उप चुनाव के नतीजों ने पलटे राजनीति के कई समीकरण
तीन महीने पहले पंजाब में विधानसभा के चुनाव में बम्पर जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की संगरूर लोकसभा सीट पर हार उसकी फ़ज़ीहत करवा गयी है। उधर उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ सीट, जिन्हें समाजवादी पार्टी और उसके क़द्दावर नेता आजम ख़ान का गढ़ माना जाता रहा है; में भाजपा की जीत अखिलेश यादव की क्षमताओं पर सवाल लगाती दिख रही है। उप चुनाव के बाक़ी नतीजे सम्भावित ही माने जाएँगे; लेकिन इसके बावजूद नतीजों के कई निहितार्थ हैं।
पंजाब की संगरूर सीट से जीते सिमरनजीत सिंह मान अकाली दल (अमृतसर) के सर्वेसर्वा हैं और ख़ालिस्तान के समर्थक हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी मान खुले रूप से पंजाब को स्वायतता की माँग करते रहे हैं और सन् 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गये जनरैल सिंह भिंडरावाले की विचारधारा के समर्थक हैं। वे पहले भी दो बार सांसद रहे हैं और उन्होंने सन् 1984 के सिख दंगों के विरोध में जब नौकरी छोड़ी थी, तब वे पंजाब पुलिस में अधिकारी थे।
पंजाब की लोकसभा सीट गँवाने से आम आदमी पार्टी की लोकसभा में उपस्थिति ख़त्म हो गयी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के विधानसभा के लिए चुने जाने ख़ाली हुई थी। इस तरह यह व्यक्तिगत रूप से मान की भी हार है।
पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेता भले सार्वजनिक रूप से न कहें, उनमें यह धारणा बन रही है कि पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल का पंजाब के मामलों में कथित अनावश्यक हस्तक्षेप और मुख्यमंत्री मान को ख़ुद से कम आँकना जनता में $गलत सन्देश दे रहा है। यही चलता रहा तो पार्टी और मान की परेशानियाँ बढ़ेंगी, क्योंकि पंजाब अलग तासीर वाला राज्य है।
त्रिपुरा में चार में से तीन सीटें जीतकर भाजपा ने अपनी पैठ बरक़रार रखी है। चौथी सीट राज्य की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस के खाते में गयी है। झारखण्ड की इकलौती सीट भी कांग्रेस ने ही जीती। वैसे छ: राज्यों की सात विधानसभा और तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ था। उत्तर प्रदेश की दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा, आंध्र में विधानसभा सीट पर वाईएसआरसी और दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत इस बात का संकेत है कि केजरीवाल का जादू बरक़रार है। वहीं कांग्रेस के लिए चिन्तन का समय है, जो महज़ 2,014 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रही।
उत्तर प्रदेश से नतीजा दिलचस्प रहा और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए यह चिन्ता का विषय हो सकता है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के अब 64 (एनडीए के 66) सांसद हो गये हैं। उत्तर प्रदेश के नतीजे से ज़ाहिर होता है कि एक नेता के तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी पैठ मज़बूत करने में सफल रहे हैं, अन्यथा दिग्गज आजम ख़ान के गढ़ रामपुर में सपा को हराना आसान काम नहीं था; जहाँ बहुत कोशिश करके भी भाजपा पिछले चुनाव में अपनी प्रत्याशी जया प्रदा को नहीं जितवा पायी थी। उत्तर प्रदेश के नतीजे से ज़ाहिर है कि कांग्रेस वहाँ अपनी ज़मीन तैयार करने में नाकाम रही है।
सपा के अखिलेश के लिए भी यह नतीजे बड़ा झटका है, क्योंकि ख़ुद उनके भाई धर्मेंद्र यादव अखिलेश की ख़ाली हुई आजमगढ़ की सीट से पार्टी प्रत्याशी थे और हार गये। भले आजम ख़ान ने आरोप लगाया कि चुनाव में धाँधली की गयी, सच यह भी है कि सपा के लिए यह हार चोट पहुँचाने वाली है। ऐसा लगता है कि बसपा का वोट भी भाजपा को हस्तांतरित (ट्रांसफर) हुआ।
किसके हिस्से, कितनी सीटें?
लोकसभा : भाजपा 2, अकाली दल (अमृतसर) 1 सीट।
विधानसभा : भाजपा 3, कांग्रेस 2, आप 1, वाईएसआरसी 1 सीट।