एक और कश्मीर फाइल

हाल में कश्मीर के हुर्रियत नेता यासीन मलिक के टेरर फंडिंग मामले में दोषी पाये जाने के बीच इस बार के अंक में ‘तहलका’ यह ख़ुलासा कर रहा है कि कैसे हुर्रियत नेता कुछ लोगों और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर पाकिस्तान में जम्मू-कश्मीर के छात्रों को प्रोफेशनल कॉलेजों में दाख़िले में सिफ़ारिशों के ज़रिये लाखों बनाते हैं। एनआईए की जाँच में भी यह सामने आया था कि दाख़िले के लिए चयनित छात्रों में ज़्यादातर आतंकवादियों के रिश्तेदार थे या अलगाववाद के प्रति सहानुभूति रखने वालों के रिश्तेदार। ‘तहलका’ के पत्रकारों की टीम ने स्टिंग में यह भी पाया कि कैसे पाकिस्तान इन छात्रों की पढ़ाई के ज़रिये एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर रहा है, जिनका झुकाव पाकिस्तान की ओर होगा। तहलका एसआईटी की खोजी रिपोर्ट :-

दो दशक से अधिक समय से पाकिस्तान सरकार अपने सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों, ख़ासकर मेडिकल और इंजीनियरिंग में जम्मू और कश्मीर के छात्रों के लिए एक विशेष कोटा आरक्षित कर रही है। जम्मू और कश्मीर के छात्रों को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। एक- शिक्षा मंत्रालय, पाकिस्तान के माध्यम से विदेशी छात्रों की सीटों के तहत प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्र; और दो- छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्र। विदेशी छात्र सीटों के तहत आवेदन करने वाले छात्रों को सामान्य शुल्क का भुगतान करना होता है। लेकिन छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत, छात्रों को 100 फ़ीसदी छात्रवृत्ति और मुफ़्त आवास (दैनिक आधार पर) प्रदान किया जाता है।

जिन छात्रों के माता-पिता या क़रीबी रिश्तेदार कश्मीर में सुरक्षाबलों के हाथों कथित रूप से मारे गये या भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों कथित रूप से पीडि़त हैं, उन्हें छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत सीटों के लिए वरीयता दी जाती है। हर साल क़रीब 50 छात्र अकेले एमबीबीएस के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान जाते हैं, जबकि इतनी ही संख्या में छात्रों को अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश मिलता है। हालाँकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक, पीओके से मेडिकल डिग्री वाले डॉक्टरों को भारत में प्रैक्टिस करने की इजाज़त नहीं होगी। यही नहीं, इससे पहले 2017 में पीओके में कॉलेजों से प्राप्त डिग्री को भी एमसीआई ने अमान्य घोषित कर दिया था क्योंकि भारत पीओके को पाकिस्तान के हिस्से के रूप में मान्यता नहीं देता है। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कट-ऑफ प्रतिशत का नियम है; लेकिन छात्रवृत्ति कार्यक्रम के तहत दाख़िले के लिए सिफ़ारिश कश्मीर के हुर्रियत नेता करते हैं।

अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों धड़े वर्षों से पाकिस्तान में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए छात्रों को सिफ़ारिश पत्र जारी करते रहे हैं। वर्षों से यह आरोप लगते रहे हैं कि कुछ हुर्रियत नेता छात्रों को सिफ़ारिश पत्र जारी करने के एवज़ में उनसे पैसे की माँग करते हैं और इसमें पाकिस्तान सरकार के निर्धारित बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन किया जाता है। आरोप थे कि कुछ पुलिस अधिकारियों के बच्चों ने भी अलगाववादी नेताओं के सिफ़ारिश पत्रों का प्रबन्ध किया है।

