राजधानी दिल्ली में कचरा प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से स्टेटस रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद कूड़ा कम नहीं हो रहा और न ही इससे निपटने का अभी तक कोई समाधान हुआ है।
हालाँकि उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई मगर सबसे ज़्यादा गाज गिरी उपराज्यपाल पर। कोर्ट ने उपराज्यपाल के कार्यालय को 16 जुलाई तक हलफनामा देकर ठोस कूड़ा प्रबंधन पर उठाए जाने वाले कदमों की समयसीमा बताने को कहा है।
सुनवाई के दौरान LG की ओर से हलफनामे में कहा गया कि पूर्वी दिल्ली में गाजीपुर, दक्षिणी दिल्ली में ओखला और उत्तरी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल साइट्स हैं. उपराज्यपाल अपने स्तर पर लगातार बैठकें कर रहे हैं।
इस पर उच्च न्यायलय ने कहा, “आप 25 बैठकें करते या 50 कप चाय पीते हैं इससे हमें कोई मतलब नहीं है। दिल्ली को कूड़े से निजात दिलाने पर बात करें।
… उपराज्यपाल कहते हैं कि मेरे पास पावर है, मैं सुरमैन हूं तो बैठकों में क्यों नहीं शामिल होते हैं?”
केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को आड़े हाथों लेते हुए कोर्ट ने कहा कि “एलजी और दिल्ली सरकार दोनों मान रहे हैं कि उनकी जिम्मेदारी है कूड़ा हटवाना और अगर नहीं होता तो केंद्र उसमें निर्देश देगा। क्या केंद्र ने निर्देश दिए? … कूड़े के पहाड़ का एक हिस्सा गिरने से आदमी की मौत हो जाती है और आप इसको लेकर अभी भी गंभीर नहीं। ”
“हर मामले में मुख्यमंत्री को मत घसीटिए, बस अंग्रेजी की एक लाइन में बताइए कि कूड़े के जो पहाड़ खड़े हैं वो कब हटेंगे। …. केंद्र इस मुद्दे पर एक टाइमलाइन बताए कि कब कूड़े पर हल निकाला जाएगा।” उच्च न्यायलय ने पूछा है।