दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने गुरुवार को सीएए आंदोलन के समय दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए के तहत आरोपी बनाए गए ‘पिंजड़ा तोड़’ की दो सदस्यों देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की वह अर्जी खारिज कर दी है जिसमें उसने तीनों आरोपियों के पते के सत्यापन के लिए और समय मांगा था। कोर्ट ने अपने आदेश में रिलीज वारंट तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया। उधर रिहाई में देरी को लेकर यह दोबारा हाई कोर्ट पहुंचे हैं।
बता दें दिल्ली हाई कोर्ट ने तीनों को जमातन दे दी थी लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया था। हाईकोर्ट के फैसले को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है और हाईकोर्ट के फैसले पर विचार करने की मांग की है। दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने यूएपीए के तहत तीनों नताशा, आसिफ और कालिता को जमातन दे दी थी।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से प्रमाणन के लिए 21 जून तक का समय मांगा था। तिहाड़ जेल में इन तीनों की रिहाई के लिए वारंट भेज दिए गए हैं। यह आदेश इन तीनों के तुरंत रिहाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट की शरण में जाने के बाद आया है।
याद रहे 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में देवंगाना कलिता, नताशा नरवाल और जामिया मिलिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दी थी। उन्हें देश से बाहर नहीं जाने का आदेश अदालत ने दिया था। तीनों को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि ‘विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है’।
नताशा, देवंगाना और , दिल्ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्य हैं और आसिफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया का छात्र है। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हिंसा में कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया था।