुबह देश के लोगों का आह्वान किया है कि वे इस बंद को समर्थन दें। उन्होंने कहा कि बंद शाम 4 बजे तक चलेगा और जनता दोपहर के बाद ही बाहर जाएं ताकि उन्हें किसी तरह की परेशानी न झेलनी पड़े।
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने नागरिकों से किसान-विरोधी मोदी सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक भारत बंद में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि समाज के विभिन्न वर्गों ने भारत बंद को समर्थन देने का संकल्प किया है। किसान संगठन तीव्र लामबंदी के प्रयास कर रहे हैं।
टिकैत ने आज के बंद को व्यापक समर्थन मिलने का दावा करते हुए कहा कि इससे जाहिर होता है कि आम जनता किसानों के साथ और मोदी सरकार के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि कई उत्तर भारतीय राज्यों में काले झंडे के विरोध का सामना कर रहे भाजपा नेताओं के अलावा, केंद्रीय मंत्रियों को भी स्थानीय काले झंडे के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने एक ब्यान में कि किसानों का विरोध हमारी अर्थव्यवस्था पर कॉर्पोरेट कब्जे को रोकने, राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा, भारतीय संघ को बचाने, लोकतंत्र को बचाने और भारत की एकता की रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बन चुका है। एसकेएम ने बंद के दिन मजदूरों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यवसायियों, छात्रों, युवाओं और महिलाओं के सभी संगठनों और सभी सामाजिक आंदोलनों से किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की विशेष रूप से अपील की।
मोर्चा ने कहा – ‘हम सभी राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों का भी आह्वान करते हैं, जिनमें से कई ने हमारे पहले के आह्वान का समर्थन किया है और आंदोलन का समर्थन करने वाले प्रस्ताव पारित किए हैं, इस भारत बंद को अपना समर्थन दें और लोकतंत्र और संघीय सिद्धान्तों की रक्षा के लिए किसानों के साथ खड़े हों। हमारी स्थापित नीति का पालन करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा नहीं करेंगे।’
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने 27 सितंबर को एसकेएम के भारत बंद को समर्थन देते हुए भारत सरकार से विरोध कर रहे किसानों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत फिर से शुरू करने और 2020 के किसान-विरोधी कानूनों को रद्द करने का भी आग्रह किया है।