उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार-2.0 ने अपने इस कार्यकाल का पहला बजट 26 मई को पेश किया। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए कुल 6,15,518 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की है। भविष्य की सम्भावनाओं से भरपूर का यह बजट चालू वर्ष के लिए खींचे गये विकास के ख़ाके में कितना फिट बैठेगा? यह तो भविष्य ही बताएगा। मगर यह बजट उत्तर प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा बजट है, जो पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के 5,50,270.78 करोड़ रुपये से भी 65,247.22 करोड़ रुपये ज़्यादा है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने $करीब डेढ़ घंटे में इस बार का बजट भाषण पढ़ा। इस बजट में कई छोटी-बड़ी घोषणाएँ भी की गयीं।
अगर इस बार के बजट को देखें, तो सबसे पहला प्रश्न यही उठता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार के पास इतना पैसा आएगा कहाँ से? अगर राज्य की कुल वार्षिक आय की बात करें, तो वर्ष 2020-21 के मूल आय-व्यय अनुमानों में वर्ष के सभी प्रकार के लेन-देन का अनुमानित शु्द्ध परिणाम (-)98.95 करोड़ रुपये था। इसका अर्थ यह है कि प्रदेश में आय से अधिक व्यय है। ऐसे में इस बार भी इतने बड़े बजट के जुटने में आशंका तो स्वाभाविक रूप से उठती ही है। वित्त मंत्री ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में 39,181,10 लाख रुपये की नयी योजनाएँ सम्मिलित की गयी हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास आदि के विकास का ख़ाका भी अपने बजट भाषण में खींचा।
नये रोज़गार बजट में पुराना राग
योगी आदित्यनाथ सरकार दो के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने रोज़गार क्षेत्र में नये बजट को सुनने के इच्छुकों को पहले सरकार के पुराने काम गिनाने शुरू किये। उन्होंने कहा कि रोज़गार क्षेत्र में निजी निवेश के माध्यम से 1.81 करोड़ युवाओं को निजी क्षेत्र में रोज़गार उपलब्ध कराया गया, जबकि 60 लाख से अधिक युवाओं को स्वरोज़गार से जोड़ा गया। बीते पाँच वर्षों में प्रदेश में पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया से 4.5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी गयी। कौशल विकास मिशन के माध्यम से 9.25 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न कार्यक्रमों में प्रशिक्षण दिया गया, जबकि 4.22 लाख युवाओं को विभिन्न कम्पनियों में सेवायोजित कराया गया। माध्यमिक शिक्षा में शिक्षक चयन के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करके कुल 40,402 शिक्षकों का चयन किया गया है।
उन्होंने कहा कि आगामी पाँच वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स उद्योग नीति के माध्यम से राज्य में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश करके चार लाख रोज़गार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। वहीं वित्त वर्ष 2022-23 में मनरेगा योजना के तहत 32 करोड़ मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने इस वित्त वर्ष में मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोज़गार योजना के माध्यम से 800 इकाई की स्थापना करके कुल 16,000 लोगों को रोज़गार देने का लक्ष्य रखा है। माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र में 7,540 नये पदों का सृजन किया गया है। आगामी वर्षों में नियुक्ति के लिए चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी 10,000 नर्स के पद सृजित किये गये हैं।
शिक्षा क्षेत्र की योजनाएँ
शिक्षा क्षेत्र के लिए घोषणाएँ करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि आगामी पाँच वर्षों में 1,500 करोड़ की धनराशि से दो करोड़ स्मार्ट फोन व टैबलेट वितरित करने का लक्ष्य रखा है। युवाओं के बीच उद्यमशीलता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति-2020 के तहत पाँच वर्ष में प्रत्येक जनपद में न्यूनतम एक तथा कुल 100 इन्क्यूबेटर्स एवं 10,000 स्टार्टअप्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे विद्यार्थियों को उनके घर के निकट ही कोचिंग की व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। प्रदेश के 16 असेवित जनपदों में निजी निवेश के माध्यम मेडिकल कॉलेजों की स्थापना हेतु पीपीपी नीति घोषित की गयी है। एमबीबीएस एवं पीजी पाठ्यक्रमों में सीटों में वृद्धि के लिए 500 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है। 25 करोड़ रुपये से नर्सिंग कॉलेज की स्थापना होगी।
100.45 करोड़ रुपये से अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ की स्थापना होगी। 14 जनपदों में निर्माणाधीन नये मेडिकल कॉलेजों के लिए 2,100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। 113.52 करोड़ रुपये से गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना होगी। वर्ष 2022-2023 में परिषदीय विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान के अन्तर्गत दो करोड़ छात्रों के नामांकन का लक्ष्य है। कक्षा एक से आठ तक के छात्रों के खाते में सीधे पैसे भेजने के लिए 370 करोड़ रुपये की राशि का प्रस्ताव है। सैनिक स्कूलों के संचालन हेतु 98.38 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 324.41 करोड़ रुपये से संस्कृत पाठशालाओं का उद्धार होगा।