चूँकि कश्मीर में बहुत कम प्रोफेशनल कॉलेज हैं, लिहाज़ा छात्र मेडिकल अध्ययन के लिए विदेश चले जाते हैं। पहले रूस और अब बांग्लादेश और पाकिस्तान। जबकि पाकिस्तान में पाठ्यक्रम अपेक्षाकृत सस्ते और बेहतर हैं और हुर्रियत नेताओं के सिफ़ारिशी पत्र के बाद छात्रवृत्ति कार्यक्रम के छात्रों के लिए 100 फ़ीसदी मुफ़्त हो जाते हैं। इसी के चलते पाकिस्तान जाने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने 2018 में टेरर फंडिंग मामले में दायर एक चार्जशीट में कहा था कि पाकिस्तान कश्मीरी छात्रों को एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने के लिए छात्रवृत्ति की पेशकश कर रहा है, जिसका झुकाव पाकिस्तान की ओर होगा। पड़ोसी देश में छात्र वीजा पर अधिकांश युवा आतंकवादियों के रिश्तेदार थे। एजेंसी के मुताबिक, जाँच में यह सामने आया कि छात्र वीजा पर पाकिस्तान जा रहे छात्र या तो ऐसे पूर्व आतंकियों के रिश्तेदार थे, जो विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण पाकिस्तान चले गये थे या फिर वे हुर्रियत नेताओं के परिचित थे।
जाँच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि विभिन्न हुर्रियत नेताओं की तरफ़ से नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग को उनके वीजा आवेदनों की सिफ़ारिश की गयी थी। एनआईए के मुताबिक, यह एक त्रिकोणीय साँठगाँठ की तरफ़ संकेत करता है, जिसमें आतंकवादी, हुर्रियत और पाकिस्तान प्रतिष्ठान हैं और वे कश्मीर में डॉक्टरों और टेक्नोक्रेट की एक ऐसी पीढ़ी तैयार करने के लिए कश्मीर के छात्रों को संरक्षण दे रहे हैं, जिनका झुकाव पाकिस्तान की ओर होगा।

एनआईए ने यह ख़ुलासे अपनी चार्जशीट में किये हैं, जो मीडिया में छपी है। इसके मुताबिक, एनआईए ने हुर्रियत नेता नईम ख़ान के घर से एक दस्तावेज़ ज़ब्त किया, जिसमें उन्होंने एक छात्र को पाकिस्तान में एक मानक मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए सिफ़ारिश की थी, क्योंकि उसका परिवार ‘कश्मीर के स्वतंत्रता संग्राम’ के प्रति प्रतिबद्ध रहा है। अगस्त, 2021 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बड़ी साँठगाँठ का ख़ुलासा किया था, जिसमें कश्मीर घाटी के छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के लिए पाकिस्तान भेजा गया था और उनके माता-पिता से लिये गये पैसे का इस्तेमाल केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया था।

सूत्रों ने ख़ुलासा किया कि 2020 में काउंटर इंटेलिजेंस विंग कश्मीर ने विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने के बाद एक मामला दर्ज किया था कि कुछ हुर्रियत नेताओं सहित कई भ्रष्ट लोग कुछ शैक्षिक सलाहकारों के हाथ मिलाकर पाकिस्तान स्थित विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस सीटें और अन्य पेशेवर सीटें बेच रहे थे।

दूसरी ओर हुर्रियत ने हमेशा इस बात से इन्कार किया है कि उसकी कश्मीर में आतंक के वित्तपोषण के लिए पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश बिक्री में किसी तरह सहभागिता है। हुर्रियत ने कहा कि वह रिकॉर्ड पर रखना चाहता है कि यह पूरी तरह निराधार है। यह उन छात्रों या अभिभावकों द्वारा सत्यापित किया जा सकता है, जिनकी उन्होंने सिफ़ारिश की है, क्योंकि उनमें से कई आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों से हैं।

‘तहलका एसआईटी’ ने सच्चाई जानने के लिए की जाँच में पाया कि हुर्रियत से जुड़े एजेंट और ग़ैर-लाभकारी संस्थाएँ इस धन्धे में शरीक़ हैं। यह लोग पाकिस्तानी कॉलेजों में कश्मीरी छात्रों के लिए आरक्षित मेडिकल सीटें बेच रहे हैं। जाँच में सामने आया कि शिक्षा के नाम पर यह सीमा के उस पार पाकिस्तानी कॉलेजों और इस तरफ़ अलगाववादियों और उनके सहयोगियों की मिलीभगत से अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी प्रतीत होती है। इस सिलसिले में कश्मीर से हुर्रियत एजेंट सज्जाद मीर संदिग्ध इस गिरोह की जाँच कर रहे ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर को पाकिस्तानी मेडिकल स्लॉट देने के लिए दिल्ली आया था। दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर से मिलने के तुरन्त बाद सज्जाद मीर ने रिपोर्टर से अपनी दाख़िला योजना का ख़ुलासा किया।

