संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के करनाल जिले में आज महापंचायत के बाद अपना आंदोलन जारी रखते हुए मिनी सचिवालय का घेराव कर लिया है और बड़ी संख्या में किसान वहां डटे हुए हैं। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से प्रशासन की बातचीत नाकाम रही। जिला प्रशासन ने पहले ही शहर में धारा 144 लगा दी है और करनाल सहित पांच जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है।
हज़ारों किसान पुलिस का घेरा तोड़ते हुए मिनी सचिवालय पहुँच गए जहाँ उन्होंने उसका घेराव जारी रखा हुआ है। उनपर पुलिस ने पानी की बौछार की लेकिन किसान वहां डटे रहे। वरिष्ठ किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि प्रशासन के साथ संयुक्त मोर्चा की बातचीत नाकाम हो गई क्योंकि वे हमारी मांगों पर सहमत नहीं थे। किसानों पर 28 अगस्त को हुए पुलिस के लाठीचार्ज के विरोध में करनाल में महापंचायत करने और मिनी सचिवालय का घेराव करने के लिए बड़ी संख्या में किसान जुटे हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है। सिन्हा कथित तौर पर एक टेप में पुलिस कर्मियों को प्रदर्शन कर रहे किसानों के ‘सिर तोड़ने’ के लिए कहते सुनाई दे रहे हैं। संगठन ने सिन्हा को बर्खास्त करने की भी मांग की है।
उधर आज शाम पुलिस ने संयुक्त किसान मोर्चा के कई नेताओं को सचिवालय जाने की कोशिश में हिरासत में ले लिया। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। मोर्चा के सभी नेताओं को नमस्ते चौक से हिरासत में लिया गया था।
लघु सचिवालय का घेराव करने के कार्यक्रम से एक दिन पहले प्रशासन ने जिले में सोमवार को लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया था और मोबाइल इंटरनेट सेवा को निलंबित कर दिया गया था। हरियाणा सरकार ने करनाल से सटे चार जिलों कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और पानीपत में भी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं सोमवार दोपहर 12:30 बजे से लेकर मंगलवार मध्य रात्रि तक बंद रखने का आदेश दिया है।
मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि करनाल में किसानों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। एक ट्वीट में टिकैत ने कहा कि करनाल में सरकार किसानों की बात नहीं सुन रही। या तो खट्टर सरकार मांग माने या हमें गिरफ्तार करे। हम हरियाणा की जेलें भरने को भी तैयार हैं।
एक और नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि बताया कि करनाल प्रशासन के साथ किसानों के साथ बातचीत विफल हो गई। पुलिस ने मोर्चा के कई नेताओं को हिरासत में लिया था। बाद में पुलिस ने उन सभी को छोड़ दिया।
याद रहे किसानों के बड़ी संख्या में जुटने के बीच स्थानीय प्रशासन ने उनकी मांगों पर चर्चा करने और उन्हें सचिवालय की ओर मार्च करने से रोकने के लिए उनके 11 नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया था। हालांकि, वरिष्ठ किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि प्रशासन के साथ उनकी बातचीत विफल हो गई क्योंकि वे हमारी मांगों पर सहमत नहीं थे।
किसानों की मांग है कि घरौदा ब्लॉक के किसान सुशील काजल जो विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई लाठी चार्ज से पहले घायल हुए और बाद में दिल का दौरा पड़ने से जिनकी मौत हो गई, उनके परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और उनके बेटे को नौकरी दी जाए, करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और जो लोग प्रदर्शन के दौरान घायल हुए उन्हें 2 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।