देश–दुनिया में कोरोना के नये स्वरूप ओमिक्रोन को लेकर हड़कंप मचा है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रोन को लेकर डरने की जरूरत नहीं बल्कि इससे लड़ने की जरूरत है।
दिल्ली स्टेट के प्रोग्राम आफिसर डॉ भरत सागर का कहना है कि कोरोना जब 2020 में आया था। तब लोगों में डर था। क्योंकि तब यह नई बीमारी थी। विशेषज्ञों के पास जानकारी का अभाव था। लेकिन अब इसका इलाज है। साथ ही लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है वैक्सीनेशन हो रहा है। वैक्सीनेशन से व्यक्ति की इम्युनिटी पावर बढ़ी है।
डॉ भरत सागर का कहना है कि कोई भी बीमारी से अगर डरेगें तो, इलाज कराने में देरी होगी। इसलिये समय पर इलाज करवायें। जिस प्रकार कोरोना बीमारी से लड़ने के लिए सावधानियां अपनार्इ थी ठीक उसी प्रकार इस बीमारी से भी लड़ने के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बेहद जरूरी है। जिससे की संक्रमण का आदान-प्रदान न हो सकें।
आईएमए के पूर्व संयुक्त सचिव डॉ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिये वैक्सीनेशन जैसे अभियान में तेजी लायी जाये। क्योंकि जिस प्रकार अफ्रीका में केवल दस प्रतिशत लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया है इसीलिए कोरोना के नए स्वरूप ओमीक्रोन का कहर अफ्रीका में तेजी से बढ़ा है।
नेशनल मेडिकल फोरम के चेयरमैन डॉ प्रेम अग्रवाल का कहना है कि ओमिक्रोन से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। लड़ने का मतलब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क अवश्य लगाये और सबसे अहम् सर्दी जुकाम, खांसी होने के साथ अगर बुखार आता है। तो इसका तुरंत इलाज करवाये। क्योंकि ये लक्षण जरूरी नहीं है कि कोरोना के ही हो। इसलिये कोरोना ओमिक्रोन से डरें नहीं बल्कि बचाव करें।