सज्जाद मीर : अभी चार दाख़िले (लोग) भेजो आप।
तहलका : चार लडक़े?
सज्जाद मीर : अंक प्रतिशत 80+ (अस्सी प्लस) होना चाहिए।
तहलका : 12वीं में 80+ (अस्सी प्लस)?
सज्जाद मीर : नीट क्वालीफाई होना चाहिए।
तहलका : नीट क्वालीफाई होगा, पाकिस्तान के लिए?
सज्जाद मीर : पाकिस्तान के लिए।
तहलका : खर्चा सर?
सज्जाद मीर : 15-16 लाख।
तहलका : मतलब ये आपको देना पड़ेगा?
सज्जाद मीर : जी।
तहलका : मतलब एक उम्मीदवार का 15 लाख रुपये?
सज्जाद मीर : एक उम्मीदवार का, …पिछले साल का यह रेट था। इस साल का पता नहीं, अभी नीट भी हुआ है…। एक-दो लाख एक्सट्रा होंगे या कम होंगे या बराबर होंगे… अभी पता नहीं।

तहलका : प्रक्रिया क्या है, एक बार ज़रा समझा दीजिए।
सज्जाद मीर : फॉर्म भरना है। वो जो हमारे बन्दे हैं, वो ऑनलाइन भी भेजेंगे वहीं पर। वहाँ से लिस्ट निकलेगी परीक्षा (एग्जाम) के लिए… जो चयनित (सिलेक्ट) होगा, उसको परीक्षा देनी है। वहाँ पर फेल हों या पास हों, उनका दाख़िला होना-ही-होना है। वो सर्टिफाइड है। अगर एग्जाम में फेल होगा, तो पढऩे नहीं देंगे वहाँ पर…। अगर हमारा बन्दा फेल भी हो जाएगा, तब भी चयन (सिलेक्शन) होना है।
सज्जाद मीर ने यह भी बताया कि एमबीबीएस में प्रवेश के लिए पाकिस्तान में कश्मीरियों को कैसे फ़ायदा होता है?
सज्जाद मीर : वहाँ तो वो करते ही नहीं है…। कश्मीरियों की डील है। उनके लिए फेल-वेल का मसला ही नहीं है।
तहलका : पाकिस्तान में?
सज्जाद मीर : पाकिस्तान में लाभ (बेनिफिट) देखते हैं… कश्मीरियों का।
तहलका : ठीक है।
सज्जाद मीर : कश्मीरियों को यह लाभ (बेनिफिट) है।
इसके बाद सज्जाद मीर ने ‘तहलका’ के खोजी पत्रकारों को पाकिस्तान में दाख़िले के लिए अपने भुगतान के तरीके के बारे में बताया।
तहलका : एडवांस पैसा कब देना है?

सज्जाद मीर : 50 फ़ीसदी पहले देंगे, जब फॉर्म भरेंगे। 50 फ़ीसदी तब, जब वहाँ से (पाकिस्तान से) कॉल लेटर आएगा।
तहलका : मतलब 16 लाख का 8 लाख अभी दे दूँ, बाक़ी जब वहाँ…?
सज्जाद मीर : जब वहाँ से कॉल लेटर आएँगे…। जिसको जाना हो उस टाइम…, वो तो कन्फर्म दाख़िला होता है।
सज्जाद मीर ने आगे बताया कि प्रवेश के लिए वह नक़द में दाम (पैसे) लेंगे।
तहलका : आपका पैसे लेने का क्या तरीक़ा है?
सज्जाद मीर : हम तो नक़द ही लेते हैं।
तहलका : नक़द लेते हैं? …पूरा 100 फ़ीसदी?
सज्जाद मीर : हाँ।
अब सज्जाद मीर ने ख़ुलासा किया कि कैसे हुर्रियत के लोग पाकिस्तान में एमबीबीएस प्रवेश का कश्मीरी छात्रों के लिए सिफ़ारिशी पत्र लिखते हैं।
तहलका : तो क्या हुर्रियत के लोग सिफ़ारिशी चिट्ठी वग़ैरह लिखते हैं?
सज्जाद मीर : कौन?
तहलका : हुर्रियत के लोग दाख़िले वग़ैरह के लिए…? पाकिस्तान में एमबीबीएस के लिए!
सज्जाद मीर : उन्होंने अपने एजेंट रखे हुए हैं।
जब उनसे यह पूछा गया कि जब अनुच्छेद-370 ख़त्म होने के बाद हुर्रियत नेता जेल में हैं, तो कैसे वे सिफ़ारिशी पत्र लिख रहे हैं? तो सज्जाद मीर ने हुर्रियत की व्यवस्था की व्याख्या करते हुए बताया कि कैसे शीर्ष नेतृत्व की अनुपस्थिति में नेताओं की दूसरी और तीसरी पंक्ति काम करती है।

