उत्तर प्रदेश में जीएसटी वसूली को लेकर छापेमारी में ढील, व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले
उत्तर प्रदेश में जीएसटी जाँच के विरोध में बन्द दुकानों और दूसरे औद्योगिक संस्थानों के शटर फिर उसे उठने लगे हैं। यहाँ लगभग एक महीने तक जीएसटी टीमों की छापेमारी से नाराज़ व्यापारियों में हाहाकार मचा रहा। मगर यह हाहाकार गुण्डों के डर से नहीं मचा था, वरन् प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के जाँच दलों के डर से मचा रहा।
अभी तक बुलडोजर के डर से जनता बाहर ही नहीं निकल सकी है कि जीएसटी का एक नया डर लोगों में बैठ गया। यह डर जीएसटी अर्थात् केंद्रीय बिक्री कर की वसूली को लेकर हुई ताबड़तोड़ छापेमारी की वजह से बना रहा। इस छापेमारी के डर से लगभग प्रदेश भर के व्यापारी हर दिन भारी घाटा उठाते रहे। न चाहते हुए भी उन्हें अपनी दुकानें और प्रतिष्ठान बन्द रखने पड़े। प्रशासनिक छापेमारी ने पिछले एक महीने तक उन्हें परेशान किया, ऐसा व्यापारियों का कहना है। हालाँकि अब माहौल कुछ शान्त है। मगर व्यापारियों और दुकानदारों में एक डर अभी भी बना हुआ है।
छापेमारी व आरोप-प्रत्यारोप
एक ओर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जीएसटी चोरी का आरोप लगाकर जीएसटी विभाग के लगभग 248 जाँच दलों के अतिरिक्त आयकर विभाग, बिक्री कर विभाग, वित्त विभाग, राजस्व, ख़ुफ़िया महानिदेशालय के कई दलों एवं पुलिस बल को छुट्टा छोड़ रखा है, तो दूसरी ओर व्यापारी सरकार पर गुण्डागर्दी का आरोप लगाकर अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों को लगभग एक महीने बन्द करके बैठे रहे। हाल यह रहा कि प्रदेश के सभी जनपदों तथा गाँवों में छापेमारी तथा जीएसटी वसूली की गयी। कथित सूत्रों का दावा है कि अभी तक लगभग 130 करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी चोरी पकड़ी गयी। इसके अतिरिक्त 75 करोड़ रुपये के मूल्य का सामान ज़ब्त किया गया था।
इस छापेमारी में सरकारी दावे यही हैं कि अधिकतर व्यापारी बिना बिल के सामान की बिक्री करके बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी कर रहे हैं। सरकारी जाँच दलों की छापेमारी के चलते वर्तमान में उत्तर प्रदेश के लकड़ी, फर्नीचर, कतरन-डली अर्थात् स्क्रैप, पंसारी अर्थात् परचून, घरेलू उपकरण जैसे बिजली का सामान आदि, घर निर्माण उपकरण. घी, तेल, आटा, चावल, दाल, आयरन, स्टील, मेंथा तथा रेस्टोरेंट व होटल आदि का व्यवसायों पर बन्दी की मार पडी। सरकार के जीएसटी वसूली करने वाले अधिकारियों का कहना है कि इन वस्तुओं एवं व्यवसायों में बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी की जा रही है। मगर प्रश्न यह है कि अगर इन संस्थानों में जीएसटी चोरी हो रही है, तो फिर गाँव-देहात अथवा क़स्बों तथा शहरों में छोटे दुकानदारों तक को तंग क्यों किया गया? इस छापेमारी का असर यह है कि छोटे-छोटे दुकानदार भी अपनी दुकानें नहीं खोल पा रहे थे, जिससे जनता को आवश्यक वस्तुएँ मिलना दुश्वार हो गयी थीं। प्रदेश भर में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल से लेकर जनपदों के छोटे-बड़े व्यापारिक संगठन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के विरुद्ध एकजुट हो गये थे। कई जनपदों में व्यापारियों ने कई बार हड़ताल, विरोध-प्रदर्शन एवं रैली का आयोजन भी किया, मगर योगी आदित्यनाथ सरकार पर इसका महीने भर तक कोई असर नहीं हुआ।
भौजीपुरा के एक दुकानदार सर्वेश ने कहा कि योगी सरकार की भूख इतनी बढ़ गयी है कि वह अब लोगों की छोटी-छोटी कमायी में से भी बड़ा हिस्सा हड़पने पर आमादा हो गयी है। सर्वेश कहते हैं कि वो महीने में 12-13 घंटे दुकान चलाकर बड़ी मुश्किल से घर चला रहे थे, मगर अब तो यह भी दुश्वार हो गया है; क्योंकि अगर दुकान खोलेंगे, तो अधिकारी लूटने आ जाएँगे। इसी क़स्बे के कुछ दुकानदारों ने कहा कि अगर इस तरह सरकार व्यापारियों को तंग करेगी, तो व्यापारियों से लेकर जनता तक के भूखों मरने की नौबत आ जाएगी। प्रदेश की योगी सरकार ने राम राज्य का सपना दिखाकर इंस्पेक्टर और गुण्डा राज लागू कर दिया है। हम लोग कठिन परिश्रम करके अपनी गृहस्थी चलाते हैं यह सरकार को रास नहीं आ रहा है। वास्तव में योगी सरकार में भी गुण्डे तथा चमचे सुखी हैं, ईमानदार एवं मेहनती लोग नहीं। यदि योगी आदित्यनाथ को 28 प्रतिशत तक जीएसटी वसूली ही करानी है, तो इससे तो अच्छा हो कि वो स्वयं एक गुण्डे की भाँति बन्दूक लेकर अपने सरकारी अधिकारियों और पुलिस को लेकर दुकान-दुकान जाकर हफ़्ता वसूली का काम करना शुरू कर दें।
