ईवीएम पर मचे घमासान के बीच कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेता सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग से मिले। विपक्षी दलों ने साझे रूप से मांग रखी कि ईवीएम मशीनों के मतों का ५० प्रतिशत वीवीपैट मशीनों की पर्ची से मिलान किया जाना ज़रूरी किया जाये।
विपक्षी नेताओं ने आम चुनाव में ईवीएम की विश्वसनीयता का हवाला देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से कहा कि ईवीएम में हरसंभव पारदर्शिता कायम रखी जाए। चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा – ”कुछ राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों के प्रतिनिधियों का प्रतिनिधिमंडल आज चुनाव आयोग से मिला। आयोग ने प्रतिनिधियों की वीवीपैट संबंधी मांगों को सुना और आश्वस्त किया कि उनके उठाए गए मुद्दों पर विचार किया जाएगा।
चुनाय आयुक्त से मुलाकात के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने पत्रकारों को बताया – ”आयोग ने हमें भरोसा दिलाया है कि इस मुद्दे पर एक समिति गठित की है और इसकी रिपोर्ट आम चुनाव से पहले आएगी, जिसे प्रकाशित किया जाएगा।” आयोग से मिलने वालों में आज़ाद के अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल, टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू, एनसीपी के माजिद मेमन, एसपी के रामगोपाल यादव, बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा, आरजेडी के मनोज झा, माकपा के मोहम्मद सलीम, भाकपा के डी राजा, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और आप के संजय सिंह और अन्य दलों के नेता शामिल थे।नेताओं ने अरोड़ा से मुलाकात कर उन्हें इस आशय का ज्ञापन सौंपा। इस पर लोकसभा और राज्यसभा में २३ विपक्षी दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं।
कांग्रेस नेता आजाद ने बताया कि तमाम दलों ने पहले मतपत्र से चुनाव कराने की मांग की थी लेकिन अगले लोकसभा चुनाव में कम समय होने के कारण सभी दलों ने आयोग के समक्ष यह मांग पेश नहीं की। ”विपक्षी नेता चाहते हैं कि ईवीएम में हरसंभव पारदर्शिता कायम रखी जाए।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि सभी दलों की सहमति से आयोग के समक्ष ईवीएम की विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए हर राज्य में आधे मतदान केंद्रों पर ईवीएम के मतों का वीवीपैट की पर्चियों से मिलान करने का सुझाव पेश किया गया। कांग्रेस के नेता ने कहा कि विपक्ष के सभी नेताओं को पूरा विश्वास है कि चुनाव आयोग लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए मतदाताओं का मत उनकी मर्जी के उम्मीदवार को ही मिले, यह व्यवस्था कायम रखेगा।