कोई भी काम संसाधनों के अभाव में नहीं हो सकता। ऐसा ही हाल दिल्ली में झोलाछाप डाकटरों के खिलाफ कार्रवाई के लिये स्वास्थ्य अधिकारियों को मुहैया कराए गए संसाधान का है जिनके बलबूते किसी सफलता या अंजाम तक पहुंचना मुश्किल है। जैसे डीएमए,डीएमसी और दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद के पास कोई भी ऐसे संसाधन व शक्ति नहीं है कि वह कोई ठोस कार्रवाई सकेंं। ऐसे में राजधानी दिल्ली में झोलाछाप डाक्टरों का रूतबा इस कदर हावी होता जा रहा है कि जो भी उनके खिलाफ कार्रवाई या शिकायत करता है तो पुलिस की सहायता से या सांठगांठ सेे वे उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने से नहीं चूकते है। चाहे वो सामाजिक कार्यकर्ता हो या फिर दिल्ली सरकार से जुड़ा अधिकारी व दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन डीएमए और दिल्ली मेडिकल कांउसिल डीएमसी से जुड़ा डाक्टरों हो। झोलाछाप डाक्टरों का कहना है कि अब तक दिल्ली में कोई कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं हुई है,तो इसका मतलब है कि वे डाक्टरी करने के हकदार है। ऐसे में दिल्ली में कोई भी ऐसा इलाका व गली नहीं है जहां पर झोला छाप डाक्टरों की दुकानें बेधडक़ हो कर न चल रही हों। ऐसे में डीएमए और डीएमसी के डाक्टरों का कहना है कि अब तो हालत ये है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। डीएमसी और दिल्ली सरकार के नई दिल्ली जिला अधिकारी अब अपने खिलाफ झोलाछाप डाक्टरों द्वारा की गई शिकायत पर हाई कोर्ट से जमानत लेने मे लगे है।
सबसे गंभीर और चौकानें वाली बात ये है कि दिल्ली में झोलाछाप डाक्टरों का जो कारोबार चल रहा है उसके पीछे हकीकत यह भी है कि दिल्ली के नामी गिरामी अस्पताल और दवा कंपनी वाले छोलाछाप डाक्टरों से संपर्क में है। बडे अस्पताल वाले कहते है कि वे मरीज़ भेजे उसकी एवज में उनको पैसा दिया जाएगा और दवा कंपनी वाले कहत है कि दवा बिकने से मतलब है चाहे छोलाछाप डाक्टर दवा लिखे या ‘क्वालीफाइड’ डाक्टर इससे उनको कुछ लेना देना नहीं है।
अब बात करते है दिल्ली के पॉश इलाकों जिनमें कनॉट पेलेस, ग्रीन पार्क, लाजपत नगर और दक्षिण दिल्ली की जहां पर झोलाछाप डाक्टरों की दुकानें धडल्ले से ही नहीें चल रही है बल्ेिक वे अब इलाज़़ के लिए दिल्ली की गलियों में पोस्टर लगाने से परहेज तक नहीं करते है। दिल्ली में इस समय 50 हजार से ज़्यादा झोला छाप डाक्टर अपनी पै्रक्टिस कर रहे वे मरीज़ों के स्वास्थ्य के साथ ही नहीं बल्कि मरीजों की जान से भी खेल रहे है। आए दिन झोलाछाप डाक्टरों द्वारा इलाज़ के दौरान गलत इंजेक्शन और गलत ऑपरेशन से मरीज़ कीे मौत होने की घटना अब आम बात होती जा रही है। आलम ये है कि कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होने से दिल्ली में झोलाछाप डाक्टरों के हौसलें बुलंद है। डीएमए के एन्टी क्वेकरी सैल के चैयरमेन डॉ अनिल बसंल ने बताया कि वह झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ पिछले दो दशकों से एक मुहिम के तहत कार्रवाई करते रहे है पर अफसोस ये है कि आज तक झोलाछाप डाक्टरों के विरोध में कानूनी कार्रवाई नहीं करवा सकें। इसकी बजह सरकारी तंत्र पूरी से वोट की राजनीति मे फंसा हुआ है। दिल्ली सरकार हो या केन्द्र सरकार