
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) निस्संदेह 21वीं सदी की सबसे क्रांतिकारी तकनीकों में से एक है। आज दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ यदि AI को सावधानी, नैतिकता और मजबूत विनियमों के साथ आगे बढ़ाया जाए, तो यह मानवता के लिए नए युग की समृद्धि और कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। लेकिन यदि इसे बिना नियंत्रण और बिना जिम्मेदारी के बढ़ने दिया गया, तो इसके दुष्परिणाम उसके फायदों से कहीं अधिक भारी पड़ सकते हैं।
AI और तकनीकी मंचों से जुड़ा खतरा सिर्फ प्राइवेसी उल्लंघन या गलत सूचना तक सीमित नहीं है। हाल ही में Meta (पूर्व में Facebook) से जुड़ी एक गंभीर नैतिक चूक का खुलासा हुआ। एक मुकदमे के दस्तावेज़ों में पता चला कि कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म्स के युवा उपयोगकर्ताओं विशेषकर किशोरों पर पड़ने वाले मानसिक स्वास्थ्य प्रभावों से जुड़े आंतरिक शोध को इसलिए बंद कर दिया क्योंकि वह उनके व्यवसाय को नुकसान पहुँचा सकता था।
शोध में स्पष्ट पाया गया कि Facebook और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याओं को बढ़ा रहे थे। लेकिन इन नतीजों को स्वीकारने के बजाय Meta ने कथित रूप से इसे दबाने का रास्ता चुना। यह न सिर्फ कॉर्पोरेट गैर-जिम्मेदारी का उदाहरण है, बल्कि यह बताता है कि AI-आधारित तकनीकें समाज के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर रही हैं।
ऐसे मामले इस बात की ओर संकेत करते हैं कि कंपनियाँ अक्सर लाभ को उपयोगकर्ताओं की भलाई से ऊपर रखती हैं। यही कारण है कि AI और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने के लिए कठोर नैतिक ढाँचे और नियामक निगरानी अनिवार्य हो गई है।
प्रधानमंत्री मोदी की चिंताएं: लाभ और खतरे—दोनों वास्तविक
G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने AI की अपार संभावनाओं के साथ-साथ उसके दुरुपयोग की आशंका पर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि AI दुनिया में अभूतपूर्व बदलाव ला सकता है।स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और शासन के स्तर पर। लेकिन साथ ही यह शक्तिशाली तकनीक गलत हाथों में जाकर विनाशकारी भी साबित हो सकती है।
G20 सत्र “A Fair and Just Future for All” को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीकी विकास मानव-केंद्रित, वैश्विक, और ओपन-सोर्स होना चाहिए ,न कि सिर्फ लाभ कमाने के उद्देश्य से।
उन्होंने बताया कि भारत ने इंडिया-AI मिशन के तहत हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में काम शुरू किया है ताकि AI के लाभ ग्रामीण भारत से लेकर शहरों तक समान रूप से पहुँच सकें।
प्रधानमंत्री ने पारदर्शिता, मानव निगरानी, सुरक्षा और दुरुपयोग रोकथाम पर आधारित एक वैश्विक AI नियम-कानून का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि AI मानव क्षमताओं का विस्तार तो कर सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय हमेशा मनुष्यों के हाथ में होना चाहिए।

भारत 2026 में AI Impact Summit आयोजित करेगा, जिसका विषय होगा—“सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय”।
AI: अपार संभावनाएँ
1. स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति
AI अब एक्स-रे और MRI जैसी चिकित्सा छवियों का विश्लेषण करके कई बीमारियों की पहचान डॉक्टरों से भी अधिक सटीकता से कर रहा है।
यह दवा और वैक्सीन विकास को भी तेज बनाता है—COVID-19 वैक्सीन इसका उदाहरण है।
2. शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम
AI आधारित शिक्षा प्लेटफॉर्म विद्यार्थियों के स्तर और आवश्यकता के अनुसार सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।
शिक्षक प्रशासनिक कार्यों से मुक्त होकर शिक्षण पर अधिक ध्यान दे पा रहे हैं।
3. अर्थव्यवस्था और उद्योग में परिवर्तन
AI ने विनिर्माण, वित्त, परिवहन, कृषि और आपूर्ति श्रृंखला में दक्षता बढ़ाई है।
यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए leapfrog करने का अवसर भी प्रदान करता है—जहाँ वे पारंपरिक चरणों को पार करते हुए सीधे उन्नत तकनीकों तक पहुँच सकती हैं।
AI के खतरे , जिनसे सावधान रहना जरूरी
1. प्राइवेसी और निगरानी का खतरा
AI आधारित निगरानी सिस्टम सरकारों और कंपनियों को नागरिकों की गतिविधियों पर चौबीसों घंटे नजर रखने की क्षमता देते हैं।
चेहरा पहचान तकनीक का दुरुपयोग नागरिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
2. रोजगार संकट
AI कई पारंपरिक नौकरियों को खत्म कर सकता है, खासकर वे जो दोहराव वाली हैं।
नई नौकरियों के लिए उन्नत कौशल की आवश्यकता होगी, जिसे हर व्यक्ति आसानी से नहीं सीख पाएगा—यह असमानता को गहरा कर सकता है।
3. गलत सूचना और डीपफेक
AI-जनित डीपफेक वीडियो राजनीति, समाज और संस्थाओं में अविश्वास पैदा कर सकते हैं।
AI-संचालित बॉट्स चुनावों और जनमत को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
4. स्वचालित हथियार
AI स्वचालित हथियारों का निर्माण युद्ध को अधिक विनाशकारी और अनियंत्रित बना सकता है।
यदि कोई ड्रोन या रोबोट बिना मानव नियंत्रण के हमला करता है, तो जिम्मेदार कौन होगा?
जिम्मेदार AI के लिए वैश्विक नियम अनिवार्य
प्रधानमंत्री मोदी की बात बिल्कुल सही है—AI के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक सहमति आवश्यक है।
1. वैश्विक नैतिक ढाँचा
AI पारदर्शी हो, जवाबदेह हो, और निष्पक्ष हो—इसके लिए अंतरराष्ट्रीय नियम बनाए जाने चाहिए।
2. न्यायसंगत और समावेशी AI
AI मॉडल में लैंगिक या सामाजिक पक्षपात न हो।
क्रेडिट स्कोरिंग, भर्ती, स्वास्थ्य सेवाओं आदि में AI का उपयोग निष्पक्ष होना चाहिए।
3. पुनः कौशल विकास (Reskilling)
सरकारों और उद्योगों को मिलकर प्रशिक्षण और कौशल-विकास कार्यक्रम शुरू करने चाहिए ताकि लोग AI-युग की नौकरियों के लिए तैयार हो सकें।
4. स्वचालित हथियारों पर नियंत्रण
संयुक्त राष्ट्र को वैश्विक संधियाँ बनानी चाहिए जिससे हथियारों में AI का दुरुपयोग रोका जा सके।




