अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में अगस्त माह में आग की लपटों की तपिश अभी कम भी नहीं हुई और न ही लपटों के निशान अभी मिटे हैं, पर ऐसा क्या है कि जो आग लगने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं उनको दो साल का एक्सटेंशन दिये जाने की तैयारी एम्स प्रशासन और केन्द्र सरकार कर रही है। अगर आग लगने के जिम्मेदार अफसरों व कर्मचारियों को प्रोत्साहन के तौर पर दो साल एम्स में नौकरी का अवसर मिलता है तो ऐसे में एम्स के उन कर्मचारियों का विरोध तेज होगा जो आग लगने के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर हैं। जब एम्स में 17 अगस्त को आग लगी थी तब पूरे देश से इलाज कराने आने वाले मरीजों के सामने विकट समस्या पैदा हो गई थी कुछ मरीज तो आग लगने के कारण अपॉइंमेंट होने के वाबजूद इलाज कराने तक नहीं आ सके थे। हज़ारों मरीजों के रक्त के नमूने जो लिए गऐ वो सब बर्वाद हो गये थे, भर्ती मरीजों को इलाज के दौरान काफी दिक्कत हुई। ऐसे हालात हुए कि एम्स के सीनियर डाक्टरों के ऑफिस भी बंद हुए और उनके कमरों में रखे मरीजो के कागजात भी खाख हो गये थे। डाक्टरों को ओपीडी में मरीजों को देखने में दिक्कत हुई। मौजूदा हालात ये हैं कि डाक्टरों के कमरों की मरम्मत का काम अभी चल रहा है।
एम्स प्रशासन ने माना था कि आग लगने की घटना प्रबंधन की बड़ी लापरवाही है। सबसे चैकानें वाली बात ये सामने आयी है कि घटना के दौरान शैक्षणिक ब्लॉक के आस पास लगे फायर इंस्टिूग्यूसर खाली पड़े थे। ऐसे में अब भी तमाम लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं। डाक्टरों और कर्मचारियों का कहना है कि आग बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं थे, जब आग लगी थी और अब भी ऐसे ही हालात दिख रहे है। अगर आग जैसी कोई घटना सामने आती है तो एम्स का फायर विभाग उसी हालत में खड़ा दिखेगा जैसा कि अगस्त माह में दिखा था क्योंकि एम्स के डाक्टरों का कहना है कि एम्स में इलाज के साथ-साथ एम्स में राजनीति भी जमकर होती है। ऐसे में राजनीतिक लोगों से संबंध होने के कारण कुछ अधिकारी जमकर फायदा लेते है और वे उस काम की जिम्मेदारी हथियां लेते है जिसके लिये उनके पास न तो अनुभव होता है और न ही कोई शैक्षणिक योग्यता जिसके कारण अनहोनी होना स्वाभाविक है। यह सारे का सारा काम उप सुरक्षा अधिकारी संभाल रहे थे। एम्म में आग बुझाने के लिए लगभग 110 कर्मचारियों की टीम है। फिर भी फायर सेफ्टी के कर्मचारी आग को बुझाने में असफल रहे। एम्स के आग बुझाने में लगे एक कर्मचारी ने नाम गोपनीय रखने पर बताया कि एम्स में फायर विभाग में धांधली का आलम ये है कि कोई छोटी सी आग की घटना को महत्व ही नहीं देता है। जिसे दिन आग लगी थी तब कुछ कर्मचारी ऑन स्पॉट ड्यूटी पर ही नहीं थे आग का धुआं जब एम्स परिसर में फैलने लगी तब कुछ कर्मचारियों को तो फोन कर बुलाया गया था। आग बुझाने के लिए पम्प व हाइडेलिक सिस्टम भी है। फिर भी आग बुझाने के दौरान कोई काम न आ सके। ऐसे में तमाम लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई तो दूर बल्कि प्रोत्साहन कर उनको दो साल का एक्सटेंशन यानि दो साल की नौकरी का अवसर दिये जाने की तैयारी की जा रही है।