कोई भी सरकार इन झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने से बचती है। क्योंकि इस समय दिल्ली में झोलाछाप डाक्टरों का वोट बैंक काफी अहम भूमिका निभा रहा है। डॉ बसंल का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार रही है और अब आप पार्टी की सरकार है तब से अब तक तमाम बार सरकार के समक्ष वे कई बार झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुके है और लिखित में झोलाछाप डाक्टरों के पते भी दिये है पर सब ढाक के तीन पात वाली बात सामने आयी। दिल्ली के पिछड़े इलाकों में त्रिलोक पुरी कल्याण पुरी सीमा पुरी मंगोलपुरी कंझावला और नजफ़गढ़ में तो हालत ये है कि यहां पर झोलाछाप डाक्टरों का वर्चस्व इस कदर है कि वे ही नामी गिरामी डाक्टरों के पास मरीजों को ऐसे रेफर करते है कि वे किसी डाक्टर से कम न हो यानी की नकली डाक्टर असली डाक्टर के पास मरीज़ कमीशन के लिये भेजता है। असली डाक्टर इलाज भी करता है। एमबीबीएस डाक्टर बदला नाम पवन ने बताया कि पढ़ लिखकर एमबीबीएस करके डाक्टर जब दिल्ली में सरकारी और निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस के लिये आता है तो उसे पता नहीं होता है कि दिल्ली में नकली डाक्टरों का एक समूह है जो आसानी से अपनी स्वास्थ्य सेवायें दिल्ली में धडल्ले से दे रहा है। पवन ने बताया कि जब एक मरीज़ की बिगड़ती तबीयत पर उन्होंने इलाज़ कर रहे डाक्टर की पर्ची मांगी तो उस पर्ची में न तो डीएमसी का नम्बर था न ही कोई डिग्री तो उन्होंने कहा कि ये नकली डाक्टर है इसके खिलाफ कार्रवाई होने चाहिये उन्होंने पुलिस और डीएमसी में शिकायत की पर कोई कार्रवाई नहीं होने से वे हैरान और परेशान हो गए और परेशाल होकर शिकायत करना तक छोड़ दिया।
डॉ अनिल बंसल ने बताया कि दिल्ली में 2014 में एक नकली डाक्टर द्वारा इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई थी तब दिल्ली काफी हंगामा हुआ तब उन्होने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था हाई कोर्ट ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए, हाई पावर कमेटी का गठन करने का आदेश जारी किया था जिसमें दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य अधिकारी, डीएमसी, डीएमए और दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद को शामिल किया गया। जिसमें हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस के बीट अफसर अपने -अपने क्षेत्र में ये पता करे कि कौन से डाक्टर के पास डीएमसी और सम्बधित चिकित्सा से जुड़े परिषद में रजिस्ट्ेशन है कि नहीं। लेकिन पुलिस ने कोई छानबीन नहीं की तब से अब तक दिल्ली में छोलाछाप डाक्टरों के हौंसले बुलंद है। चिकित्सा परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार ने बताया कि दिल्ली सरकार को झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिये वे संसाधन मुहैया कराने चाहिये जिससे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में कोई दिक्कत न हो पर ऐसा नहीं है। जिसके कारण झोलाछाप पनप रहे है।
