पिछले तीन दशक में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी मुहिम के अगुआ हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन हो गया है। गिलानी हमेशा पाकिस्तान के समर्थक रहे।
गिलानी सोपोर से तत्कालीन जम्मू कश्मीर विधानसभा के लिए तीन बार विधायक भी चुने गए थे। साल 2008 के चर्चित अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद उभरे विरोध प्रदर्शनों का गिलानी बड़ा चेहरा बने और इसके बाद हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन में वे संस्थापक सदस्य थे। बाद में उससे अलहदा होकर 2000 में गिलानी ने तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया जबकि उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कांफ्रेंस को छोड़ दिया था।
गिलानी खुद को कश्मीर की लड़ाई का अगुआ कहते थे। उनकी मौत पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया है। केंद्र सरकार ने हाल में हुर्रियत कांफ्रेंस पर प्रतिवंध लगाने की घोषणा की थी। उनकी मौत पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत के खिलाफ ट्वीट किया है जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इमरान सरकार को लताड़ लगाई है।
दरअसल इस ट्वीट में गिलानी के मौत का जिक्र करते हुए कहा – ‘कश्मीर की आज़ादी के आंदोलन के मशाल वाहक सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर पाकिस्तान शोक जताता है। गिलानी ने भारतीय कब्जे की नजरबंदी के तहत आखिर तक कश्मीरियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्हें शांति मिले और उनकी आजादी का सपना साकार हो।’
हालांकि, कुरैशी के ट्वीट के बाद कांग्रेस ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान पर हमला किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट करके कहा -‘मिस्टर कुरैशी आपने वास्तव में जिहाद के नाम पर निर्दोष कश्मीरियों को कट्टरपंथी बनाने के लिए भारत में काम करने वाली अपनी खुफिया एजेंसी का एक प्रतिनिधि खो दिया। निर्दोष कश्मीरियों की हत्या के लिए आपका देश और आपके सभी प्रतिनिधि इतिहास में दर्ज होंगे।’
गिलानी के निधन पर कश्मीर में अलगाववादियों ने अफ़सोस जताया है। पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने गिलानी के निधन पर शोक जताया है। उधर मुख्य धारा की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने ट्वीट में कहा – ‘हम भले ही ज्यादातर चीजों पर सहमत नहीं थे, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके भरोसे पर अडिग रहने के लिए उनका सम्मान करती हूं।’