तहलका : ये सब तो जेल में हैं, ये चिट्ठी कैसे लिखेंगे? …हुर्रियत वाले!
सज्जाद मीर : इनकी व्यवस्था होती है। आप बन्द हैं, तो आपके बाद मैं हूँ। यह ग्रुप होता है। तंज़ीम एक बन्दे पर निर्भर नहीं होती है।
तहलका : जी।
सज्जाद मीर : जो तंज़ीम होती है न… वहाँ न…! वहाँ तो 10-15 तंज़ीमें चलती हैं, 20-20 लोग काम करते हैं। आपके फॉलोअर्स 30-30 होते हैं। आप बन्द हो जाएँगे, तो दूसरा होगा। दूसरा बन्द हो जाएगा, तो तीसरा होता है, जिसके सम्पर्क में रहते हैं। काम तो चलता रहता है।
तहलका : उनके हस्ताक्षर?
सज्जाद मीर : वो प्रॉब्लम नहीं है। उनको पता है न, …ये बन्दा हमारा है।
तहलका : अच्छा! पाकिस्तान वाले दूसरे बन्दे को जानते होते हैं?
सज्जाद मीर : हाँ, सारे बन्दों को जानते हैं, जो ग्रुप में होता है।
तहलका : मतलब कोई भी चिट्ठी लिख दे, वो मान लेंगे?
सज्जाद मीर : हाँ।
सज्जाद मीर ने आगे बताया कि हमारे सभी छात्रों को पाकिस्तान के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा, न कि निजी में। और उनका पाँच वर्षीय एमबीबीएस कोर्स छात्रवृत्ति योजना के तहत मुफ़्त होगा।

सज्जाद मीर : वहाँ गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में दाख़िला हो जाएगा।
तहलका : अच्छा! सरकारी मेडिकल कॉलेज में?
सज्जाद मीर : सरकारी मेडिकल कॉलेज में…; वहाँ प्राइवेट नहीं हैं।
तहलका : पाकिस्तान में?
सज्जाद मीर : पाकिस्तान के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हो जाएगा, नि:शुल्क; …वहाँ कुछ नहीं।
तहलका : अरे वाह!
सज्जाद मीर : वहाँ कुछ नहीं देना है। पाँच रुपये तक नहीं देने हैं। वहाँ मुफ़्त है। अगर वहाँ से स्कॉलरशिप हो गयी, वहाँ से ही पैसे मिलेंगे। उसे कपड़ों के लिए भी पैसे वहीं से आते हैं। अगर उसे कपड़े ख़रीदने होंगे, तो वही से पैसे आएँगे, वो भी पैसे जोड़े हैं इसमें।
तहलका : ठीक है। ये पाँच साल का कोर्स है या चार साल का?
सज्जाद मीर : पाँच।
तहलका : पाँचों साल मुफ़्त है?
सज्जाद मीर : पाँचों साल।
तहलका : कोई फीस नहीं?
सज्जाद मीर : कुछ नहीं।
तहलका : ऐसा क्यों?
सज्जाद मीर : कश्मीर के लिए रखा है। हालात-वालात ख़राब हैं, वो है।
सज्जाद मीर ने स्वीकार किया कि पूरी योजना उनके और अलगाववादियों जैसे लोगों के लिए पैसे कमाने का ज़रिया है।

