
हरियाणा पुलिस ने 5–20 नवंबर, 2025 के बीच राज्यभर में “ऑपरेशन ट्रैकडाउन” शुरू किया है। मकसद साफ है—गोलीबारी से जुड़े भगौड़ों की पहचान करके उन्हें जल्दी से जेल भेजना और आगे अपराध रोकना। आदेश में जिम्मेदारी, समय-सीमा और काम का तरीका साफ बताया गया है। इस ऑपरेशन का समन्वय IG क्राइम राकेश आर्य करेंगे। कोई भी नागरिक उनसे सीधे मोबाइल नंबर +91 90342 90495 पर सूचना दे सकता है। पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
आदेश के मुताबिक जिनकी पहचान नहीं हुई है, उनकी पहचान करें। जिनकी पहचान हो गई है लेकिन वे फरार हैं, उन्हें पाताल से भी ढूंढ निकालें और गिरफ्तार करें। जो आरोपी जमानत पर बाहर हैं, उनकी हिस्ट्री शीट खोलें। अगर वे फिर से अपराध में सक्रिय हैं, तो उनकी जमानत रद्द कराने की कार्रवाई करें। जहां अपराध सुनियोजित तरीके से हो रहा है, वहां संगठित अपराध की सख्त धाराएं लगाएं। अपराध से कमाई गई संपत्ति को चिन्हित कर जब्त करें। जो लोग ऐसे अपराधियों को प्रश्रय, संरक्षण या फंडिंग दे रहे हैं, उन पर भी सख्त कानूनी कार्रवाई करें।
जवाबदेही साफ है। SHO और DSP अपने-अपने क्षेत्र में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सीधे जिम्मेदार होंगे। हर थाना/उपमंडल अपनी “सबसे बदनाम 5” अपराधियों की सूची बनाएगा और उन्हें जेल भेजेगा—गिरफ्तारी, सरेंडर या जमानत रद्दीकरण के जरिए। इसी तरह हर जिला और जोन “सबसे बदनाम 10” की सूची बनाएंगे। इसके नतीजों के लिए SP/DCP/CP जिम्मेदार होंगे। राज्य स्तर पर STF “सबसे बदनाम 20” की सूची तैयार करेगा और उनकी धर-पकड़ के लिए व्यापक ऑपरेशन चलाएगा।
आदेश में यह भी कहा गया है कि इन सूचीबद्ध अपराधियों को आगे अपराध करने से रोकना और पुराने अपराधों के लिए कानून के सामने जवाबदेह ठहराना जरूरी है। अगर ये आगे भी अपराध करते हैं, तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। मतलब, केवल गिरफ़्तारी नहीं, बल्कि रोकथाम और मजबूत कानूनी कार्रवाई—दोनों पर बराबर जोर है।
पड़ोसी राज्यों से मिलकर काम होगा। पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली व चंडीगढ़ के साथ समन्वय कर सीमावर्ती इलाकों में चेकिंग, संयुक्त कार्रवाई और कस्टडी ट्रांसफर तेज किए जाएंगे। लक्ष्य यह है कि फरार अपराधी राज्य बदलकर बच न निकलें।
इस ऑपरेशन की भाषा और तरीका सरल और सीधा है। फोकस दिखावे पर नहीं, बल्कि काम के नतीजों पर है—कितने गिरफ्तार हुए, किन मामलों में जमानत रद्द हुई, कहां संगठित अपराध की धाराएं लगीं, कितनी संपत्ति जब्त हुई, और क्या नई वारदातें रोकी गईं। नागरिकों के लिए IG क्राइम का नंबर साझा करना इस बात का संकेत है कि पुलिस सूचना को महत्व दे रही है और पहचान की गोपनीयता सुनिश्चित करेगी।
“सबसे बदनाम 5/10/20” की सूची सिर्फ कागज नहीं, बल्कि प्राथमिकता तय करने का टूल है। इससे संसाधन और समय वहीं लगेंगे जहां जोखिम सबसे ज्यादा है। थानों को पहचान, तलाश और गिरफ्तारी—तीनों मोर्चों पर साथ काम करना होगा। पहचान में CCTV फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड, स्थानीय सूचनाएं और ट्रांजिट पॉइंट की निगरानी मदद करेगी। जमानत रद्द कराने के लिए ताजा गतिविधियों के रिकॉर्ड और साक्ष्य के साथ अदालत जाना होगा। जहां नेटवर्क और फंडिंग दिखे, वहां संगठित अपराध की धाराएं लगेंगी और संपत्ति जब्ती होगी, ताकि दोबारा अपराध करने की ताकत टूटे।
यह भी साफ संकेत है कि हर स्तर पर नाम लेकर जिम्मेदारी तय की जा रही है—किस SHO/DSP के इलाके की “सबसे बदनाम 5” सूची में कौन-कौन हैं, जिला/जोन की “सबसे बदनाम 10” का स्टेटस क्या है, STF की “सबसे बदनाम 20” पर कितनी प्रगति हुई। 16 दिनों में गिरफ्तारी, अदालत में दायर याचिकाएं, वारंट की तामील और सीमाओं पर समन्वित कार्रवाई जैसे सूचकांकों से सफलता मापी जाएगी।
ऑपरेशन के अंत में इस्तेमाल किए गए हैशटैग—#HotOnYourTrail, #NoPlaceToHide, #OperationTrackdown, #कानून_करेगा_अपना_काम—भगोड़ों के लिए चेतावनी भी हैं और लोगों के लिए भरोसा भी कि कानून अपना काम करेगा, समय पर और साक्ष्यों के साथ।
फिलहाल दिशा साफ है: “सबसे बदनाम” अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी, उनके नेटवर्क पर कानूनी नकेल, पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर तेज कार्रवाई, और नागरिकों से मिली सूचना का सुरक्षित इस्तेमाल।



