वैश्विक महामारी से उपजी अनिश्चितता और निराशा के बावजूद आशा की एक किरण के रूप में हम नये साल की शुरुआत कर रहे हैं। तमाम बाधाओं के बीच हम आगे बढ़े हैं और यह सबक़ हमने सीखा है कि कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। लोग कहेंगे, शक्तिशाली लोगों को सुनना होगा और हमारी सामूहिक आवाज़ दुनिया को बदल सकती है। इस मोड़ पर जब हम 2022 को अलविदा कह चुके हैं और नये साल की शुरुआत कर रहे हैं, हम एक अँधेरी सुरंग के अन्त में प्रकाश की किरण देखने की उम्मीद कर सकते हैं।
कोई सन्देह नहीं कि हाल में चीन में हमने महामारी के मामलों में वृद्धि देखी है, जबकि जापान, दक्षिण कोरिया, यूएसए, फ्रांस, ब्राजील, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान से भी कोरोना महामारी के मामलों में बढ़ोतरी की रिपोट्र्स हैं। लेकिन शुक्र है कि इस दौरान भारत में मामलों की संख्या बढऩे के बावजूद स्थिति चिन्ताजनक नहीं है।
जाने-माने टीका विशेषज्ञ तर्क देते हैं कि भारत में 97 फ़ीसदी लोगों को कोरोना का पहला टीका लग चुका है, जबकि 90 फ़ीसदी लोगों को दोनों टीके लग चुके हैं, और 27 फ़ीसदी लोगों को बूस्टर डोज लग चुकी है। उनका कहना है कि भारत में लोगों ने हाईब्रिड इम्युनिटी विकसित कर ली है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं और बड़ी आबादी को टीका लगाया जा चुका है। यह चीन और अन्य देशों से हाल ही में रिपोर्ट हुए संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है।
डब्ल्यूएचओ के आपात प्रमुख डॉ. माइकल रेयान ने कहा है कि ‘टीकाकरण ही ओमिक्रॉन से बचने की रणनीति है।’ उधर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने 21 दिसंबर को कहा कि हमें उम्मीद है कि इनमें से हरेक- कोरोना महामारी, एमपॉक्स और इबोला को अगले साल अलग-अलग अवसरों पर खत्म हुआ घोषित किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि निश्चित रूप से हम एक साल पहले की तुलना में महामारी के साथ बहुत बेहतर स्थिति में हैं। जैसे-जैसे साल खत्म होने को आया, फीफा विश्व कप ने हमें उम्मीद का सन्देश भी दिया कि इस ट्रॉफी पर अब यूरोपीय देशों का एकाधिकार नहीं रहा। जब क्रिकेट दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने एक ट्वीट में भारत की सन् 2011 क्रिकेट विश्व कप यात्रा की तुलना इस फीफा विश्व कप में अर्जेंटीना के अभियान के साथ की, तो इसने भारत के लिए एक सकारात्मक सन्देश दिया, जो वर्तमान में फीफा की रैंकिंग में 106वें स्थान पर है।
सन्देश यह है कि 1.4 अरब की आबादी वाला देश भी प्रयास करे, तो दुनिया के सबसे करामाती खेल में अपनी सर्वोच्चता साबित कर सकता है। सऊदी अरब ने इसे साबित लिया है, जब उसने चैंपियन अर्जेंटीना के ख़िलाफ़ टूर्नामेंट के पहले ही मैच में 2-1 से जीत के साथ अपने अभियान की शुरुआत की और अर्जेंटीना के लगातार 36 मैच जीतने किये अभियान का अन्त कर दिया। टूर्नामेंट में ग़ैर-यूरोपीय और ग़ैर-दक्षिण अमेरिकी टीमों द्वारा अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखने को मिला। बेशक, फुटबॉल के सर्वकालिक महान् खिलाडिय़ों में से एक मेस्सी ने निस्सन्देह दिग्गज डिएगो माराडोना के बराबर सम्मान पाने का गौरव अर्जित किया है। यह वह सन्देश है, जो हमें निराशा के समय में आशा की एक किरण देता है। ऐसा कहा जाता है कि जब जीवन की परिस्थितियाँ हमें घुटनों पर डाल देती हैं, तो हम आशा की कमी महसूस करते हैं। लेकिन यह समझकर कि आशा ही एक विकल्प है, हम बाधाओं का बेहतर तरी$के से सामना करके इसे जीवित रख सकते हैं। सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताबों में से एक ‘द पॉवर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग’ के लेखक नॉर्मन विंसेंट पीले सुझाव देते हैं- ‘आशा का अभ्यास करें। जैसे-जैसे उम्मीद एक आदत बन जाती है, आप स्थायी रूप से एक ख़ुश आत्मा पा सकते हैं।’