एयर इण्डिया और इंडिगो के हवाई जहाज़ ख़रीदने की घोषणा बदल सकती है तस्वीर
भारत का उड्डयन उद्योग नयी उड़ान भरने की तैयारी में है। देश की दो बड़ी एयरलाइंस इंडिगो और टाटा के बेड़े में मिलकर क़रीब 1,200 नये जहाज़ जुडऩे वाले हैं और उसी अनुपात में पॉयलट और क्रू की भर्ती होगी। ग्रॉउंड स्टाफ और तकनीकी कर्मचारी अलग से हैं। यही नहीं दोनों बड़ी एयरलाइंस अपनी वैश्विक पहुँच को व्यापक करने की तैयारी में हैं, जो एक महत्त्वपूर्ण बात है।
सेंटर फॉर एशिया पैसेफिक एविएशन (सीएपीए) इंडिया ने भी एक रिपोर्ट में कहा कि फ्लीट में बदलाव और वृद्धि को देखते हुए आने वाले एक-दो वर्षों में भारत की अधिकांश एयरलाइन ज़्यादा विमान ख़रीदने के लिए ऑर्डर देंगी। ज़ाहिर है भारत में उड्डयन रोज़गार का एक बड़ा क्षेत्र बनने की तरफ़ बढ़ रहा है। एयर इंडिया के सरकार से टाटा ग्रुप में जाने के बाद उसे एक बेहतर वित्तीय स्थिरता मिली है, जो अब तक सिर्फ़ इंडिगो (इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड) के पास रही है। भारतीय विमानन उद्योग ने अब जैसी करवट ली है, उससे यह तो साफ़ है कि इसका भविष्य शानदार है। हाल के समय में देश में हवाई अड्डों पर निवेश की प्रक्रिया बढ़ी है। एक अनुमान के मुताबिक, अगले चार साल में हवाई अड्डा क्षेत्र में एक लाख करोड़ का निवेश हो सकता है। हाल के महीनों में अडानी ग्रुप को हवाई अड्डे देने के मामले में सरकार की तरफ़ से ज़्यादा मेहरबानी दिखाने को लेकर बेशक सवाल उठे हैं; लेकिन यह तो निश्चित है कि एयरलाइंस की ऊँची उड़ान और निवेशकों को भी इस क्षेत्र की तरफ़ आकर्षित करेगी।
फरवरी के शुरू में बेंगलूरु में एयरो इंडिया शो आयोजित किया गया था, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। अधिकारियों के मुताबिक, एयरो इंडिया में क़रीब 250 कम्पनियों से समझौते (बी2बी) ने भी उम्मीद को नये पंख दिये हैं। इससे क़रीब 75,000 करोड़ के निवेश का रास्ता खुला है। उद्घाटन समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उम्मीद जतायी कि एयरो इंडिया भारत में एरोस्पेस क्षेत्र के आगे विकास में एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। एयरो इंडिया के प्रमुख प्रदर्शकों में एयरबस, बोइंग, दसॉ एविएशन, लॉकहीड मार्टिन, इजराइल एरोस्पेस इंडस्ट्री, साफरान, रोल्स रॉयस जैसे विदेशी कम्पनियाँ शामिल थीं।
जानकारों का मानना है कि भारत में एविएशन टर्बाइन फ्यूल दुनिया में सबसे महँगा है जो भारतीय एयरलाइंस के लिए दिक़्क़त की बात है। उनके मुताबिक, यदि इस तरह की बाधाओं को दूर किया जा सके, तो विमानन उद्योग की तरक़्क़ी को और पंख लगेंगे। देश में एविएशन टर्बाइन फ्यूल का बेस प्राइस ही ज़्यादा है, ऊपर से टैक्स भी काफ़ी ज़्यादा है। नतीजा यह है कि इससे भारतीय एयरलाइंस को काफ़ी महँगी डर पर तेल मिलता है। यदि इसका रेट कम हो, तो इसका फ़ायदा पैसेंजर को भी मिल सकता है; क्योंकि एयरलाइंस फिर एयर फेयर घटा सकती हैं।
