पिछले कुछ दिनों से श्रीलंका के नौसैनिकों द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों की गिरफ्तारी, उसपर भारत सरकार के एतराज और तमिलनाडु में आक्रोश की खबरें सुर्खियों में हैं. और इस पूरी हलचल की वजह से श्रीलंका का काछाथीवू द्वीप फिर से चर्चा में आ चुका है. रामेश्वरम से तकरीबन 10 मील दूर भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित 280 एकड़ का यह बंजर द्वीप एक समय भारतीय क्षेत्र में शामिल था.
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि काछाथीवू मद्रास प्रांत के राजा रामनद की जमींदारी के अंतर्गत आता था. रामनद ने यहां एक चर्च का निर्माण करवाया था. तमिलनाडु के मछुआरे दशकों से यहां मछली पकड़ने और जाल सुखाने आते रहे हैं. हालांकि 1920 के आस-पास मद्रास प्रांत और तत्कालीन सीलोन सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत में सीलोन ने काछाथीवू पर अपना अधिकार जताया था.
हालांकि दोनों देशों की आजादी के बाद सालों तक यह मुद्दा प्रमुखता से कहीं नहीं उठा. काछाथीवू सरकारी दस्तावेजों में भारत का हिस्सा बना रहा और यह स्थिति 1974 तक कायम रही. इस समय श्रीलंका में श्रीमाओ भंडारनायके प्रधानमंत्री थीं. और यही वह दौर था जब वे अपने राजनीतिक जीवन के सबसे मुश्किल दौर में थीं. इस साल उन्होंने भारत की यात्रा की. कहा जाता है वे इंदिरा गांधी की काफी करीबी थीं. उनकी इस यात्रा के दौरान ही काछाथीवू को विवादित क्षेत्र मानते हुए एक समझौते के तहत श्रीलंका को सौंपा गया था. भंडारनायके के लिए यह समझौता अपनी राजनीतिक ताकत दोबारा हासिल करने का जरिया बना तो भारत सरकार की सोच थी कि इससे दोनों देशों के मैत्री संबंध प्रगाढ़ होंगे. समझौते में प्रावधान किया गया था कि तमिलनाडु के मछुआरे काछाथीवू के आसपास आगे भी बेरोकटोक मछली पकड़ सकते हैं.
1976 में भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा तय करने के लिए एक और समझौता हुआ. इसमें प्रावधान था कि श्रीलंका समुद्र के विशेष आर्थिक क्षेत्र में भारतीय मछुआरों को मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होगी. इसमें पहले के प्रावधान पर कोई स्पष्टीकरण नहीं था. हालांकि इस समझौते के बाद भी तमिलनाडु के मछुआरे काछाथीवू के आस-पास मछली पकड़ने का काम करते रहे. लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान श्रीलंका नौसेना ने इस पर आपत्ति जताते हुए कई मछुआरों को हिरासत में लिया है. कुछ नौसेना की गोलीबारी में मारे भी गए. इसको देखते हुए हाल ही में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि ने सर्वोच्च न्यायालय में काछाथीवू द्वीप श्रीलंका से वापस लेने के लिए एक याचिका दाखिल की थी. इसके बाद से यह मामला दोनों देशों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
-पवन वर्मा