चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से ऐन पहले कश्मीर पर दिए उनके ब्यान पर भारत में विवाद हो गया है। कांग्रेस ने इस ब्यान की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया है कि क्यों नहीं भारत चीन से तिब्बत और हांगकांग के बारे में बात करता है।
गौरतलब है कि चीन दौरे पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदगी में चीन ने जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के नियमों के पालन की बात कही है। चीन के इस ब्यान के बाद भारत में नाराजगी पैदा हुई है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि उनकी नज़र जम्मू-कश्मीर पर है।
अब कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस मसले पर केंद्र सरकार से सवाल किया और कहा कि क्यों नहीं, भारत चीन से तिब्बत, हांगकांग के बारे में बात करता है। एक ट्वीट में तिवारी ने गुरुवार को लिखा – ”अगर शी जिनपिंग कह रहे हैं कि उनकी नज़र जम्मू-कश्मीर पर है, तो प्रधानमंत्री या विदेश मंत्रालय क्यों नहीं कहता है कि भारत हांगकांग में हो रहे लोकतंत्र को लेकर प्रदर्शन को देख रहा है। शिंजियांग में हो रहे मानवाधिकार के उल्लंघन, तिब्बत की स्थिति और साउथ चाइना पर चीन की दखल पर हिंदुस्तान नज़र बनाए हुए है।”
चीन दौरे पर पहुंचे पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की मौजूदगी में चीन ने जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के नियमों के पालन की बात कही है। शी जिनपिंग के भारत आने से ऐन पहले चीन ने जम्मू-कश्मीर को लेकर अपने बयान पर पलटी मारी है। पहले चीन ने कहा था कि ”जम्मू-कश्मीर के मसले पर भारत-पाकिस्तान को आपस में बात करनी चाहिए।”
इमरान खान के चीन पहुंचते ही चीन ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि चीन जम्मू-कश्मीर के मसले पर करीब से नज़र बनाए हुए हैं। चीन की इस टिप्पणी पर भारत ने कड़ा विरोध जताया और कहा कि कश्मीर का मसला भारत का आंतरिक मुद्दा है ऐसे में कोई दूसरा देश इसपर बयान न दे तो बेहतर होगा।
यह भी दिलचस्प है कि कुछ ही दिन पहले अमेरिका ने भी उइगर मुसलमानों को चीन में दबाने का आरोप लगाया था। इस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। लेकिन खुद चीन कश्मीर पर बोल रहा है। सवाल तो पाकिस्तान पर भी उठ रहा है कि मुस्लिम एकता की बात तो बहुत करता है लेकिन चीन में उइगर मुसलमानों के मसले पर वह खामोश बैठा है।
मनीष तिवारी का ट्वीट –
@ManishTewari
Xi Jingping says he is watching Kashmir but why does @PMOIndia/MEA not say 1) We are watching Pro Democracy protests muzzled in Hong Kong. 2 )We are watching human rights violations in Xinjiang. 3 )We are watching continued oppression in Tibet 4 )We are watching South China Sea.