विदेशी एयरलाइंस को भारत के आसमान में काफ़ी ट्रैफिक मिलता है। इसका कारण यह भी है कि दूसरे देशों में भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट्स बड़ी संख्या में नहीं हैं। लेकिन एयर इंडिया और इंडिगो की नयी योजनाएँ बताती हैं कि इससे देश के लोगों को भविष्य में विदेश जाने के लिए देसी एयरलाइंस में अब ज़्यादा विकल्प मिल सकेंगे। डोमेस्टिक लीडर इंडिगो ने कहा है कि वह विदेशी डेस्टिनेशन पर भी ज़्यादा फोकस करने जा रही है, जबकि एयर इंडिया का पहले से ही विदेशी डेस्टिनेशन पर ज़ोर रहा है। अभी तक अमेरिका की तीन बड़ी एयरलाइंस यूनाइटेड कॉन्टिनेंटल, यूनाइटेड डेल्टा और अमेरिकन को भारत में बड़ा ट्रैफिक मिलता है। निश्चित ही ज़्यादा कम्पीटीशन भारतीय एयरलाइंस को बेहतर सीटिंग व्यवस्था, भोजन और एंटरटेनमेंट सर्विसेज की तरफ़ प्रोत्साहित करेगा। हाल के चार वर्षों को देखें तो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो ने 2019 में नये विमान ख़रीदने की योजना ज़ाहिर की थी। लेकिन कोरोना ने बर्बाद कर दिया। अब जब स्थितियाँ सामान्य हुई हैं, इंडिगो ने 500 नये विमान ख़रीदने की घोषणा कर दी है।
एअर इंडिया और इंडिगो की ओर से एयरबस और बोइंग विमानों का बड़ा ऑर्डर देने के बाद भारत की कुछ छोटी एयरलाइंस भी विमान ख़रीदने के ऑर्डर दे सकती हैं।
भारतीय उड्डयन सेक्टर के नयी ऊँचाइयाँ छूने की शुरुआत हुई एयर इंडिया की घोषणा से; जिसने कहा कि एयरबस और बोइंग को 840 विमानों का ऑर्डर वह देने जा रही है और अगले 10 साल में यह प्लेन उसके बड़े से जुड़ जाएँगे। एयर इण्डिया की मालिकाना हक वाली कम्पनी टाटा संस का अमेरिका और फ्रांस की इन कम्पनियों के साथ हुआ 85 अरब डॉलर का यह सौदा, एविएशन इंडस्ट्री में अब तक की सबसे बड़ा सौदा है।
एयर इंडिया की योजना भविष्य में दुनिया के तमाम बड़े डेस्टिनेशन में जहाज़ उतारने की है। एयर इंडिया चूँकि हर रेंज के हवाई जहाज़ ख़रीदने जा रही है, उसकी इन डेस्टिनेशन को सीधी विमान सेवा शुरू होगी। एयर इंडिया कई पार्टनर्स के साथ डीप कमर्शियल पार्टनरशिप भी करेगी, जिनमें सिंगापुर एयरलाइंस और लुफ्थांसा शामिल हैं। इसके अलावा स्टार एयरलाइंस भी भविष्य में एयर इंडिया किये साथ साझेदारी को मज़बूत करेंगे।
विमानन क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक, भारतीय विमानन कम्पनियों के विदेश में ज़्यादा डेस्टिनेशन पर जाने से भारतीय यात्रियों को सीधी उड़ानों से विदेश जाने का विकल्प मिलेगा और इसके लिए उन्हें तडक़े उठकर पहले खाड़ी देशों में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। एयर इंडिया और इंडिगो दोनों विमानन बाज़ार के दिग्गज खिलाड़ी हैं और इंडिगो, जिसके 500 जहाज़ के नये ऑर्डर से पहले ही उसके बड़े में 310 जहाज़ हैं, भी विदेशी डेस्टिनेशन पर फोकस करने की बात कह चुका है। निश्चित ही यह भारतीय विमानन उद्योग के अंतरराष्ट्रीयकरण की तरफ़ एक बड़ी छलाँग है। