उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेता कल्याण सिंह का निधन हो गया है। वे 89 वर्ष के थे। कल्याण सिंह राज्यपाल भी रहे। विभिन्न भाजपा नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
कल्याण सिंह लम्बे समय से अस्वस्थ थे और उनका इलाज चल रहा था। शनिवार देर शाम एसजीपीजीआई अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के अलावा राज्यपाल भी रहे।
लाल कृष्ण आडवाणी के अलावा कल्याण सिंह को भाजपा को ज़मीन से फलक तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। कल्याण सिंह की खराब सेहत को देखते हुए उन्हें पहले लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन 4 जुलाई को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई में शिफ्ट किया गया। शनिवार की शाम उन्होंने यहीं अंतिम सांस ली।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पीजीआई में शिफ्ट होने के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही गया और डाक्टरों की पूरी देखभाल के बावजूद शनिवार को वे चल बसे। मुख्यमंत्री योगी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेता उनका हाल जानने पीजीआई आते रहे थे। आज शाम कल्याण सिंह के निधन की खबर के बाद भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है।
कल्याण सिंह को एक बड़े राजनीतिक नेता के रूप में पहचान 90 के दशक में भाजपा के राममंदिर आंदोलन से मिली। अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने की जिम्मेदारी कल्याण सिंह ने ली थी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी, 1932 को अलीगढ़ में अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। कल्याण सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में मेहनत कर उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद अध्यापक की नौकरी की। आरआरएस से जुड़ कर गांव-गांव जाकर लोगों में जागरूकता पैदा की।
कल्याण ने 1967 में अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीता। वे 1967 से 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। देश में 1975 में आपातकाल के दौर में 21 महीने तक जेल में रहे। साल 1977 के चुनाव में वे उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने। इसके बाद 1980 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह हार गये। भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया और बाद में सीएम बने।