मौजूदा वक्त में चैकाने वाली बात ये सामने आयी है कि दिल्ली में बीएएमएस के डाक्टरों की जांच पड़ताल व रजिस्ट्ेशन के लिये दिल्ली सरकार की दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद 2015 से बंद है। 2017 में परिषद का चुनाव हुआ था तब किसी धांधली की शिकायत पर चुनाव निरस्त कर दिये गये थे। तब से अब तक दिल्ली में परिषद का कामकाज पूरी तरह से ठप्प है। रजिस्ट्रेशन का काम तिबिया कॉलेज में चल रहा है। ऐसे में झोलाछाप डाक्टरों में कार्रवाई की बात तो मज़ाक वाली बात होगी। परिषद के बंद होने पर डॉ कर्ण सिंह ने बताया कि सरकार की लापरवाही और लालफीताशाही का नतीजा है कि दिल्ली में परिषद ठप्प है सुनवाई के लिये कोई ऐसा सिस्टम मौजूदा वक्त में नहीं है इसके कारण दिल्ली में छोलाछाप मनमर्जी करने में तुले है भोले भाले लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
डीएमसी के पदाधिकारी ने बताया कि दिल्ली में झोलाछाप डाक्टरों पर कार्रवाई की बात करना बेमानी है पर जो एमबीबीएस डाक्टर है उसको तमाम नियमों का पालन करना होता है, अगर जरा सी लापरवाही इलाज़ के दौरान या कागज़ों की कमी पाई जाती है तो उस योग्य डाक्टरों पर कार्रवाई होती है कई बार भारी भरकम वाला जुर्माना भरना पड़ता है। ऐसे हालात है। छोटी सी क्लीनिक से निकलने वाले मडिकल वेस्ट कचड़ा के लिये एमबीबीएस डाक्टरों को सावधानी बरतनी होती है पर झोलाछाप डाक्टर तो सिरेंजों को कई बार कई मरीजों में प्रयोग करके सडक़ों में फेंकते है लेकिन उनके खिलाफ कभी भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
एनजीओ से जुड़े गोविन्द ने बताया कि दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों, ड्रग विभाग,दिल्ली सरकार और डीएमसी सहित सम्बंधित विभाग में एक हजार से ज़्यादा शिकायतें वे लिखित में कर चुके है झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ नाम व पते सहित पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। गोविन्द का मानना है कि वे तब तक इस अभियान में लगे रहे रहेगे जब तक झोलाछाप के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में कोई पुख्ता आंकड़े तो नहीं है पर आए दिन झोलाछाप डाक्टरों के इलाज से भोले भाले असहाय मरीजों की मौत हो रही है।
झोलाछाप डाक्टरों से जब मरीज़ बनकर तहलका संवाददाता ने बात की तो उन्होंने कहा कि मेरा अस्पताल दस सालों से चल रहा है, मेरे पास अनुभव है। प्रत्येक दिन दर्जनों मरीज इलाज करानेे आते है उनको स्वास्थ्य लाभ भी होता है। ऐसे में जो शिकायत करता है उससे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। सीमापुरी झोलाछाप डाक्टर संतोष त्रिलोकपुरी में झोलाछाप सुरेश कुमार ने कहा कि वह मरीजों को डेंगू के कहर से बचाने के लिये दवा देते है जिससे मरीज को लाभ भी मिलता है। उन्होंने बताया कि लैब वाले उनके संपर्क में है जो सस्ते दामों में रक्त की जांच भी करते है। आजकल दिल्ली में झोलाछाप डाक्टर किसी एमबीबीएस और अन्य चिकित्सकों के साथ मिलकर जगह -जगह स्वास्थ्य चैकअप कैम्प भी लगाते है और क्षेत्रीय विधायक व निगम पार्षद से कैम्प का उद्घाटन भी करवाते है। ऐसे में झोलाछाप डाक्टर समाज में योग्य डाक्टर की तरह अपने पकड़ बनाने में सफल हो रहे है। इस बारे में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैने का कहना है कि दिल्ली सरकार दिल्ली में कोने -कोने में क्लीनिक खोल रही है जिससे शीध्र ही दिल्ली वालों का बेहत्तर डाक्टर मिलने लगेंगे।