झारखंड एकेडमिक काउंसिल में फैली अराजकता का आलम यह है कि परीक्षा के नतीजे दो बार घोषित किए गए जिससे सारे टॉपर तक बदल गए. सीबीएसई बोर्ड में जो छात्र फेल था वह यहां का टॉपर बन गया. राज्य के शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम, जिनका बेटा और बेटी इस साल लगातार दूसरी बार फेल हो गए हैं, अनुपमा को बता रहे हैं कि काउंसिल की अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह इन सारी गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार हैं
झारखंड बोर्ड का रिजल्ट सुबह कुछ और था, शाम को कुछ और हो गया. यह गड़बड़ी कैसे हुई?
यह झारखंड एकेडमिक काउंसिल की लापरवाही है. इसी कारण कभी टॉपरों की लिस्ट बदल दी जाती है तो कभी टॉपर को फेल कर दिया जाता है, एक ही विद्यार्थी दो-दो जगहों से परीक्षा दे देते हैं. इन गड़बडि़यों को हम ठीक करके रहेंगे. पर पहले अधिकारियों पर कार्रवाई की जरूरत है.
विभाग आपका है, कार्रवाई तो आप ही को करनी है.
सरकार अपने तरीके से एक्शन लेती है. हमने सरकार को सही तथ्यों से अवगत करा दिया है. कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है.जेएसी की अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह से आपकी पुरानी तकरार है. पिछले साल भी आप उन्हें हटाने की बात कर रहे थे पर आज तक उन्हें शोकॉज नोटिस तक जारी नहीं हो सका? अगर मेरे हाथ में होता तो कब का हटा चुका होता. यह मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है कि वे कब कार्रवाई करते हैं.
मुख्यमंत्री आपकी बात सुनते क्यों नहीं है?
मुझे नहीं पता वे क्या सोच रहे हैं. लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. किसी को मनमानी करने की छूट लोकतंत्र में नहीं दी जा सकती.
आपका पुत्र और पुत्री लगातार दूसरी बार फेल हो गए. कहीं वे जानबूझकर निजी खुन्नस तो नहीं निकाल रही हैं?
यह निजी बात है. बेहतर होता कि एक जांच टीम बनाकर जांच होती. एक शिक्षक का बेटा फेल नहीं होता. एक अधिकारी का बेटा सीबीएसई में फेल हो गया और जेएसी में टॉपर बन गया. चाहता तो मैं भी ऐसा कर सकता था. लेकिन मैं बेईमानी से शिक्षा हासिल करने के पक्ष में नहीं हूं. मैंने अपने पद और रुतबे का कभी दुरुपयोग नहीं किया है.
तो क्या आप अपने बच्चों की कॉपी का पुनर्मूल्यांकन करवायेंगे?
इस मामले में भी काउंसिल अध्यक्ष ने अनियमितता बरती है. मेरे बच्चों ने सामान्य पुनर्मूल्यांकन का आवेदन दिया लेकिन उनकी कॉपियों की स्पेशल स्क्रूटनी की गई. क्या जेईसी अध्यक्षा बताएंगी कि किस अधिकार के तहत उन्होंने ऐसा किया है. काउंसिल में ऐसी गड़बडि़यों का अंबार है. स्क्रूटनी करने वाले लोग खुद अयोग्य हैं.
आपको इतनी शिकायतें हैं काउंसिल अध्यक्ष से. आपने इस्तीफे तक की धमकी दी. क्या उन्हें हटाया जाएगा?
मैंने सरकार से साफ-साफ कहा है कि इन्हें अविलंब हटाया जाए. इससे राज्य का अहित हो रहा है. आज यदि सर्वेक्षण करवा लिया जाए तो राज्य के अस्सी फीसदी से ज्यादा लोग उन्हें पद से हटाने के पक्ष में हैं. इस महिला के कारण काउंसिल की विश्वसनीयता खत्म हो गयी है.
एक अधिकारी के सामने विभाग का मंत्री इतना बेबस क्यों है?
हमारी सरकार कमजोर है इसलिए. जब तक स्थाई और स्थिर सरकार नहीं बनेगी, ब्यूरोक्रेसी हावी रहेगी. वे राज्य को अपने हिसाब से चलाते रहेंगे. जब मंत्री को अधिकार ही नहीं रहेगा तो भला अधिकारी क्यों उसकी बात सुनेगा.
झारखंड का शिक्षा विभाग आए दिन अजब-गजब करतबों और आपसी तकरार के कारण ही चर्चा में रहता है. कुछ सकारात्मक योजना भी है इसके पास?
हमारी प्राथमिकता है कि पहले शिक्षकों को स्कूल तक पहुंचाएं. जो सीटें खाली पड़ी हैं उन्हें भरा जाए. जल्द ही हम यह कानून बनाने जा रहे हैं कि किसी भी शिक्षक को कम से कम दस साल ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर रहना होगा. इसके अलावा कोई भी शिक्षक अब एक ही स्कूल में दस साल से ज्यादा किसी भी हाल में नहीं रह पाएगा.