बैंकों के निजीकरण और विनिवेश संबंधी फैसलों के विरोध में बैंक कर्मचारीयों की 2 दिन की हड़ताल जारी है, जिसके बीच आज वित्त मंत्री सीतारमण का बयान आया है कि सभी बैंको को निजीकरण नही किया जायेगा।
निर्मला सीतारमण ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि देश के सभी बैंको को निजीकरण नहीं किया जाएगा बलकि जिन बैंकों का निजीकरण होगा, उनके सारे कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी। सरकार ने बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी, हालांकि इनके नाम अभी नही बताये गये है।
गौरतलब है कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के तले दो दिन की हड़ताल जारी है जिसमें नौ बड़ी बैंक यूनियन शामिल हैं। हड़ताल के चलते 15 और 16 मार्च को बैंक सेवांए बाधित रहेगी।
सीतारमण के मुताबिक, दो बैंकों के निजीकरण का निर्णय सोचा-समझा फैसला है। इसमें किसी प्रकार की कोई जल्दबाजी नहीं है। सरकार चाहती हैं कि बैंक देश की आकांक्षाओं पर खऱे उतरें। वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि बैंकों के सभी मौजूदा कर्मचारियों के हितों की रक्षा हर कीमत पर की जाएगी।
सीतारमण ने स्पष्ट किया है जिन बैंकों का निजीकरण होना भी है, निजीकरण के बाद भी ये बैंक पहले की तरह काम करते रहेंगे. इसमें स्टॉफ के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा.
सीतारमण ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत वित्तीय फंडिंग के साथ विकास कार्य सुनिश्चित किया जाएगा।
सीतारमण के अनुसार पहले भी निवेश फंड बनाने के प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन लंबे समय का जोखिम देखते हुए कोई भी बैंक इसमें हाथ डालने को तैयार नहीं था।
वित्त मंत्री के मुताबिक, पिछले बजट में हमने कहा था कि बुनियादी ढांचे और विकासपरक योजनाओं की फंडिंग के लिए एक नेशनल बैंक गठित किया जाएगा. सरकार विकासपरक वित्तीय संस्थानों के लिए कुछ सिक्योरिटीज (प्रतिभूति) भी जारी करने पर विचार कर रही है. इससे लागत कम होगी. इससे डीएफआई को प्रारंभिक पूंजी जुटाने और अन्य स्रोतों से पैसा इकट्ठा करने में मदद मिलेगी. इसका बॉन्ड मार्केट में भी सकारात्मक असर देखने को मिलेगा.