योगी आदित्यनाथ सरकार पर क्रोधित होते इन व्यापारियों में से कई की दशा दयनीय दिखी। पूरे प्रदेश के व्यापारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम विधायकों और ज़िलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर शीघ्र ही जीएसटी की भारी-भरकम वसूली तथा जाँच दलों की छापेमारी व लूट-खसोट पर रोक लगाने की माँग की थी। व्यापारियों स्पष्ट कह रहे हैं कि सरकार को सर्वे करना चाहिए। अगर कहीं कोई व्यापारी चोरी कर रहा है, तो उस पर कार्यवाही भी होनी चाहिए, मगर जिन व्यापारियों के पास जीएसटी नंबर है, उन पर झूठे आरोप लगाकर लूट क्यों मचायी जा रही है? जिस तरह से सरकारी अधिकारी व्यापारियों को डरा धमकाकर लूट मचा रहे हैं, ये काम तो गुण्डे ही कर सकते हैं। जब व्यापारियों को सताने का आरोप लगा, तो सरकारी जाँच दलों ने सफ़ाई दी कि वे दुकानदारों को न तो तंग कर रहे हैं तथा न ही उनका सामान उठा रहे हैं।
जाँच दलों पर इस तरह का आरोप लगाकर व्यापारी अपनी जीएसटी चोरी पर पर्दा डालना चाहते हैं। प्रदेश भर में जीएसटी छापेमारी तथा व्यापारियों के विरुद्ध जबरन वसूली की कार्यवाही को लेकर समाजवादी पार्टी भी योगी आदित्यनाथ सरकार को घेर रही है। वहीं कुछ भाजपा नेता व्यापारियों से बचकर निकलने का प्रयास करते दिखे, तो कुछ अनर्गल बातें करके व्यापारियों का पारा बढ़ा रहे हैं।
अलग-अलग जीएसटी
उत्तर प्रदेश में जीएसटी शब्द इतना प्रचलित हो चुका है कि अब अनपढ़ तथा बच्चे तक जानने लगे हैं कि सरकार जीएसटी माँग रही है। भले ही सही मायने में अधिकतर लोगों को जीएसटी के बारे में कुछ भी नहीं पता है, मगर लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं। असल में लोगों को नहीं मालूम है कि देश के अन्दर चार प्रकार की जीएसटी लागू है, जिसमें एसजीएसटी, सीजीएसटी, आईजीएसटी एवं यूजीएसटी कहते हैं। वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर इन सभी जीएसटी की अलग-अलग प्रकार से वसूली की जाती है। इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा दो राज्यों के बीच वस्तुओं के क्रय-विक्रय पर अलग-अलग प्रकार से जीएसटी लागू होता है। एसटी के तहत यदि कोई व्यापारी 10 करोड़ रुपये की सालाना बिक्री करता है, तो उसका ई-चालान होगा। यह नियम अक्टूबर, 2022 से लागू है। यही नियम व्यापार से व्यापार अर्थात् किसी व्यवसायी से किसी व्यवसाय के लिए क्रय-विक्रय पर पाँच करोड़ रुपये तक के लेन-देन पर लागू है। वहीं सामान्य तौर पर 40 लाख रुपये के वार्षिक क्रय-विक्रय पर जीएसटी पंजीकरण होना ही चाहिए।
इसके अतिरिक्त जीएसटी की वसूली के लिए वस्तुओं को चार स्तरों में बांटा गया है, जिनमें 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत तथा 28 प्रतिशत तक की जीएसटी वसूली का प्रावधान है। 5 प्रतिशत जीएसटी सामान्य आवश्यकता वाली वस्तुओं जैसे पैकिंग वाली वस्तुओं, गेहूँ, आटा, चावल, गुड़, चीनी, मुरमुरा, राई, जौ, शहद, पनीर, दही, छाछ, लस्सी, चाय, काफ़ी, मिठाई आदि पर लगाया गया है। 12 प्रतिशत जीएसटी होटल में ठहरने, कंप्यूटर, संसाधित अर्थात् प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों आदि पर वसूला जाता है। 18 प्रतिशत जीएसटी एवं 18 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में महँगे जूते, औद्योगिक सामग्री, बोतलबन्द पानी, विलासिता व नुकसानदेह वस्तुओं जैसे कार, एसी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब आदि पर लगाया गया है।
व्यापारियों का कहना है कि जब पूरे देश में एक टैक्स की बात केंद्र सरकार कह चुकी है, तो इतने प्रकार की जीएसटी क्यों? व्यापारी यह भी कह रहे हैं कि कई वस्तुओं को व्यापारी वर्ग 1-2 प्रतिशत के लाभ पर ही बेचता है, मगर जब इन वस्तुओं पर भारी भरकम जीएसटी लग जाता है, तो ग्राहक उन्हें लेने से कतराने लगते हैं। इससे बिक्री भी प्रभावित होती है तथा कुछ व्यापारी विवश होकर बिना जीएसटी के वस्तु की बिक्री करने लगते हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह प्रदेश के व्यापारियों को भी समाप्त करना चाहती है? व्यापारियों का कहना है कि पहले योगी सरकार ने किसानों को तंग किया अब व्यापारियों को तंग कर रही है।
कुल मिलाकर योगी आदित्यनाथ सरकार एवं व्यापारियों में जीएसटी को लेकर तकरार की स्थिति है, जिस पर अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका है। मगर सरकार तथा व्यापारियों की इस तकरार में सामान्य जन पिस रहा है, क्योंकि तमाम प्रतिष्ठानों के बन्द होने के चलते आपूर्ति प्रभावित हो रही है।