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने एयर इंडिया की चुनौती को गम्भीरता से लिया है। इंडिगो के अंतरराष्ट्रीय बिक्री प्रमुख विनय मल्होत्रा के मुताबिक, उसने यूरोप में अपना विस्तार करने के लिए टर्किश एयरलाइन के साथ हाथ मिलाया है। एयरलाइन रोज़ाना क़रीब 1,800 फ्लाइट्स ऑपरेट करती है। इनमें से 10 फ़ीसदी इंटरनेशनल रूट्स पर हैं। इंडिगो के बेड़े में क़रीब 310 विमान हैं और कम्पनी इस समय 76 डोमेस्टिक और 26 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए फ्लाइट ऑपरेट करती है।
बता दें अभी घरेलू मार्केट में इंडिगो की हिस्सेदारी 56.1 फ़ीसदी है, जबकि टाटा ग्रुप की तीन एयरलाइंस की कुल हिस्सेदारी 24.1 फ़ीसदी है। बाक़ी 19.8 फ़ीसदी हिस्सेदारी दूसरी एयरलाइंस के पास है। टाटा ग्रुप की एयरलाइन कम्पनियों में एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया इंडिया शामिल हैं।
इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने एक बयान में कहा कि हम अंतरराष्ट्रीयकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसके तहत नैरोबी, जकार्ता और कुछ मध्य एशियाई देशों के लिए उड़ान शुरू करने की योजना बनायी जा रही है। भारत के विमानन बाज़ार में अभी विकास की बहुत सम्भावना हैं, जिसमें कई एयरलाइंस के कारोबार की गुंजाइश है।
कमज़ोरी और ताक़त
भारत में ऐसा नहीं है कि सभी एयरलाइंस ने सफलता ही हासिल की। पहले भी देखा गया कि कुछ एयरलाइंस शुरू होने के बाद दुर्भाग्यवश बंद हो गयीं। इनमें सबसे बड़ा उदाहरण जेट एयरवेज का है, जो बहुत अच्छी उड़ान भरने के बावजूद 26 साल चलने के बाद किन्हीं कारणों से बंद हो गयी। हाल में यह जानकारी मिली है कि दूसरे मालिक इसे शुरू करने की कोशिश में हैं। इसके अलावा यूनाइटेड ब्रूअरीज ग्रुप की किंगफिशर, जिसके सीएमडी विजय माल्या थे, भी कुछ साल उडऩे के बाद बंद हो गयी। ज़ाहिर है बिना वित्तीय मज़बूती के साथ एयरलाइंस को सफलता पूर्वक बचाये रखना आसान काम नहीं है। हाल में यह ख़बर भी आयी हैं कि स्पाइस जेट जैसी कम्पनी भी आर्थिक संकट से दो चार है।
हालाँकि उसे मज़बूती देने की कोशिश जारी है। राकेश झुनझुनवाला की अकासा एयरलाइंस भी पंख फैलाने की कोशिश में है। भारतीय विमानन कम्पनियों के लिए सबसे बड़ा सकारात्मक पहलु है भारत में ट्रैफिक। विमानन विशेषज्ञों के मुताबिक, हम लोग ट्रैफिक जेनरेट कर सकते हैं। एयर इण्डिया, जिसने जहाज़ों का रिकॉर्ड ऑर्डर देकर भारतीय विमानन उद्योग में तहलका मचा दिया है, भी नाकामी का दंश झेल चुकी है। टाटा संस के पास आने से पहले यह भारत सरकार की एयरलाइंस थी और सरकार इसे चलने में नाकाम रही।
आसमान में नौकरियाँ
