२०१९ के चुनाव से पहले दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पार्टी के महाधिवेशन में शनिवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने कैडर में नई जान फूंकने का काम किया। पार्टी ने दुबारा बैलट पेपर से चुनाव करवाने की मांग कर देश को यह सन्देश देने की कोशिश की कि ईवीएम में गड़बड़ हो रही है और भाजपा इसके पीछे है। साथ ही २०१९ के लोक सभा चुनाव के लिए विपक्ष का बड़ा गठजोड़ बनाने की संभावनाओं का संकेत भी दिया।
इस अधिवेशन से यह भी संकेत मिला कि सोनिया गांधी विपक्ष को एकजुट करने की सबसे बड़ी शक्ति हैं और सम्भवता वही इस रोल को निभाएंगी भले अपने भाषण में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के नाते पूरी तरजीह देकर यही सन्देश देने की कोशिश कि राहुल ही अब पार्टी के सत्ता केंद्र हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पार्टी लगातार तरजीह दे रही है जिससे यह संकेत भी मिलते हैं कि यदि २०१९ में ज़रुरत पड़ी और सेहत ने इजाजत दी तो कांग्रेस एक रणनीति के तहत मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के तौर पर आगे कर सकती है। सोनिया ने अपने भाषण में जिस तरह मोदी सरकार पर हमला किया, विपक्ष को एकजुट होने का इशारों ही इशारों में संकेत किया, अपने शब्दों में पार्टी के अभिभावक होने की गंभीरता दिखाई, उससे जाहिर हो गया कि वे राजनीति में कमसे काम २०१९ के चुनाव तक तो सक्रिय रहेंगी ही।
राहुल गांधी की अध्यक्षता में पार्टी का यह पहला अधिवेशन है और इसमें २० हजार से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हैं। महाधिवेशन इस लिहाज से भी ख़ास है कि यह आठ साल बाद हो रहा है। राहुल गांधी के भाषण के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी भाषण दिया। भाषण को पूरा करने के बाद सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को गले लगाया। इस दौरान वहां मौजूद सभी कांग्रेसियों ने तालियां बजाईं।
राहुल के बाद दोपहर सोनिया गांधी ने अपने भाषण में मोदी सरकार पर हमला किया। सोनिया ने कहा – ”आज मैं निराश और दुख महसूस करती हूं कि मोदी सरकार यूपीए की कल्याणकारी योजनाओं को कमजोर बना रही है। आतंकवाद से लड़ने, समग्र विकास सुनिश्चित करने का प्रधानमंत्री मोदी का वादा सब ड्रामेबाजी था, सत्ता हथियाने की चाल था। सबका साथ, सबका विकास’ और ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ इस सरकार के किए वादे कुछ नहीं बल्कि ‘ड्रामा’ थे। वोट पाने के लिए उनकी रणनीति थी।”
अपने भाषण में सोनिया ने राहुल के नेतृत्व को एस्टब्लिश करने की कोशिश की। कहा – ”सबसे पहले, मैं राहुल गांधी को बधाई देती हूं कि उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय में पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।
पार्टी की जीत राष्ट्र की जीत होगी, यह हम में से हर एक की जीत होगी। कांग्रेस एक राजनीतिक शब्द नहीं है, यह एक आंदोलन है। चिकमगलूर में इंदिराजी की चालीस साल पहले आश्चर्यजनक जीत ने भारतीय राजनीति को बदल दिया। एक बार फिर हमारी पार्टी को इसी तरह का प्रदर्शन करना होगा।”
उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि आप सभी जानते हैं कि मैंने सार्वजनिक क्षेत्र में किस प्रकार परिस्थितियों में प्रवेश किया था, लेकिन जब मुझे एहसास हुआ कि पार्टी कमजोर है, कांग्रेसियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, मैंने राजनीति में प्रवेश किया।
उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाएगी। सोनिया गांधी ने कहा कि मोदी सरकार यूपीए की योजनाओं को कमजोर कर रही है। मौजूदा सरकार सभी तरीकों के जरिए कांग्रेस को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है लेकिन कांग्रेस न कभी झुकी है और न झुकेगी। गांधी ने कहा कि कुर्सी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झूठी नारेबाजी की है और इसका कांग्रेस पार्टी उन्हें सबक सिखाएगी। विपक्ष की आवाज को मोदी सरकार दबाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाएगी। ”मोदी सरकार यूपीए की योजनाओं को कमजोर कर रही है. मौजूदा सरकार सभी तरीकों के जरिए कांग्रेस को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है लेकिन कांग्रेस कभी न झुकी है और न झुकेगी।”
गांधी ने कहा कि सत्ता के भय और मनमानी से मुक्त भारत, पक्षपात मुक्त भारत, प्रतिशोध मुक्त भारत, अंहकार मुक्त भारत बनाने के लिए हर कुर्बानी के लिए हमें तैयार रहना होगा। ”हमारा नाता महान पार्टी से है, ऐसी पार्टी जो पूरे देश से जुड़ी है।” सोनिया ने कहा लोगों के दिलों में अब भी कांग्रेस बसी है और ऐसी पार्टी की अध्यक्षता करने पर मुझे गर्व है। कहा कि ”मैं उन राज्यों के कार्यकर्ताओं की सच्चे दिल से तारीफ करना चाहती हूँ, जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं है।” कहा कि तमाम तरह के अत्याचारों का सामना करके भी वे डटे हुए हैं।
उनसे पहले राहुल ने कहा कि आज देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है। देश को बांटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने अधिवेशन में बदलाव की बात की और कहा कि भाजपा गुस्से की राजनीति करती है हम प्यार की राजनीति करते हैं। राहुल ने कहा कि हमारा काम जोड़ने का है। यह हाथ का निशान (कांग्रेस चुनाव चिन्ह) ही देश को जोड़ सकता है। देश को आगे ले जा सकता है। राहुल ने कहा कि उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस निशान की शक्ति आप पार्टी प्रतिनिधियों के भीतर है। हम सबको, देश की जनता को मिलकर देश को जोड़ने का काम करना होगा। उन्होंने कहा कि महाधिवेशन का लक्ष्य कांग्रेस और देश को आगे का रास्ता दिखाने का है। ”आज देश थका है। रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश की जा रही है। किसानों युवाओं को रास्ता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस देश को रास्ता दिखाने का काम करेगी। हम बीते हुए वक्त को भुलते नहीं हैं।”
गौरतलब है कि इसी १३ मार्च को दिल्ली में सोनिया गांधी ने विपक्ष के नेताओं को अपने घर डिनर पर बुलाया था जिसमें माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, सपा, जदएस, राजद सहित 20 विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया था। बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इस रात्रिभोज में राकांपा के शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, सपा के रामगोपाल यादव, बसपा के सतीशचंद्र मिश्र, राजद से मीसा भारती और तेजस्वी यादव, माकपा से मोहम्मद सलीम, भाकपा से डी राजा, द्रमुक से कनिमोझी, शरद यादव, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, एआईयूडीएफ, झामुमो के हेमंत सोरेन, रालोद के अजित सिंह, आईयूएमएल के कुट्टी, जेवीएम के बाबूलाल मरांडी, आरएसएपी के रामचन्द्रन, भारतीय ट्राइबल पार्टी के शरद यादव, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा जीतनराम मांझी, जदएस के कुपेन्द्र रेड्डी के अलावा केरल कांग्रेस के प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया था जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, एके एंटनी मौजूद थे।
सोनिया गांधी के इस रात्रिभोज को २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ मजबूत मोर्चा खड़ा करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। कहा जाता है कि सोनिया ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश पर जोर दिया।