कांग्रेस, टीएमसी और अन्य कुछ दलों के जबरदस्त विरोध के बीच एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने के मोदी सरकार के फैसले को शुक्रवार को चुनौती दी गयी गयी है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने इन परीक्षाओं को लेकर पहले केंद्र सरकार को अनुमति वाला जो आदेश दिया था, उसके खिलाफ छह राज्यों ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। इस बीच कांग्रेस ने देश भर में इन परीक्षाओं को करवाने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ आज भी प्रदर्शन किया।
एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने को लेकर पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान सरकारों के शिक्षा मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर इन्हें वर्तमान हालत को देखते हुए टालने की मांग की है। गुरुवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य दलों के साथ इस मसले पर बातचीत हुई थी जिसमें यह फैसला किया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन सहित कई विपक्षी नेता भी यह परीक्षाएं फिलहाल स्थगित करने की मांग कर चुके हैं।
आज जो याचिका दायर की गयी है उसमें सभी मंत्रियों ने याचिका एक साथ निजी हैसियत से दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि करोना कि वजह से सरकार अभी एग्जाम कराने कि स्थिति में नहीं है। एग्जाम के दौरान छात्रों की करोना हो सकता है या इस रोग के फैलने का खतरा भी हो सकता है।
याद रहे कि एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने की सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को अनुमति दी थी अब छह राज्यों ने उस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं क्रमशा 13 सितंबर और पहली नौ सितंबर के बीच रखी गईं हैं। आज की याचिका दाखिल करने वालों में पश्चिम बंगाल के मंत्री मोलॉय घटक, झारखंड के मंत्री रामेश्वर ओराओं, राजस्थान के मंत्री रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू और महाराष्ट्र के मंत्री उदय रविन्द्र सामंत शामिल हैं।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मांग है कि कोविड-19 के फैलने और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए परीक्षा को टाल देनी चाहियें। हालांकि, सरकार ऑफ कर चुकी है कि परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उपयुक्त सावधानी बरतते हुए आयोजित की जायेगी।