टाटा ग्रुप की एयर इण्डिया ने जब कुछ दिन पहले बोइंग और एयरबस से 470 विमान ख़रीदने के लिए ऑर्डर दिया, तो ज़ाहिर हो गया कि भारत के उड्डयन उद्योग में अब नौकरियों का पिटारा खुलने वाला है। इसके बाद इंडिगो ने भी 500 नये जहाज़ ख़रीदने का ऐलान कर दिया, तो ज़ाहिर हो गया कि देश के युवाओं को बड़े पैमाने पर नौकरियों का रास्ता खुल रहा है। अकेले क्रू में ही हज़ारों नौकरियाँ युवा पा सकेंगे। एयर इण्डिया और इंडिगो जहाज़ों का जो नया ऑर्डर दे रही हैं, उसमें बड़े विमान भी शामिल हैं, जिनमें क्रू की संख्या ज़्यादा होती है।
एयर इंडिया ने 24 फरवरी को आधिकारिक रूप से एक बयान में कहा कि वह 2023 में चालक दल के 4,200 प्रशिक्षु सदस्यों और 900 पायलटों को भर्ती करने की योजना बना रही है। कम्पनी ने कहा कि उसके बेड़े में नये विमान जुड़ रहे हैं और उसके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परिचालन का तेज़ी से विस्तार हो रहा है, इसलिए ये भर्ती की जा रही हैं। कम्पनी ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच चालक दल के 1,900 से ज़्यादा सदस्यों को भर्ती किया है। बयान के मुताबिक, पिछले सात महीनों (जुलाई 2022 से जनवरी 2023 तक) में चालक दल के लगभग 1,100 सदस्यों को प्रशिक्षित किया गया और तीन महीनों में चालक दल के लगभग 500 सदस्यों को उड़ान के लिए तैयार किया गया।
हाल ही में सामने आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया बी777 कैप्टन की तलाश कर रही है और उसके लिए वह दो करोड़ रुपये तक का पैकेज ऑफर कर सकती है। कम्पनी ने हाई लेवल की क्षमता वाले बी737 एनजी / मैक्स टाइप रेटेड पायलटों से बी777 बेड़े के लिए अधिकारियों को जॉब दे रही है और उसके लिए 21,000 डॉलर यानी कि 17,39,118 रुपये प्रति महीने का भुगतान करेगी।
अगर इसे सालाना आधार पर देखें, तो यह 2,08,69,416 रुपये के क़रीब बनता है। इसके अलावा 1,200 नये जहाज़ आने का मतलब है 10,000 से ज़्यादा केविन क्रू की नौकरियाँ। विमानन क्षेत्र में पायलट और केबिन क्रू के अलावा एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर और ग्राउंड स्टाफ की ज़रूरत रहती है। आँकड़े बताते हैं कि भारतीय एयरलाइंस में केबिन क्रू की काफ़ी कमी है और आये दिन यह शॉर्टेज का सामना करती हैं। इस क्षेत्र में रोज़गार बढ़ोतरी का फ़ायदा इससे जुड़े उद्योगों को भी होगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब एक भी जहाज़ बढ़ता है और वह किसी शहर में उड़ान भरता है, तो वहाँ के टैक्सी से लेकर होटल और रेस्टोरेंट उद्योग तक को लाभ मिलता है। उनके मुताबिक, इसके अलावा चूँकि भारत सरकार मेक इन इंडिया पर ज़ोर दे रही है, उससे विदेशी कम्पनियों पर दबाव है कि वे कलपुर्जे और स्पेयर पाट्र्स भारत से ही ख़रीदें। उनके मुताबिक, डिफेंस एयरक्राफ्ट्स का जो इकोसिस्टम है, वही आगे आगे चलकर कमर्शियल एयरक्राफ्ट के प्रोडक्शन, फाइनल असेंबलिंग और फॉर्मल रिसोर्सिंग की तरफ़ ले जाएगा।