दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव को लेकर दिल्ली में हर रोज सियासत तेज होती जा रही है। भले ही अभी चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन एमसीडी के चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की आहट सुनी जा रही है।
बताते चलें एमसीडी के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आप पार्टी मुख्य रूप से चुनाव मैदान में होगीं। लेकिन लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की तरह एमसीडी के चुनाव में कांग्रेस अपने खोये हुये जनाधार का वापस लाने का प्रयास भर करेगी। जबकि मुख्य मुकाबला भाजपा और आप पार्टी के बीच ही होगा।
दिल्ली के सियासतदानों का कहना है कि अगर भाजपा उत्तर प्रदेश के चुनाव में शानदार जीत हासिल करती है और सरकार बनाती है। तो उसका असर एमसीडी के चुनाव पर पड़ेगा और भाजपा के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। क्योंकि उत्तर प्रदेश, दिल्ली से सटा हुआ राज्य है। इस लिहाज से भाजपा की जीत का असर देखने को मिलेगा।
यदि भाजपा किसी कारण वश सरकार बनाने में असफल होती है। तो दिल्ली में आप पार्टी के लिये चुनाव एक तरफा हो सकता है। क्योंकि आप पार्टी की नीतियों में फ्री की राजनीति का दबदबा है। लोगों ने बिजली–पानी और महिलाओं को फ्री में बस की यात्रा का लाभ मिला है। इसलिये आप पार्टी एक बड़े वर्ग के लिये सही साबित हो रही है।
दिल्ली की राजनीति के जानकार के डी पाठक का कहना है कि अब राजनीति में आरोप–प्रत्यारोपों का कोई खास महत्व नहीं रह गया है। क्योंकि राजनीति में मौजूदा दौर में कोई भी नेता ऐसा नहीं जो दूध का धुंला हो। सो जनता अब आरोपों पर ध्यान नहीं देती है। मतदाता तो अपना लाभ देखकर उसी पार्टी को वोट करता है। जिससे उसको लाभ मिलना है या लाभ मिला हो। मौजूदा दौर में एमसीडी चुनाव पर उत्तर प्रदेश की सियासत हावी है। क्योंकि आप पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के नेता उत्तर प्रदेश के चुनावी रैलियों में है। वहीं से एमसीडी के चुनाव की जीत हार का तानाबाना बुन रहे है।