प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब ये ऐलान किया कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाता है, तब तक देश के किसानों, जो आंदोलन कर रहे है, को इस घोषणा पर तुरंत विश्वास ही नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद जब मीडिया के लोग गाजीपुर और सिंधू बार्डर पर जुटे तो आंदोलनकारी किसानों ने उनसे इस घोषणा कि सच्चार्इ जाननी चाही। पत्रकारो ने किसानों को बताया, कि ये घोषणा सही है और किसानों की मांगे प्रधानमंत्री ने मान ली है।
बताते चलें, किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने को लेकर पंजाब के कई दिग्गज नेता इस अभियान में लगे थे। कि जब तक किसान आंदोलन समाप्त नहीं होता है। तब तक पंजाब में भाजपा के पक्ष में हवा तो क्या भाजपा को लेकर माहौल बनाना मुश्किल होगा।
इसी बात को लेकर किसान समर्थक भाजपा नेता भाजपा आला कमान से लगातार दबाब बना रहे थे। वे ही आंदोलनकारी किसानों के साथ बैठ कर उनका रूख भी भापते रहे है। किसान तो आंदोलन ही कर रहा था। लेकिन अचानक चौंकाने वाली बात तो मीडिया के माध्यम से पहुंचाने के पीछे एक सोची समझी राजनीति के तहत पहुंचाई गयी, ताकि किसानों के बीच ये मैसेज जाये कि सरकार किसी दबाब में नहीं बल्कि सरकार किसानों की मांगों को माना है। और भाजपा सरकार किसान हितैषी ही है।
बताते चलें देश के किसानों का बड़ा दल जो किसानों के आंदोलन की बात कर रहा था अब वो पूरी तरह से सरकार के फैसले से खुश है।