कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आखिर उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर खुद खुलासा किया है कि चूँकि उनके जिम्मे ४१ सीटों को जिताने का जिम्मा है, एक सीट पर खुद को सीमित करके यह संभव नहीं होता।
प्रियंका ने इससे पहले कहा था कि यदि कांग्रेस अध्यक्ष उन्हें चुनाव का आदेश देते हैं तो वे वाराणसी से मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं। वैसे बीच में यह भी चर्चा रही कि बसपा प्रमुख मायावती प्रियंका गांधी को वाराणसी से गठबंधन का उम्मीदवार बनाने के लिए तैयार नहीं हुईं। इसका कारण यह चर्चा में रहा कि मायावती महसूस करती हैं कि प्रियंका के लड़ने से कांग्रेस को बहुत मजबूती मिलती और इसका सबसे ज्यादा नुक्सान बसपा को ही होता।
कांग्रेस के भीतर प्रियंका गांधी को एक तेजतर्रार रणनीतिकार के रूप में देखा जा रहा है। उनके साथ काम करने वाले नेताओं का मानना है कि प्रियंका में राजनीति की गहरी समझ है और वे बहुत चतुराई से रणनीति तैयार कर रही हैं। साथ ही उनके ब्यान भी शुद्ध रूप से राजनैतिक रणनीति वाले होते हैं।
याद रहे २८ मार्च को रायबरेली में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रचार के लिए पहुंचीं प्रियंका से जब कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ने की मांग की तो उन्होंने पलटकर कार्यकर्ताओं से ही पूछ लिया कि वाराणसी से चुनाव लड़ूं क्या? हालांकि, प्रियंका गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच पूरी बातचीत अनौपचारिक थी।
इसके बाद इस चर्चा को बल मिला कि प्रियंका वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं। यूपी की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि यदि यह मुकाबला होता तो शायद बहुत दिलचस्प होता क्योंकि भाजपा के भीतर प्रियंका के वाराणसी से लड़ने की ख़बरों से हलचल थी। अब कांग्रेस ने वाराणसी से पांच बार के विधायक अजय राय को टिकट दे दिया है जो २०१४ में भी कांग्रेस प्रत्याशी थे।