अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने 2017 में दिल्ली और अन्य राज्यों से आने वाले उन मरीजों के बीच अध्ययन करवाया था। जो इलाज के दौरान पैसों के अभाव में काफी परेशान रहते थे। तभी एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने केन्द्र सरकार से यह सिफारिश की थी कि मरीजों को राहत के तौर पर 500 रूपये की निशुल्क जांच मिलनी चाहिये।
लेकिन एम्स का यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार में लटका रहा। अभी हाल में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने एम्स में दौरा किया था। तब भी इसी बात से केन्द्रीय मंत्री को इस प्रस्ताव से अवगत कराया था। इसके बाद डाँ मांडविया ने एम्स की व्यवस्थाओं में सुधार के लिये एक समिति के जरिए जांच करने के निर्देश दिये थे।
एम्स के डॉ शिव चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने 500 रूपये तक की जांच निशुल्क करने की सिफारिश की थी। इसी सिफारिश पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा ये अनुमति दी गयी कि मरीजों को 500 रूपये तक की सभी चिकित्सीय जांच निशुल्क उपलब्ध होगी। इस फैसले के बाद एम्स में खून की जांच, एक्सरे, सीटी स्कैनव सहित 500 रूपये के भीतर आने वाली सभी जांच निशुल्क होगी। साथ ही मरीजों को जांच रिपोर्ट उसी दिन आँनलाईन उपलब्ध करायी जायेगी। एम्स के डाँक्टरों का कहना है कि वैसे तो मरीजों को एक हजार तक जांच फ्री होनी चाहिये।
देश के अधिकतर गरीब मरीज ही एम्स में इलाज कराने को आते है। एम्स में मरीजों की अधिक संख्या होने की वजह से उन्हें कई-कई दिनों तक एम्स में अन्य जांचों के लिये रूकना पड़ता है। जिससे उनका आर्थिक और काम का नुकसान होता है। एम्स प्रशासन और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अभी और सुधार करने पर विचार करना। चाहिये ताकि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें मिल सकें।