कंपनियों को किसी उत्पाद के बारे में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ ही विनिर्माण लागत की भी जानकारी देनी चाहिए। यह सुझाव दिया है रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल के एक सदस्य सतीश मराठे ने।
‘‘समय आ गया है कि कंपनियों को उत्पाद के एमआरपी के साथ ही विनिर्माण लागत की भी जानकारी देनी चाहिए। ऐसा होगा तभी हम जान सकेंगे कि उन्हें कितना मुनाफा हो रहा है,” उन्होंने कहा। मराठे को केंद्र सरकार ने अगस्त में रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल में नियुक्त किया था।
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कंपनियों द्वारा किये जा रहे भारी मुनाफे को सीमित करने की बात की।
उन्होंने बताया कि पाइपलाइन से गैस की आपूर्ति करने वाली एक कंपनी ने आवासीय इलाकों में गैस आपूर्ति का समझौता हाल ही में 16 प्रतिशत मुनाफा के साथ किया।
उन्होंने कहा कि इस तरह का मुनाफा सिर्फ शुरुआती दिनों में तार्किक है। उन्होंने आश्चर्य जाहिर किया कि जब खपत बढ़ जाती है तब इतना भारी मुनाफा कैसे उचित है।
भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मराठे ने मुक्त व्यापार समझौतों से किसी देश को फायदा होने पर भी आश्चर्य जाहिर किया।
उन्होंने घरेलू उद्योग के हितों की बेहतर रक्षा के लिये मुक्त व्यापार समझौतों पर विचार करने की भी मांग की।