कश्मीर में ऊँचाई पर रहने वाले खानाबदोश बकरवाल का दिल चूरचूर हो गया था जब उसे पता चला कि उसकी आठ साल की बच्ची के साथ एकमंदिर में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था।
पठानकोट के सेशन कोर्ट के जस्टिस डा. तेजविंदर सिंह ने सांझीराम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सज़ा दी। साथ ही इन परएकएक लाख का जुर्माना भी लगाया। पुलिस कर्मियों आनंददत्ता, तिलक राज और सुरेंद्र कुमार को पांचपांच साल की सज़ा और
50-50 हजार का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने सांझीराम के बेटे विशाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
पिछले साल दस जनवरी को कठुआ के गांव रसाना में बच्ची का अपहरण हुआ था। सात दिन बाद उसकी क्षतविक्षत लाश मिली। पुलिस ने एकनाबालिग समेत आठ लोगों पर पिछले साल अप्रैल में चार्जशीट दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2018 में यह मामला जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजने काफैसला किया था।
पुलिस चार्जशाीट के अनुसार सांझीराम के मन में बकरवाल समुदाय के लोगों से चिढ़ थी। उसने औरों को साथ लेकर अपहरण और दुष्कर्म को अंजामकिया। बच्ची को वे नशे का इंजेक्शन देदेकर यातनाएं देते थे। उसे खूब मारापीटा गया। पुलिस कर्मियों ने भी इन अपराधियों का साथ दिया। यहां तकविशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया ने तो डेढ़ लाख रुपए लेकर मामले को दबाने का आश्वासन दिया और बेहोश बच्ची से दुष्कर्म भी किया।
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनिया गुटेरेस ने जम्मूकश्मीर की इस बच्ची के अपहरण, जबरन नशा, दुष्कर्म और मार-पीट व यातनाओं को बेहदवीभत्स और डरावना बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रशासन इसमें उचित न्याय करेगा।
भाजपा समर्थक मीडिया (पिं्रट और टीवी) लगातार इस हादसे के होने से ही इंकार करता रहा। भाजपा के दो नेता चंद्रप्रकाश गंगा और चौधरी लालसिंह को हिंदू एकता मंच के प्रदर्शन में शामिल होने पर मंत्रिमंडल से हटना पड़ा।