अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून २०१८ की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार के संशोधनों को बरकरार रखने के हक़ में आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहाँ मोदी सरकार पर हमला बोलै है वहीं भाजपा की सहयोगी लोक जन शक्ति पार्टी ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इसमें दखल दे क्योंकि पार्टी इस फैसले से सहमत नहीं है।
याद रहे सुबह सर्वोच्च अदालत ने मोदी सरकार के साल २०१८ में एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कानून में कई संशोधन किए थे। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम २०१८ की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई अदालत सिर्फ ऐसे ही मामलों पर अग्रिम जमानत दे सकती है, जहां प्रथमदृष्टया कोई मामला नहीं बनता हो।
उच्चतम न्यायालय का यह फैसला एससी-एसटी संशोधन अधिनियम २०१८ को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर आया है। तीन जजों की पीठ में दो-एक से यह फैसला कोर्ट ने सुनाया है। बेंच ने कहा कि अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए शुरुआती जांच की जरूरत नहीं है और इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंजूरी की भी आवश्यकता नहीं है। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने सहमति वाले एक निर्णय में कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह-नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा। न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि प्रथमदृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद्द कर सकती है।
जस्टिस रवींद्र भट ने कहा, ”प्रत्येक नागरिक को सह नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा। अगर प्रथम दृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता, तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद्द कर सकती है।”
अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा – ”भाजपा और आरएसएस दोनों की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। आरएसएस के डीएनए को चुभता है आरक्षण, आरक्षण को हम कभी मिटने नहीं देंगे।” राहुल गांधी ने कहा भाजपा और आरएसएस आरक्षण के खिलाफ हैं। भाजपा और आरएसएस की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। वे कभी नहीं चाहते हैं कि एससी/एसटी सुधरे या आगे बढ़े। वे संस्थागत ढांचे को तोड़ रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। मैं एससी/एसटी/ओबीसी और दलितों से कहना चाहता हूं कि हम आरक्षण को कभी खत्म नहीं होने देंगे चाहे कितना भी मोदी जी या मोहन भागवत का सपना देखें इसका।”
उधर भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लजेपी) ने भी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है। पार्टी ने ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति मिल रहे आरक्षण के लाभों को इसी तरह से जारी रखने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एलजेपी अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने केंद्र सरकार से दखल की मांग की है।
पासवान ने कहा – ”सात फरवरी, २०२० को दिये गए निर्णय, जिसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी और पदोन्नति में आरक्षण के लिए बाध्य नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी इससे सहमत नहीं है।”