उत्तर प्रदेश को लेकर दिल्ली की सियासत में हलचल तेज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर तीन महीने से कम का समय बचा है लेकिन दिल्ली में सियासी हलचल तेज हो गयी है। उत्तर प्रदेश के जातीय और धार्मिक समीकरण को सांधने का काम तेज गति से चल रहा है।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश में अभी तक के विधानसभा के चुनाव में बसपा, समाजवादी पार्टी, भाजपा, और कांग्रेस के बीच चुनावी जंग होती रही है। लेकिन इस बार चुनावी जंग में आम आदमी पार्टी (आप) भी पूरे दमखम के साथ चुनाव में ताल ठोकने को तैयार है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश चुनाव की रूप रेखा दिल्ली में तय की जा रही है।

सबसे गंभीर बात तो यह है कि, सभी दल एक दूसरे पर आरोप लगाते है कि वे धर्म और जाति की राजनीति करते है। जबकि सच्चाई तो ये है कि कोई भी दल नहीं है जो धर्म और जाति से हटकर के राजनीति करता हो।

समाजवादी और बसपा को छोड़कर भाजपा, कांग्रेस और आप पार्टी का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है। इस लिहाज से दिल्ली में उत्तर प्रदेश से विधायक का टिकट पाने वालो का तांता लगा रहता है। दिल्ली की सियासत में उत्तर प्रदेश की सियासत का अहम रोल है। जानकारों का कहना है कि, जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जायेगी तैसे–तैसे दिल्ली की सियासी हलचल तेज होती जायेगी।

मौजूदा समय में किसानों को लेकर मची हलचल को लेकर राजनीतिक समीकरण बने-बिगड़े है। किसानों का रूख को भाप कर राजनीति करने वाले नेता असमजंस में है। कि कही कृषि कानून बिल जो वापस हुआ है। उससे कहीं दांव उल्टा न पड़ जाये। ऐसे में सभी दल के नेता अभी चुनावी हवा का रूख देख रहे है।