केन्द्र सरकार द्वारा थोपे गये, तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक साल से अधिक समय तक किसानों ने देश भर आंदोलन कर विरोध जताया और तीनों कृषि कानून के वापस होने तक आंदोलन को जारी रखा है। कानून वापस होने के बाद भी किसान आंदोलन को समाप्त करने को लेकर असमंजस में है।
बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन तो जरूर था । लेकिन इस में सियासी लोग पर्दे के पीछे सियासत करते रहे है। किसान आंदोलन को समाप्त कराने से लेकर अब किसानों के बीच दो-फाड़ कराने के लिये सियासत साफ देखी जा रही है।
जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन को समाप्त करने के पीछे सरकार की मंशा साफ दिखी कि सरकार किसानों को ना-खुश नहीं करना चाहती है। इसलिये सरकार ने एक साल तक देख लिया कि बिना कानून वापस लिये बात नहीं बनेगीं, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कानून वापस करने की बात कहीं और संसद से कृषि कानून बिल को वापस करवाया।
कृषि कानून बिल वापस होने से देश के किसान तो खुश हो गये किंतु किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले किसानों के बीच इस समय किसान आंदोलन को पूरी तरह समाप्त करने के लिये आपसी में रस्साकशी चल रही है कि आंदोलन को समाप्त किया जाये या नहीं?
किसान आंदोलन से जुड़े किसान नेता बलबेन्द्र सिंह ने बताया कि किसान आंदोलन को समाप्त कराने के पीछे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का हाथ रहा है। अब केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार और भाजपा के वरिष्ठ नेता और अमरिंदर सिंह किसानों को साफ संदेश दे रहे है कि किसानों की मांगों को पूरा मान लिया गया है। किसान आंदोलन को समाप्त कर किसान अपने घरों में जाये।
वहीं किसान आंदोलन को धार देने वाले व पूरे आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत की अब किसान नेताओं द्वारा अनदेखी की जा रही है। सरकार की ओर से कोई बड़ा नेता किसी भी मुद्दे पर राकेश टिकैत से बात नहीं कर रहा है। इससे किसान नेता राकेश टिकैत काफी नाराज है।
राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस नहीं हो जाते है साथ ही मृतक किसानों को मुआबजा व एमएसपी जैसे मामलें हल नहीं हो जाते है। तब तक आंदोलन को समाप्त नहीं होना चाहिये।