विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आज देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और लोगों को जागरूक किया गया। डाँक्टरों ने बताया कि इस साल कोरोना महामारी के चलते तामाम रोगों की जांच प्रभावित हुई है। लोगों ने इलाज कराने में लापरवाही बरती है।
एम्स के डाँ आलोक कुमार का कहना है कि एड्स एच.आई.वी संक्रमित रोगियों से भेदभावपूर्ण व्यवहार ना करें। देश में एड्स रोग के उपचार को लेकर शासन –प्रशासन सतर्क है। समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से एड्स रोगियों को इलाज के लिये प्रेरित करते रहते है।
इंडियन हार्ट फांउडेशन के चेयरमैन डाँ आर एन कालरा का कहना है कि एड्स रोगी अपनी बीमारी छिपाये नहीं बल्कि समय रहते उपचार करवाये ताकि रोग का सही उपचार हो सकें। उनका कहना है कि एड्स एक दूसरे को छूने से नहीं होता है। साथ खाना खाने से नहीं होता है। उनका कहना है कि कोरोना काल में एड्स रोगियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि लापरवाही घातक हो सकती है। डाँ कालरा का कहना है कि अगर एड्स रोगी अपना इलाज पूरा लेते रहे और परहेज करता रहे है। तो आम लोगों की तरह सामान्य जीवन यापन कर सकता है।