मध्य प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप हो गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कुछ देर पहले एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बहुमत नहीं है, इसलिए वे अपना इस्तीफा राज्यपाल को देने जा रहे हैं।
प्रेस कांफ्रेंस में कमलनाथ ने अपने १५ महीने शासन में दर्ज उपलब्धियों का जिक्र किया। साथ ही यह भी कहा कि इस दौरान उनपर या उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। उन्होंने कहा कि भाजपा उनकी सरकार के बेहतर कामकाज से बेचैन थी और इसे गिराने की काफी समय से कोशिश कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक मुख्यमंत्री कमलनाथ को आज शाम ५ बजे तक फ्लोर टेस्ट के जरिये बहुमत साबित करना था। हालांकि, कमलनाथ ने इससे पहले करीब प्रेस कांफ्रेंस करके अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने २३ विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने की जानकारी दी । इनमें एक भाजपा विधायक शरद पॉल का इस्तीफा भी शामिल है। स्पीकर ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में विधायकों के इस्तीफे से वे दुखी हैं। कमलनाथ ने अपने विधायकों के साथ एक बैठक भी की। हालांकि, अभी तक वे बहुमत का दावा करते रहे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समर्थक अब बहुत जोश में हैं। उनके मुताबिक उनके नेता चौहान ही दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का भी ब्यान आया है जिसमें उन्होंने पहली बार स्वीकार किया है कि कमलनाथ सरकार खतरे में है।