जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर सूबे में धारा ३७० और ३५-ए को ख़त्म करने को लेकर लगातार चल रही चर्चाओं को लेकर चर्चा की। मुलाकात के बाद उमर को बताया कि उन्होंने पीएम से आग्रह किया है कि रियासत में कोई ऐसा कदम न उठाया जाए जिससे वहां स्थिति खराब हो।
उमर ने मीडिया को बताया कि उन्होंने धारा ३५ए और ३७० का मामला इस मुलाकात में उठाया। उमर ने कहा – ”इस अहम मसले के अलावा हमने जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने की मांग भी पीएम के सामने उठाई है। हमने कहा कि आप (केंद्र) जल्दी क्यों करना चाहता है। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे, जैसा कि हमने हमेशा किया है।”
गौरतलब है कि केंद्र के कश्मीर में करीब १०,००० अतिरिक्त सैनिक भेजने के फैसले के बाद सूबे में इसका जबरदस्त विरोध हुआ है। एनसी और पीडीपी जैसे मुख्य धारा के दलों ने इस फैसले का जबरदस्त विरोध किया है। घाटी में यह चर्चा जोरों से रही कि केंद्र ने यह सैनिक ३५ए को ख़त्म करने के बाद की संभावित क़ानून व्यवस्था की स्थिति को ”संभालने” के लिए भेजे हैं।
कुछ रोज पहले भी श्रीनगर में एक सम्मेलन में उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करने के लिए कहा था। जहां अनुच्छेद-३५ए और अनुच्छेद-३७० को चुनौती देने वाली काफी याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने सरकार से उन अफवाहों पर अपनी स्पष्टता देने को भी कहा जिसमें कहा जा रहा है कि १५ अगस्त के बाद कश्मीर में एक और लंबा संकट देखने को मिलेगा। अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार के ही लोग (अफसर) लोगों को राशन, दवाइयां और गाड़ियों के लिए तेल जुटाने को कह रहे हैं क्योंकि अनिश्चितता का एक लंबा दौर आने की बात कही जा रही है।