भले केंद्र सरकार कश्मीर में हालात बेहतर होने की दावे कर रही हो, ज़मीनी हकीकत यह है कि घाटी में पिछ्हले तीन दिन में तीन लोगों की ह्त्या कर दी गयी है। यह सभी बाहरी लोग हैं जो काम के सिलसिले में कश्मीर में थे। पिछले करीब एक हफ्ते में आतंकियों ने कुल ४ लोगों की हत्या की है।
आतंकी एक स्ट्रेटेजी के तहत बाहरी लोगों को निशाना बना रहे हैं। आतंकियों ने १४ से १६ अक्टूबर के बीच तीन लोगों की ह्त्या कर दी है। एक हफ्ते पहले शोपियां में आतंकियों ने एक सेब व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद उन्होंने १४ अक्टूबर को शोपियां में राजस्थान के ट्रक ड्राइवर को गोली मार कर हलाक कर दिया।
सिलसिला यहीं नहीं थमा। आतंकियों ने पुलवामा में भी छत्तीसगढ़ के एक प्रवासी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी। ईंट-भट्ठे में मजदूरी करने वाले सेठी कुमार सागर छत्तीसगढ़ के बेसोली इलाके के रहने वाले थे। सागर जब एक अन्य नागरिक के साथ टहल रहे थे तभी काकपोरा रेलवे स्टेशन के पास निहामा इलाके में आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर के परिवार को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
अब बुधवार को शोपियां में आतंकियों ने दो पंजाबी व्यापारियों को गोली मार दी। इनमें एक की मौत हो गई जबकि दूसरा गंभीर रूप से जख्मी है और उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। मृतक की पहचान चरणजीत सिंह के रूप में हुई है, जो पंजाब के फाजिल्का का रहने वाला था।
इस बीच पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करके बताया है कि शोपियां में आतंकवादियों के हाथों शहीद हुए चरणजीत सिंह के शव को उनके पैतृक गांव फाजिल्का लाने के लिए सरकार जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के संपर्क में है। सीएम ने लिखा – ”पाकिस्तानी आतंकवादियों को नृशंस हमलों को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। भारत सरकार कड़ी कार्रवाई करे।”
इन घटनाओं के अलावा आतंकियों ने शोपियां के शिरमाल गांव में सेब की बागबानी करने वाले बागबान के साथ भी मारपीट की थी। मृतक की पहचान शरीफ खान के रूप में की गई थी।
फारूक की बहन, बेटी रिहा
प्रताप पार्क में धारा ३७० हटाने के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की बहन और बेटी समेत अन्य महिला प्रदर्शनकारियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। अब्दुल्ला की बहन सुरैया, उनकी बेटी साफिया और ११ अन्य महिलाओं को धारा १०७ के तहत १० हजार रुपये के निजी मुचलके और ४० हजार रुपये की जमानत राशि का भुगतान करने के बाद रिहा किया गया। इन लोगों को केंद्रीय जेल श्रीनगर में बंद रहने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जमानत दी।