तहलका : पाकिस्तान में कोटा है, जो यहाँ शहीद हुए हैं?
सज्जाद मीर : इसीलिए बिजनेस चल रहा है न, मैं क्या बोल रहा हूँ। ये सारा बिजनेस है। दुकान खोलकर रखी है।
तहलका : ये भी हुर्रियत के ज़रिये जाते हैं?
सज्जाद मीर : हुर्रियत के ज़रिये।
तहलका : तभी आप कह रहे हैं ये भी बिजनेस है?
सज्जाद मीर : हाँ, ये बिजनेस है। मैं बोल रहा हूँ। ये सारा बिजनेस ही है। सारा खेल है लोगों को बेवक़ूफ़ बनाने के लिए।
तहलका : वे (उम्मीदवार) हुर्रियत से होकर गुज़रते हैं, सही?
सज्जाद मीर : हुर्रियत के ज़रिये।
तहलका रिपोर्टर इसके बाद असद सिद्दीक़ी से मिले, जो कश्मीर में एक अलाभकारी (ग़ैर-फ़ायदेमंद) संस्था चलाते हैं। ‘तहलका’ के पत्रकारों से मिलने असद दिल्ली आये थे। ये मुलाक़ात दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में हुई थी। असद ने क़ुबूल किया कि उसने 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बदले में इस प्रक्रिया को आसान बनाया था।
तहलका : पाकिस्तान कराते थे आप?
असद सिद्दीक़ी : हाँ।
तहलका : अब नहीं करा रहे हैं… मेडिकल में?
असद सिद्दीक़ी : मेडिकल में एमबीबीएस करते थे, मेडिकल में। और मुफ़्त में करवाते थे। कोई ख़र्च नहीं।
तहलका : वो कैसे?
असद सिद्दीक़ी : असल में हमारा थोड़ा बहुत चैनल था उनके साथ, जो कश्मीरियों को मुफ़्त दाख़िला करवाते थे।
तहलका : पाकिस्तान में ओके?
असद सिद्दीक़ी : हाँ।
तहलका : ओके…। तो उनसे कितना चार्ज लेते थे आप?
असद सिद्दीक़ी : वो अपने ऊपर था, मतलब मुफ़्त… जब सब कुछ हो रहा है अपने ऊपर था। 2.5 लाख, 3 लाख, 5 लाख लेना।
अब असद बताते हैं कि कैसे हुर्रियत के शीर्ष सहयोगी ने पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में कश्मीरी छात्रों की दाख़िले के लिए पाकिस्तान दूतावास के लिए सिफ़ारिश पत्र लिखने में मदद की।

असद सिद्दीक़ी : आपका या किसी का प्रवेश कराना है, जैसे आपका। जो हुर्रियत नेता का बन्दा था।
तहलका : हाँ; हाँ।
असद सिद्दीक़ी : मतलब, उसका एक जो बन्दा काम सँभालता था, उसको भी लालच था, उसे भी पैसे का लालच था।
तहलका : कश्मीर में?
असद सिद्दीक़ी : हाँ, तो बस आराम से काम हो जाता था।
तहलका : वह चिट्ठी लिखता है?
असद सिद्दीक़ी : हाँ, वह चिट्ठी लिखता है।
तहलका : चिट्ठी किसको लिखता था वह?
असद सिद्दीक़ी : वह चिट्ठी लिखता था, मतलब वहाँ पाकिस्तान में।
तहलका : दूतावास के लिए?
असद सिद्दीक़ी : हाँ।
तहलका : पैसे आप लेते हैं छात्रों से?
असद सिद्दीक़ी : हाँ, लेकिन उनको यह भी नहीं पता चलता था कि पैसे हम लेते हैं। ठीक है न…, हम बोल देते हैं मतलब, हम दिखा देते थे- हम भी करते हैं। जो बन्दा है, उसको मालूम था कि हमारा उनका कुछ चल रहा है।
तहलका : अच्छा।
असद सिद्दीक़ी : हाँ।
तहलका : उसके बाद वह पैसे लेता होगा?
असद सिद्दीक़ी : हाँ, उसके बाद वह पैसे लेता था।
तहलका : आप कितना लेते थे चार लाख रुपये?
असद सिद्दीक़ी : हाँ, चार में काम कर देते थे।
तहलका : छात्रों की पढ़ाई मुफ़्त में होती…?
असद सिद्दीक़ी : हाँ।


“इन एमबीबीएस सीटों को बेचने के लिए इस्तेमाल किये गये धन का इस्तेमाल घाटी में आतंक को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। सुबूत यह भी बताते हैं कि इस पैसे का इस्तेमाल पत्थरबाज़ी के लिए भी किया गया था।’’
दिलबाग़ सिंह
डीजीपी, जम्मू-कश्मीर