राजकीय महाविद्यालयों में स्मार्ट क्लासेज की स्थापना हेतु 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव है। राजकीय महाविद्यालयों के निर्माणाधीन भवनों को पूर्ण किये जाने हेतु 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा गया है। प्रदेश में 75 नये राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। छात्रों को मु$फ्त ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण देने के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसकी स्थापना के लिए 01 करोड़ 16 लाख रुपये की व्यवस्था का प्रस्ताव इस बजट में रखा गया है।
विद्यार्थियों को न्यू एज ट्रेड्स के अन्तर्गत चार पाठ्यक्रमों- डाटा साइंस एवं मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिग्स साइबर सिक्योरिटी और ड्रोन टेक्नोलॉजी के तहत शिक्षण प्रशिक्षण कराये जाएँगे। प्रदेश के 04 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को मॉडल आईटीआई के रूप में विकसित किया जाएगा। नवीन राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में से 31 को पीपीपी मॉडल से संचालित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के तहत दो लाख युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
खेल क्षेत्र के लिए घोषणाएँ
वित्त मंत्री ने कहा कि वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम की स्थापना के लिए 95 करोड़ रुपये से भूमि क्रय का प्रस्ताव है। खेल के विकास एवं उत्कृष्ट कोटि के खिलाड़ी तैयार करने के लिए मेरठ के मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय पर 700 करोड़ रुपये का व्यय किया जाएगा। 75 जनपदों में खेलों इंडिया सेंटर्स की स्थापना करने का लक्ष्य रखा गया।
ग़रीबों को पक्की छत
प्रदेश में ग़रीबों को पक्की छत (पक्के घर) देने के लक्ष्य के तहत गाँवों में 7,000 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री आवास योजना में एवं 508.63 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत व्यय किये जाएँगे। ग्राम्य विकास व पंचायतीराज के लिए 2022-23 में 44,290.84 करोड़ रुपये का प्रवधान है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार लोक कल्याण संकल्प पत्र का वादा पहले ही बजट में पूरा करेगी। मनरेगा योजना के तहत इसी वित्तीय वर्ष में 15,463 तालाबों और 5,882 खेल मैदानों को सँवारा जाएगा।
पंचायतों का बढ़ेगा बजट
प्रदेश में पंचायतों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए केंद्र से मिलने वाली धनराशि के सापेक्ष राज्य सरकार भी 7,466 करोड़ रुपये देगी। इसके अतिरिक्त स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के लिए 1,788.18 करोड़ रुपये, सम्पूर्ण परिवार सर्वेक्षण उत्तर प्रदेश योजना के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजना में पंचायतों के क्षमता संवर्धन, प्रशिक्षण व संरचनात्मक ढाँचा बनाने के लिए 539.86 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है।
दुग्ध उत्पादन पर ध्यान
प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए दुग्ध संघों के पुनर्जीवन व सुदृढ़ता के लिए 60 करोड़ रुपये की व्यवस्था का प्रावधान है। मथुरा में 3,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता का नया डेयरी प्लांट खोलने के लिए आठ करोड़ रुपये दिये जाएँगे। वाराणसी व मेरठ में ग्रीन फील्ड डेयरी प्लांट के लिए 79.82 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है।
खाद्य उद्योग का उन्नयन
प्रदेश में असंगठित क्षेत्र की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रशिक्षण, नवीन तकनीक, विपणन एवं ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए 120.86 करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री खाद्य उद्योग उन्नयन योजना प्रारम्भ की जाएगी। इसके अतिरिक्त सहकारिता विभाग में सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए 300 करोड़ रुपये से ब्याज अनुदान योजना शुरू होगी। साथ ही रासायनिक उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण के लिए 150 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
कैसे होगी पैसे की व्यवस्था?
वित्त मंत्री खन्ना ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए पैसे की व्यवस्था कहाँ से होगी यह भी बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की कुल अनुमानित प्राप्तियाँ 5,90,951.71 करोड़ रुपये की हैं। इन कुल अनुमानित प्राप्तियों में 4,99,212.71 करोड़ रुपये की आवक राजस्व के माध्यम से होगी। वहीं 91,739 करोड़ रुपये की अनुमानित पूँजीगत प्राप्तियाँ आने का अनुमान है। कराधान (टैक्स) प्रक्रिया से 3,67,153.76 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान है। इसमें राज्य का स्वयं की कराधान अनुमानित 2,20,655 करोड़ रुपये है, जबकि केंद्रीय करों में राज्य का अंश 1,46,498.76 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
वित्त मंत्री ने पैसे की एक अनुमानित आवक का ब्योरा अपने भाषण में दिया। मगर यह आवक वित्त वर्ष 2022-23 के पेश बजट से का$फी कम है। ऐसे में प्रश्न यह है कि शेष बजट की व्यवस्था सरकार कहाँ से करेगी? क्योंकि अगर पैसा कम पड़ा, तो स्पष्ट है कि निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो सकेगी, जिससे योगी आदित्यनाथ सरकार के पिछले कार्यकाल की तरह ही तमाम वादे फाइलों में ही दबे रह जाएँगे।
प्रश्न यह भी है कि क्या योगी आदित्यनाथ की सरकार एक ने पिछले वादों को पूरा किया है? योगी सरकार की पिछली पारी में भी शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण व शहरी विकास तथा रोज़गार देने के वादे जमकर किये गये। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया गया, मगर किसी भी क्षेत्र में सन्तुष्टिपूर्ण कार्य नहीं हो सका।